
महुआ मोइत्रा को लेकर तृणमूल कांग्रेस की उलझन थोड़ी कम हुई है. पहले कैश-फॉर-क्वेरी केस को लेकर पूछे जाने पर टीएमसी प्रवक्ता पल्ला झाड़ लेते रहे, लेकिन अब पार्टी महासचिव अभिषेक बनर्जी ने सामने आकर पार्टी का रुख कुछ हद तक साफ कर दिया है.
पहले बहुत कुरेदे जाने पर भी टीएमसी प्रवक्ता इतना ही बोल पाते थे कि 'इस मुद्दे पर उनको कुछ नहीं बोलना है' - और अभिषेक बनर्जी की बातों में भी बहुत हद तक टीएमसी प्रवक्ता कुणाल घोष की तरफ से व्यक्त भाव की ही झलक मिलती है. महुआ मोइत्रा पर अभिषेक बहनर्जी का बयान पश्चिम बंगाल के शिक्षक भर्ती घोटाला केस में ED की पूछताछ के बाद आया है.
अभिषेक बनर्जी भी टीएमसी प्रवक्ता कुणाल घोष जैसी ही बातें कर रहे हैं, 'महुआ मोइत्रा अपनी लड़ाई खुद लड़ने में सक्षम हैं'. कुणाल घोष का भी कुछ ऐसा ही कहना था कि जो व्यक्ति विवादों में है, सही रिएक्शन भी वही दे सकता है.
महुआ मोइत्रा के बहाने अभिषेक बनर्जी ने प्रवर्तन निदेशालय की जांच पड़ताल को लेकर अपनी भी शिकायत मीडिया के जरिये दर्ज कराने की कोशिश की है. महुआ मोइत्रा की चर्चा के साथ ही अभिषेक बनर्जी ने कहा, 'केंद्र सरकार मुझे भी पिछले चार साल से परेशान कर रही है... ये बीजेपी की आदत हो गई है.' आगे कहते हैं, 'मैंने जांच में हमेशा सहयोग किया है... मेरे पास छिपाने के लिए कुछ नहीं है... ED के जितने सवाल थे, मैंने सभी का जवाब दिया है... अगर जांच एजेंसी फिर समन भेजती है, तो जरूर आऊंगा. अभिषेक बनर्जी के मुताबिक, उनकी तरफ से ED अधिकारियों को 6 हजार पेज का जवाब सौंपा गया है.'
महुआ मोइत्रा को तृणमूल कांग्रेस का सपोर्ट देर से मिला ये महत्वपूर्ण है. दुरूस्त है या नहीं ये उनको खुद ही समझना है. ये तो मानना पड़ेगा कि ममता बनर्जी ने अंधेर नहीं होने दी, लेकिन देर तो किया ही है - अब तक अपनी लड़ाई अकेले लड़ रहीं महुआ मोइत्रा को डूबते को तिनके के सहारे जैसी मदद तो मिल ही गयी है.
एथिक्स कमेटी की सिफारिश पर टीएमसी ने उठाया सवाल
महुआ मोइत्रा को लेकर अभिषेक बनर्जी ने जो कुछ कहा है वो काफी महत्वपूर्ण है, 'जो कोई भी अडानी मुद्दे पर सरकार से सवाल पूछ रहा है, उसे परेशान किया जा रहा है.'
अडानी के मुद्दे पर अब यही तृणमूल कांग्रेस का राजनीतिक बयान माना जाएगा. काफी दिनों से यही देखने में आ रहा है कि अडानी के मुद्दे पर ममता बनर्जी कुछ हद तक ही विपक्ष के साथ खड़ी हो पाती हैं - और शायद इसीलिए ऐसा बयान देने के लिए भतीजे अभिषेक बनर्जी को आगे कर दिया है.
अडानी पर संसद में राहुल गांधी के भाषण के बाद तृणमूल कांग्रेस नेता कांग्रेस के साथ तो थे, लेकिन जैसे ही जेपीसी से जांच कराने की बात आयी टीएमसी पीछे हट गयी. अडानी का नाम लेकर राहुल गांधी INDIA गठबंधन की बैठक में भी ममता बनर्जी के गुस्से का शिकार हो चुके हैं.
महुआ मोइत्रा के खिलाफ एथिक्स कमेटी की रिपोर्ट से अभिषेक बनर्जी खासे खफा नजर आ रहे हैं. अभिषेक बनर्जी ने महुआ मोइत्रा केस में केंद्र की बीजेपी सरकार को निशाना बनाया है. अभिषेक बनर्जी ने महुआ मोइत्रा को राजनीति का शिकार बताया है. महुआ मोइत्रा पर पैसे लेकर सवाल पूछने और लोक सभा की साइट से जुड़ा अपना लॉगिन पासवर्ड थर्ड पार्टी से शेयर करने का आरोप लगा है.
