
केंद्र सरकार के लिए किसान आंदोलन गले की हड्डी बन चुका है. पंजाब और हरियाणा के खनौरी बॉर्डर पर किसानों का आंदोलन तेज होता जा रहा है. किसान नेता जगजीत सिंह डल्लेवाल 28 दिनों से आमरण अनशन पर बैठे हैं. जाहिर है कि सरकार को कुछ समझ में नहीं आ रहा है कि किस तरह किसान आंदोलन को दिल्ली आने से रोका जाए. कैंसर बीमारी से परेशान डल्लेवाल की हालत खराब हो रही है, दूसरी ओर संसद की स्थाई समिति ने किसानों की डिमांड पर मुहर लगा दी है. अब सरकार की मुश्किल यह है कि न किसान मानने को तैयार हैं और न ही सरकार किसानों की हर मांग मानने की स्थिति में है. सरकार के सामने सबसे बड़ी समस्या यह है कि बीच का रास्ता निकालने वाला कोई तेज तर्रार नेता दोनों तरफ से ही सामने नहीं आ रहा है.
1-डल्लेवाल के आमरण अनशन से खतरनाक रूप ले रहा है किसान आंदोलन
पंजाब और हरियाणा की सीमा. खनौरी बॉर्डर पर 27 दिनों से आमरण अनशन पर बैठे किसान नेता जगजीत सिंह डल्लेवाल की हालत लगातार बिगड़ती जा रही है. हालांकि, सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर धरना स्थल के पास ही अस्थाई अस्पताल बना दिया गया है. पर जिस तरह का किसानों ने मन बना लिया है कि तबीयत बिगड़ने पर भी उन्हें प्रशासन को हाथ नहीं लगाने दिया जाएगा. उससे स्थिति कितनी तनावपूर्ण हो सकती है इसे समझा जा सकता है. किसान नेता सरकार को चेता रहे हैं कि अगर डल्लेवाल को जबरन उठाने की कोशिश की, तो फिर पुलिस प्रशासन को लाशों पर से गुजरना पड़ेगा. मतलब खुलेआम चैलेंज है. डल्लेवाल तक प्रशासन न पहुंच सके इसके लिए किसानों ने छह लेयर की बैरिकेडिंग की है. किसान नेता सरवण सिंह पंधेर ने साफ शब्दों में धमकी दी है कि जब तक केंद्र की ओर से किसानों को एमएसपी की कानूनी गारंटी, किसानों को कर्ज मुक्त करने समेत बाकी की मांगों को पूरा नहीं किया जाएगा, आंदोलन जारी रहेगा. शुक्रवार को डल्लेवाल का चेकअप करने वाली डाक्टरों की टीम ने बताया कि किसान नेता की हालत काफी बिगड़ गई है. वह अपना हाथ तक नहीं उठा पा रहे हैं और आंखें भी नहीं खोल पा रहे हैं. कल्पना करिए कि डल्लेवाल को कुछ हो जाता है तो कितना बड़ा बवाल खड़ा हो सकता है.
2-संसदीय समिति के समर्थन से किसान नेता उत्साहित
इस बीच संसद की एक स्थाई समिति ने जिस तरह से किसान नेताओं के मुद्दों का समर्थन किया है उससे किसान नेताओं का मॉरल बूस्ट-अप हुआ है. हिंदुस्तान की एक रिपोर्ट के अनुसार डल्लेवाल ने इस संसदीय समिति का हवाला देते हुए ही सुप्रीम कोर्ट को पत्र लिखकर अपील की है कि संसद की स्थाई समिति की ओर से सिफारिशों को लेकर केंद्र को निर्देश दिए जाएं. बिजनेस स्टैंडर्ड की एक रिपोर्ट के अनुसार मंगलवार को एक संसदीय पैनल ने सरकार को कृषि उपज के लिए कानूनी रूप से बाध्यकारी न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) लागू करने की सिफारिश की, जिसमें तर्क दिया गया कि इस तरह के उपाय से किसानों की आत्महत्या में काफी कमी आ सकती है और महत्वपूर्ण वित्तीय स्थिरता मिल सकती है.
