
राजनीति अपनी जगह होती है और विरोध की भी एक सीमा होती है. यह भारतीय लोकतंत्र की एक खूबसूरती रही है कि विरोध के अंतिम स्टेज पर भी कभी अपने विरोधियों के अनिष्ट की बात यहां नहीं रही है. हालांकि, अपने ही देश से अलग होकर बने पाकिस्तान और बांग्लादेश में विरोध पक्ष को खत्म करने की राजनीति होती रही है पर अपने देश में नहीं. लालू यादव अपनी मीठी बातों और हल्के फुल्के मजाक के लिए जाने जाते रहे हैं. उनका राजनीतिक जीवन भी दूध का धुला नहीं रहा है. उनके ऊपर भ्रष्टाचार और कदाचार के बहुत आरोप लगे हैं. किसी पर भी कीचड़ उछालने से पहले अपने दामन में जरूर झांकना चाहिए.
लालू यादव की इसरो वैज्ञानिकों से अपील की वह मोदी को सूर्यलोक पहुंचा दें... यह कहकर लालू यादव ने अपनी कुंठा ही दिखाई है. क्या वो अपने पुत्र को बिहार का सीएम बनाने के मोह में व्याकुल हो गए हैं कि उन्हें गलत और सही का भान नहीं रहा. क्या लालू यादव को कई साल सत्ता से दूर रहने का कष्ट साल रहा है? क्या उनके अंदर अपने विरोधियों को हमेशा के लिए खत्म करने की भावना पैदा हो गई है? उनके आज के स्पीच से इस तरह के कई सवाल उठ रहे हैं.
दरअसल चारा घोटाला, आय से अधिक संपत्ति घोटाला, जॉब स्कैम आदि में पूरे परिवार के फंसे होने और अपने बेटे को बिहार की सर्वोच्च कुर्सी पर आसीन कराने के मोह में वह धृतराष्ट्र बनते जा रहे हैं. लालू यादव ने अपनी स्पीच में आरोप लगाया कि देश का कोई नेता ऐसा नहीं है जिसके खिलाफ जांच एजेंसियों को नहीं लगाया गया है.
लालू यादव यह भूल गए कि उनकी अपनी पार्टी की सरकार थी जब सीबीआई ने मामला दर्ज किया था. पत्रकार संकर्षण ठाकुर ने अपनी किताब में लिखा है कि लालू यादव ने पीएम देवगौड़ा के आधिकारिक 7 रेस कोर्स निवास पर घुसते हुए पकड़ लिया और कहा का जी देवगौड़ा, इसीलिए तुमको PM बनाया था कि तुम हमारे खिलाफ केस तैयार करो? बहुत गलती किया तुमको PM बना के'.
संकर्षण लिखते हैं कि देवगौड़ा ने भी वैसा ही जवाब दिया था, 'भारत सरकार और CBI कोई जनता दल नहीं है कि भैंस की तरह इधर-उधर हांक दिया. आप पार्टी को भैंस की तरह चलाते हैं, लेकिन मैं भारत सरकार चलाता हूं'
लालू चाहते थे कि तत्कालीन प्रधानमंत्री एचडी देवगौड़ा CBI डायरेक्टर जोगिंदर सिंह को इस बात के लिए राजी करें कि उनका काम बन जाए. लालू नाराज हो गए. जल्द ही देवगौड़ा को पीएम पद छोड़ना पड़ा. लालू ने खुद पीएम बनने की बहुत कोशिश की पर वे कामयाब नहीं हुए. उनके और पीएम की कुर्सी के बीच विलेन उनके ही खास लोग बन गए.
इसके बाद देश के पीएम आइके गुजराल बने. गुजराल के पीएम बनने में लालू का बड़ा रोल था. पर गुजराल भी लालू यादव को सीबीआई से राहत दिलाने में नाकाम रहे. लालू ने अपनी बायोग्राफी ‘गोपालगंज टु रायसीना: माई पॉलिटिकल जर्नी’ में बताया है कि इंद्र कुमार गुजराल का नाम प्रधानमंत्री पद के लिए उन्होंने ही आगे बढ़ाया था.
आखिर 29 जुलाई 1997 की रात को CM आवास घेर लिया गया और उन्हें जेल जाने के लिए मजबूर होना पड़ा. लालू जेल नहीं जाना चाहते थे और खुलेआम हिंसक विरोध की धमकी भी दे चुके थे. जब सेना की तैनाती की चर्चा होने लगी, तब लालू दबाव में आ गए और उन्हें झुकना पड़ा. अगली सुबह चुपचाप लालू ने CBI कोर्ट में सरेंडर कर दिया.
लालू को यह भी पता है कि यूपीए 2 में सरकार बचाने के लिए एटॉमिक डील के समय किस तरह देश के नेताओं को सीबीआई का शिकार बनाया गया. इंडिया गठबंधन के मंच पर बैठे उनके साथी मुलायम सिंह यादव के पुत्र अखिलेश यादव को भी पता है कि किस तरह मुलायम सिंह यादव के खिलाफ आय से अधिक संपत्ति का मामला दर्ज कर सरकार बचाई गई थी.
राजनीति में विरोध अपनी जगह पर है, जब यह अपने किसी विरोधी के अनिष्ठ तक पहुंच जाता है तो यह विरोध नहीं कहलाता. इतने दिनों के सार्वजनिक जीवन में महत्वपूर्ण पदों पर रहने वाले लालू यादव को सीबीआई और ईडी की हकीकत मालूम है फिर वे उनके अंदर की ये कुंठा क्यों पैदा हुई ये समझ में नहीं आया.