
लालू यादव हंसी-मजाक में बड़ी बड़ी बातें बोल देते हैं, जिनका खास राजनीतिक मतलब होता है, और महत्व भी. पिछले साल राहुल गांधी को शादी की सलाह देकर लालू यादव ने INDIA ब्लॉक के नेता की रेस से नीतीश कुमार को एक झटके में ही बाहर कर दिया था - और अब उसी अंदाज में वो राहुल गांधी को उनकी भारत जोड़ो न्याय यात्रा को लेकर भी समझा रहे हैं.
पटना के गांधी मैदान से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के परिवार को लेकर लालू यादव की टिप्पणी पर जो बवाल हुआ है, वैसा तो नहीं लेकिन जून, 2023 में INDIA गुट की बैठक के बाद राहुल गांधी को जो सलाह दी थी, उसने तो धीरे से बहुत जोर का झटका दिया था.
नीतीश कुमार सहित विपक्ष के सीनियर नेताओं की मौजूदगी में राहुल से मुखातिब होकर लालू यादव ने कहा था, 'राहुल जी आप शादी कर लीजिये... हमलोग बारात जाना चाहते हैं... आपकी मम्मी भी यही चाहती हैं.'
लालू यादव की बात पर सबको हंसी आई, राहुल गांधी को भी. लेकिन नीतीश कुमार खून का ही घूंट पीकर रह गये थे. असल में लालू यादव ने अपनी तरफ से साफ कर दिया था कि बिहार में महागठबंधन के नेता भले ही नीतीश कुमार हों, लेकिन राष्ट्रीय स्तर पर INDIA ब्लॉक की बागडोर तो कांग्रेस नेता राहुल गांधी के ही हाथ में रहेगी.
बाद में जब राहुल गांधी की भारत जोड़ो न्याय यात्रा शुरू हुई तो सबसे ज्यादा विरोध के स्वर नीतीश कुमार की पार्टी जेडीयू की तरफ से ही सुनाई पड़े. तब नीतीश कुमार के एनडीए में लौटने की चर्चा भी जोर पकड़ने लगी थी - लेकिन न्याय यात्रा को लेकर लालू यादव या तेजस्वी यादव ने कभी रिएक्ट नहीं किया.
न्याय यात्रा को लेकर पहली बार लालू यादव का नजरिया सामने आया है - और वो नहीं चाहते कि राहुल गांधी सारा काम धाम छोड़ कर बस न्याय यात्रा करते रहें. वैसे तो बीच में ब्रेक लेकर राहुल गांधी लंदन भी हो आये हैं.
राहुल गांधी को लालू यादव को सलाह क्यों देनी पड़ी
इंडिया टुडे के MoTN सर्वे में भी राहुल गांधी की न्याय यात्रा का कोई खास प्रभाव नहीं बताया गया था. वैसे उससे पहले वाली राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा का कांग्रेस की जमीनी ताकत पर जो भी प्रभाव रहा हो, लेकिन उसके बाद हिमाचल प्रदेश, कर्नाटक और तेलंगाना में सरकार तो बन ही गई है. अब राज्यसभा चुनाव के दौरान हिमाचल प्रदेश में कुछ उठापटक हो रही है, वो बात अलग है.
राहुल गांधी को लालू यादव की सलाह है कि न्याय यात्रा को खत्म कर उनको INDIA ब्लॉक के सहयोगी दलों के बीच सीटों के बंटवारे का मामला सुलझाना चाहिये, और चुनावी तैयारियों पर फोकस करना चाहिये. राहुल गांधी की यात्रा गठबंधन में शामिल किसी भी पार्टी को अच्छी नहीं लगी थी, और अब लालू यादव ने भी हंसते हंसते वही बात कह दी है - ये राहुल गांधी के लिए अच्छी बात नहीं है.
राहुल गांधी की न्याय यात्रा पर लालू यादव ने कहा कि ये सारी चीजें करनी पड़ती हैं, केवल बैठने से काम नहीं चलने वाला है. फिर भी वक्त के हिसाब से जरूरी ये है, लालू यादव समझाते हैं, राहुल गांधी को विपक्षी गठबंधन को मजबूत करने पर ध्यान देना चाहिये.
बीबीसी के साथ एक इंटरव्यू में राहुल गांधी के लिए कोई एक सलाह की बात पूछी जाती है, तो लालू यादव कहते हैं, भारत जोड़ो यात्रा पर भी विचार करना चाहिये... और घूमना फिरना बंद कर अब लोगों को इकट्ठा करने की रणनीति बनानी चाहिये.
लालू यादव का जो अंदाज रहा है, उसके हिसाब से तो ये बात उन्होंने हल्के-फुल्के अंदाज में ही कही है, लेकिन बोलते वक्त उनके चेहरे पर ऐसा कोई भाव नहीं नजर आता है. हो सकता है, भावों पर उम्र और सेहत का प्रभाव हो.
लालू यादव ने ये बात पटना की जन विश्वास रैली के समापन समारोह से पहले कही थी. लालू यादव ने राहुल गांधी को तो सलाह दे डाली है, लेकिन अखिलेश यादव के दावे का लगता है वो सपोर्ट कर रहे हैं - और तभी वो नरेंद्र मोदी के परिवार पर टिप्पणी कर बवाल मचा दिये हैं. बिहार में भले ही उस बवाल का उतना असर न हो, लेकिन बाकी जगह तो बीजेपी का फायदा मिलना तकरीबन तय लग रहा है.
