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महाशिवरात्रि - जागृति की एक रात

महाशिवरात्रि पर, धरती के उत्तरी गोलार्ध की स्थिति ऐसी होती है कि वहां पर किसी इंसान में ऊर्जा का एक स्वाभाविक उफान आता है. इस दिन प्रकृति इंसान को उसके आध्यात्मिक शिखर की ओर धकेलती है. इस परंपरा में, इस रात का लाभ उठाने के लिए हमने एक उत्सव स्थापित किया जो रात भर चलता है.

सद्गुरु, ईशा फाउंडेशन सद्गुरु, ईशा फाउंडेशन
सद्गुरु
  • नई दिल्ली,
  • 01 मार्च 2022,
  • अपडेटेड 2:37 PM IST

भारतीय संस्कृति में, एक ऐसा समय था जब साल के हर दिन एक उत्सव हुआ करता था - साल में 365 उत्सव. दूसरे शब्दों में, उन्हें साल के हर दिन उत्सव मनाने बस एक बहाना चाहिए था. कुछ पूरी तरह सांस्कृतिक थे, कुछ पुराने राजाओं के विजय दिवस थे, कुछ फसल काटने के लिए थे और कुछ चरवाहे प्रकृति के थे, लेकिन महाशिवरात्रि पूरी तरह से आध्यात्मिक उत्सव था. 

महाशिवरात्रि का महत्व
जिसे आप ‘मैं’ कहते हैं, वह बस एक खास मात्रा में समय और ऊर्जा का मेल है. समय - आप उसे न तो धीमा कर सकते हैं, न ही उसे तेज भगा सकते हैं. यह अपनी ही गति से निरंतर चल रहा है, लेकिन ऊर्जा के साथ आप बहुत सी चीजें कर सकते हैं. आप ऊर्जा की एक उन्नत अवस्था में हो सकते हैं या आप ऊर्जा की एक क्षीण अवस्था में हो सकते हैं. आप जो हैं और इस दुनिया में आपकी मौजूदगी कितनी है, वह मुख्यतया इस पर निर्भर करता है कि आपकी ऊर्जाएं कितनी तीव्र और उन्नत हैं. 
दुनिया में कहीं भी, आध्यात्मिकता के सभी रूप मुख्यतया मानव ऊर्जा को उन्नत संभावनाओं के लिए ऊंचा उठाने की दिशा में हैं.

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कुछ पद्धतियों में, वे इसे सचेतन तौर पर संभालते हो सकते हैं; कई दूसरी पद्धतियों में, वे इसे अचेतन तौर पर संभालते हैं. जो लोग उससे कुछ अधिक होने की आकांक्षा कर रहे हैं, जो वे अभी हैं, उन सबके लिए शिवरात्रियों का खास महत्व है. 
चंद्र केलेंडर के हर महीने की चौदहवीं रात को, अमावस्या से पहले की रात को शिवरात्रि कहा जाता है. इस रात, आध्यात्मिक मार्ग पर चलने वाले लोग आम तौर पर विशेष महत्व की साधना करते हैं. साल में आने वाली बारह या तेरह शिवरात्रियों में से जो फरवरी-मार्च में, चंद्र केलेंडर के माघ महीने में आती है, उसे महाशिवरात्रि कहते हैं, क्योंकि सारी शिवरात्रियों में यह सबसे शक्तिशाली होती है. 

ऊर्जा की एक लहर 
महाशिवरात्रि पर, धरती के उत्तरी गोलार्ध की स्थिति ऐसी होती है कि वहां पर किसी इंसान में ऊर्जा का एक स्वाभाविक उफान आता है. इस दिन प्रकृति इंसान को उसके आध्यात्मिक शिखर की ओर धकेलती है. इस परंपरा में, इस रात का लाभ उठाने के लिए हमने एक उत्सव स्थापित किया जो रात भर चलता है. इस रात भर चलने वाले उत्सव का एक मकसद यह है कि आप जागे रहें. ऊर्जा के इस स्वाभाविक उफान को अपने मार्ग पर बढ़ने देने के लिए, आपको अपनी रीढ़ सीधी खड़ी रखनी होती है. 