एथिक्स कमेटी की रिपोर्ट पर सवाल उठाते हुए अभिषेक बनर्जी पूछ रहे हैं, 'मुझे लगता है कि ये केंद्र सरकार का कदम है... मैंने एथिक्स कमेटी की रिपोर्ट के बारे में पढ़ा है... उन्होंने कहा है कि उनके खिलाफ जांच होनी चाहिये... अगर आपके पास महुआ मोइत्रा के खिलाफ कुछ नहीं है, और ये जांच का विषय है... ऐसे में निष्कासन की सिफारिश क्यों की गयी है?'
लेकिन अभिषेक बनर्जी ने एक बात ऐसी भी कह दी है जिसमें टीएमसी के पुराने स्टैंड का ही संकेत मिलता है, महुआ मोइत्रा अपनी लड़ाई खुद लड़ने में सक्षम हैं. सीधे सीधे समझें तो सही बात है, लेकिन ऐसा तो नहीं कि एथिक्स कमेटी पर सवाल उठाकर अभिषेक बनर्जी ने रस्म निभा ली हो.
महुआ मोइत्रा विवाद शुरू होने के शुरुआती दिनों में टीएमसी प्रवक्ता और पार्टी के राज्य सभा सांसद डेरेक ओ'ब्रायन का बयान आया था. कुणाल घोष सिर्फ दो वाक्यों में अपनी प्रतिक्रिया दी थी. एक, 'इस मुद्दे पर कुछ भी नहीं कहना है' - और दो, 'हमें लगता है कि जिस व्यक्ति के इर्द गिर्द ये विवाद घूम रहा है, वही इस पर प्रतिक्रिया देने के लिए सबसे उपयुक्त है.'
और टीएमसी नेता डेरेक ओ ब्रायन भी टालने वाले अंदाज में बोले थे, संसदीय समिति की जांच पूरी हो जाने के बाद ही तृणमूल कांग्रेस नेतृत्व इस मामले में उचित निर्णय लेगा, लेकिन अभिषेक बनर्जी के बयान के बाद बीती बातें पीछे छूट जाती हैं.
कई सवाल अब भी बने हुए हैं. अब भी ये नहीं साफ है कि तृणमूल कांग्रेस कहां तक महुआ मोइत्रा के साथ खड़ी है? महुआ मोइत्रा के मुद्दे पर अभिषेक बनर्जी ने ममता बनर्जी के कहने पर या उनकी अनुमति लेकर बयान दिया है, या फिर ईडी दफ्तर से निकलने के बाद गुस्से में ये सब कह डाला है? जो भी हो, जब तक ममता बनर्जी खुद कुछ नहीं बोलतीं या टीएमसी प्रवक्ता कोई बयान नहीं देते - महुआ मोइत्रा को ये ममता बनर्जी का मौन समर्थन ही माना जाएगा.
एथिक्स कमेटी की रिपोर्ट पर महुआ मोइत्रा की प्रतिक्रिया
अपने खिलाफ सीबीआई जांच के बीजेपी सांसद निशिकांत दुबे के दावे पर महुआ बनर्जी जो कुछ कहना था, बोल ही चुकी हैं. सीबीआई का स्वागत करते हुए महुआ मोइत्रा का कहना था कि आओ और मेरी जूतियां गिन लो.
एथिक्स कमेटी की रिपोर्ट को लेकर भी महुआ मोइत्रा ने अपनी प्रतिक्रिया में आगे के एक्शन के लिए भी चुनौती दे डाली है. महुआ मोइत्रा का कहना है कि ये सब कंगारू कोर्ट की तरफ से खेला गया एक फिक्स्ड मैच है. खबर है कि संसद की एथिक्स कमेटी ने महुआ मोइत्रा को संसद से निष्कासित किये जाने की सिफारिश की है.
अपने खिलाफ कार्रवाई की सिफारिश को लेकर महुआ मोइत्रा कहती हैं, भारत के लिए ये संसदीय लोकतंत्र की मौत है... भले ही वे मुझे निष्कासित कर दें, लेकिन मैं अगली लोक सभा में बड़े फासले के साथ जीत कर आऊंगी.
महुआ ने एक इंटरव्यू में कहा कि कमेटी की सिफारिश को अभी अंतिम रूप नहीं दिया गया है... इसे संसद के शीतकालीन सत्र में लिया जाना चाहिये. महुआ मोइत्रा का कहना है कि कार्रवाई की सिफारिश या ऐसा कोई भी फैसला उनको उनके इरादे से नहीं डिगा सकता.