अखिलेश यादव का नारा और INDIA ब्लॉक की हकीकत
पटना में राहुल गांधी और तेजस्वी यादव के साथ मंच शेयर करने के बाद समाजवादी पार्टी के नेता अखिलेश यादव ने मिलकर बीजेपी के अगुवाई वाले एनडीए को शिकस्त देने की अपील की है. पटना पहुंच कर भले ही अखिलेश यादव साथ मिल कर चुनाव लड़ने की बात कर रहे हैं, लेकिन यूपी में राहुल गांधी की यात्रा के दौरान जो रवैया दिखाया, वो तो कहीं से भी मिलकर लड़ने वाला नहीं लगा.
लालू यादव सलाह जरूर दूर से दे रहे हैं, लेकिन साथ के मामले में वो राहुल गांधी के ज्यादा करीब नजर आते हैं. लालू यादव की सलाह भी बिहार से न्याय यात्रा के चले जाने के काफी दिनों बाद आई है - और जिस तरह तेजस्वी यादव ने गाड़ी में बिठाकर ड्राइव करते हुए राहुल गांधी को बिहार में घुमाया, वैसी उम्मीद तो राहुल गांधी को अखिलेश यादव से शायद ही हो. ये जरूर है कि उत्तर प्रदेश में कांग्रेस और समाजवादी पार्टी के बीच गठबंधन फाइनल और सीटों का बंटवारा हो गया है. बिहार में अभी ये काम बाकी है.
बिहार की रैली में अखिलेश यादव ने कहा था, 'नारा तो ये होना चाहिये कि यूपी और बिहार मिलकर 80 और 40... 120 हराओ.'
यूपी और बिहार में एनडीए को हराने के लिए अखिलेश यादव अपने भाषण के आखिर में कह रहे थे, ...और हम लोग इनका मुकाबला नहीं कर रहे होते तो कोई एजेंसी नहीं आती... उन्हें डर है कि ये ताकत मिल कर के ये गठबंधन बन करके उनको हटाने का काम करेगा... इसलिए मैं आपसे कहना चाहता हूं 120 हटाओ देश बचाओ... भाजपा हटाओ, संविधान बचाओ... भाजपा हटाओ, देश बचाओ... भाजपा हटाओ, आरक्षण बचाओ... भाजपा हटाओ, नौकरी पाओ... भाजपा हटाओ, संकट मिटाओ.
यूपी के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव कह रहे थे, 'अगर उत्तर प्रदेश 80 हराओ का नारा दे रहा है... तो बिहार भी पीछे नहीं... 40 हराओ का नारा यहां से निकल कर आ रहा है... अगर यूपी और बिहार मिलकर 120 सीट हरा देंगे तो भाजपा का क्या होगा?'
सवाल तो बहुत सुंदर है, लेकिन सवाल तो अखिलेश यादव से ही होना चाहिये कि ये सब बातें सिर्फ भाषणों में ही क्यों सुनाई देती हैं? और किससे मिल कर चुनाव लड़ने की बात कर रहे हैं? आखिर तक तो वो राहुल गांधी को आंख ही दिखाते रहे हैं.
हो सकता है, राहुल गांधी को लेकर अखिलेश यादव के मन में मध्य प्रदेश में उनके साथ हुए व्यवहार को लेकर गुस्सा हो. मध्य प्रदेश में कांग्रेस नेता कमलनाथ ने 'अखिलेश-वखिलेश' कह कर समाजवादी पार्टी नेता का मजाक तो उड़ाया ही था, और राहुल गांधी की तरफ से वैसी कोई प्रतिक्रिया नहीं आई, जैसी मोदी के मामले में मणिशंकर अय्यर के लिए आई थी. हो सकता है अखिलेश यादव को 2017 में कांग्रेस के गठबंधन का फायदा न मिलने का गुस्सा हो, और ये भी हो सकता है कि राहुल गांधी के क्षेत्रीय दलों की आइडियोलॉजी पर टिप्पणियों को सुन कर भी मन भारी हो रखा हो - लेकिन मिल कर चुनाव लड़ने के लिए तो ऐसी बातों को पीछे छोड़ कर आगे बढ़ना पड़ता है.
अखिलेश यादव चाहे जो भी नारा दें, लेकिन तो हकीकत ये है कि 2019 में यूपी और बिहार की 120 सीटों पर समाजवादी पार्टी, आरजेडी और कांग्रेस में से किसी का भी प्रदर्शन ठीक नहीं था. कांग्रेस को यूपी और बिहार दोनों राज्यों में एक एक सीट ही मिली थी.
बिहार में आरजेडी का तो खाता तक नहीं खुल सका था, और समाजवादी पार्टी को यूपी में 5 सीटें ही मिली थी. वो भी तब जब सपा-बसपा गठबंधन बना था और बीएसपी ने 10 सीटें जीती थी.
2019 की जीती हुई पांच सीटों में से समाजवादी पार्टी ने एक जरूर बरकरार रखा है, लेकिन 2 सीटें तो वो बीजेपी के हाथों ही गवां चुकी है. 2019 में कन्नौज से हार चुकीं डिंपल यादव मैनपुरी उपचुनाव जीत कर सांसद बनी हैं, लेकिन आजमगढ़ और रामपुर लोक सभा सीट अखिलेश यादव गवां चुके हैं.
ऐसे में विपक्ष के पास दोनों राज्यों में अब 17 में से 15 सीटें ही बची हैं, और बीएसपी भी INDIA ब्लॉक से बाहर है. एनडीए के पास 120 में से फिलहाल 105 सीटें हैं, और बीएसपी के कई सांसद भी बीजेपी के साथ जा रहे हैं - असल में यूपी-बिहार में INDIA ब्लॉक की हैसियत भी यही है, और हकीकत भी यही है.