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इस धरती पर जीवन के विकास के दौर में, एक महत्वपूर्ण चरण बिना रीढ़ के जीवों से रीढ़ वाले जीवों के विकास की ओर था. मस्तिष्क के विकास में एक दूसरा चरण, रीढ़ का लेटी स्थिति से खड़ी स्थिति में आना था. मनुष्य के रूप में, हम एकमात्र प्रजाति हैं जो एक खड़ी रीढ़ के स्तर पर आए हैं. और इस दिन, जब ग्रहों की स्थितियां ऐसी होती हैं कि ऊर्जा का स्वाभाविक उफान उठता है, तो रीढ़ को सीधी खड़ी रखने के जबरदस्त लाभ होते हैं - न सिर्फ आध्यात्मिक साधकों के लिए, बल्कि उनके लिए भी जो सांसारिक सफलता खोज रहे हैं. 

महाशिवरात्रि की रात को जब ऊर्जाएं ऊपर उठने की कोशिश कर रही हों, अगर आप लेटे रहते हैं तो आप उसमें रुकावट डाल रहे हैं. आप न सिर्फ उसके लाभ को खो देते हैं - आप खुद को एक बहुत सूक्ष्म तरीके से नुकसान भी पहुंचा सकते हैं. ये सब चीजें आपके लिए सिर्फ तब मायने रखती हैं जब आप एक पूर्ण विकसित इंसान होना चाहते हैं. एक पूर्ण विकसित इंसान होने का मतलब है कि आप अपने हर पहलू को खोलना चाहते हैं जो खुल सकते हैं. इसी मकसद से, हमने जागरण की प्रथा बनाई है - जिसका मतलब है सतर्क रहना और रीढ़ को सीधी रखना. 

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लोगों को इस दिन के महत्व को और रीढ़ को खड़ी रखना कितना महत्वपूर्ण है, इसको बताने के लिए तमामों कहानियां हैं. कर्नाटक और आंध्र प्रदेश के कुछ इलाकों में, जब घर की छतें टाइल की होती थीं, तो बच्चों को इस रात लोगों के घर पर पत्थर फेंकने को कहा जाता था. उससे टाइल की छत वाले घरों में इतनी जोर की आवाज होती थी कि लोग जाग जाते थे और आपको कोसते थे, लेकिन उससे फर्क नहीं पड़ता, क्योंकि कम से कम वे उठकर बैठ जाते थे. अगर आप उन्हें बैठा देते हैं तो उसी को एक बड़ी सेवा माना जाता था. 

तो, जब उफान मौजूद हो, जब एक बड़ी लहर मौजूद हो, अगर आप जानते हैं कि लहर की सवारी कैसे करें, तो यह बहुत आनंददायक होगा. अगर आप नहीं जानते कि लहर की सवारी कैसे करें, ता आप उसी लहर से कुचले जाएंगे. एक माहिर लहर सवार का सपना सुनामी की सवारी करना होता है. लेकिन सुनामी ज्यादातर लोगों के मन में आतंक पैदा कर देगी. इसी तरह महाशिवरात्रि पर, आपके अंदर एक छोटी सी सुनामी आती है. यह मेरी कामना और आशीर्वाद है कि आप अपनी खुशहाली के लिए इसकी सवारी करें और यह रात बस जागे रहने की रात न होकर उल्लासमय जागृति की रात बन जाए.

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(भारत में पचास सर्वाधिक प्रभावशाली गिने जाने वाले लोगों में, सद्गुरु एक योगी, दिव्यदर्शी, और युगदृष्टा हैं और न्यूयार्क टाइम्स ने उन्हें सबसे प्रचलित लेखक बताया है. 2017 में भारत सरकार ने सद्गुरु को उनके अनूठे और विशिष्ट कार्यों के लिए पद्मविभूषण पुरस्कार से सम्मानित किया है.)
 

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