कांग्रेस सांसद चरणजीत सिंह चन्नी की अध्यक्षता वाली कृषि, पशुपालन और खाद्य प्रसंस्करण संबंधी स्थायी समिति ने कहा है कि समिति दृढ़ता से अनुशंसा करती है कि कृषि एवं किसान कल्याण विभाग जल्द से जल्द एमएसपी को कानूनी गारंटी के रूप में लागू करने के लिए रोडमैप घोषित करे. पैनल ने तर्क दिया कि कानूनी रूप से बाध्यकारी एमएसपी न केवल किसानों की आजीविका की रक्षा करेगा, बल्कि ग्रामीण आर्थिक विकास को भी बढ़ावा देगा और राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा को भी बढ़ाएगा. जाहिर है, इस सिफारिश के बाद किसानों को अपनी मांग पूरा करवाने की डिमांड करने का नैतिक बल मिला है.
3-लगातार लोग बढ़ रहे, किसान संगठन फिर से साथ आ सकते हैं
26 नवंबर से किसान नेता जगजीत सिंह डल्लेवाल की भूख हड़ताल के चलते एक बार फिर किसान आंदोलन चर्चा का केंद्र बिंदु बन गया है. आमरण अनशन ने आंदोलन में नई जान फूंक दी है.
राज्य की बड़ी पार्टियों के नेताओं समेत धार्मिक नेता इस आंदोलन को समर्थन देने आ रहे हैं. डल्लेवाल के कारण लोग इस हद तक आंदोलन से जुड़ गए हैं कि कई जगहों पर लोगों ने रेल रोकने के आह्वान पर अमल किया है. यही कारण है कि किसान आंदोलन के दूसरे चरण के शुरुआती दिनों में शंभू बॉर्डर से लोगों का फोकस खनौरी बॉर्डर पर चला गया है. दरअसल, डल्लेवाल की भूख हड़ताल खनौरी बॉर्डर पर ही चल रही है. किसान नेता गुरुनाम सिंह चढ़ूनी भी डल्लेवाल से मिलने वहां पहुंचे थे. जाहिर है चढूनी के साथ आने से किसान आंदोलन के एक बार फिर से जोड़ पकड़ने की संभावना है. हरियाणा के कई किसान संगठन भी पहुंच रहे हैं.खनौरी बॉर्डर से करीब 5 किलोमीटर पहले तक हजारों की संख्या में किसानों की ट्रलियां खड़ीं हैं. कांग्रेस सांसद चरणजीत सिंह चन्नी भी खनौरी बॉर्डर पहुंचकर डल्लेवाल से मुलाकात की. किसानों ने सरकार पर अनदेखी का आरोप लगाते हुए कहा कि दिल्ली में सांसदों के बीच धक्का-मुक्की होती है तो सभी वहां हालचाल पूछने जाते हैं, लेकिन यहां 26 दिनों से किसान नेता अनशन पर हैं और किसी ने सुध नहीं ली. किसान नेता सरवन सिंह पंधेर ने 30 दिसंबर को पंजाब बंद की अपील की है.
4-खालिस्तानी गतिविधियों में तेजी आ सकती है
किसान आंदोलन को शुरू से खालिस्तानी सपोर्ट करते रहे हैं. ये उनकी रणनीति रही है. पर ये भी सत्य है कि अगर डल्लेवाल को कुछ होता है या किसानों के साथ जोर जबरदस्ती होती है तो उनके साथ हमदर्दी जताने के लिए खालिस्तानी तैयार बैठें हैं. खालिस्तानी गतिविधियों में भी लगातार तेजी बढ़ती जा रही है. सोमवार को पंजाब पुलिस और यूपी पुलिस की संयुक्त ऑपरेशन में पीलीभीत में खालिस्तानी कमांडो फोर्स के 3 आतंकी एनकाउंटर में मारे गए हैं. उनके पास से दो AK-47 बरामद हुए हैं. राज्य में आम आदमी पार्टी की सरकार है. जाहिर है कि सरकार के कमजोर होने का लाभ उठाने के लिए खालिस्तानी कुछ भी करने को तैयार रहेंगे.