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ममता बनर्जी को क्यों लगता है अरविंद केजरीवाल के मुद्दे से 2026 में फिर 'खेला' कर सकेंगी

ममता बनर्जी ने कभी भी ईवीएम में गड़बड़ी की शिकायत नहीं की. पर मतदाता सूची में गड़बड़ी करने के आरोपों को वो सही मानती हैं. उनका कहना है कि पश्चिम बंगाल में भी ऐसी साजिश हो रही है. इसके बावजूद ममता बनर्जी ने कहा है कि 2026 में फिर से टीएमसी ही सरकार बनाएगी.

ममता बनर्जी कोलकाता में तृणमूल कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए फर्जी मतदाताओं का मुद्दा उठाया ममता बनर्जी कोलकाता में तृणमूल कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए फर्जी मतदाताओं का मुद्दा उठाया
संयम श्रीवास्तव
  • नई दिल्ली,
  • 28 फरवरी 2025,
  • अपडेटेड 4:06 PM IST

कोलकाता के नेताजी इंडोर स्टेडियम में तृणमूल कांग्रेस के एक बड़े सम्मेलन को संबोधित करते हुए पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने 2026 के मार्च-अप्रैल में होने वाले विधानसभा चुनावों में फिर 'खेला-होबे' का दावा किया है. ममता बनर्जी ने राज्य में मुख्य विपक्षी दल बीजेपी पर जोरदार हमला किया. भारतीय जनता पार्टी हाल के महीनों में हरियाणा, महाराष्ट्र और दिल्ली में शानदार जीत दर्ज करने के बाद अब बंगाल में टीएमसी को चुनौती देने की पूरी तैयारी में है. ममता बनर्जी ने आरोप लगाया कि महाराष्ट्र और दिल्ली में बीजेपी की जीत मतदाता सूचियों में हेरफेर का परिणाम थी. ममता ने कहा कि बीजेपी ने चुनाव आयोग के आशीर्वाद से मतदाता सूचियों में गड़बड़ी की थी. महाराष्ट्र में विपक्षी महा विकास आघाड़ी और दिल्ली में आम आदमी पार्टी और कांग्रेस इसे पकड़ने में असफल रहे. ममता बनर्जी का कहना है कि टीएमसी ने ये गड़बड़ी पकड़ ली है . 

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दिल्ली चुनावों में अरविंद केजरीवाल ने बनाया था मुद्दा 

आम आदमी पार्टी के राष्ट्रीय संयोजक अरविंद केजरीवाल ने भारतीय जनता पार्टी पर नई दिल्ली विधानसभा क्षेत्र में वोटर लिस्ट में हेरफेर करने का गंभीर आरोप लगाया था. उन्होंने इस मामले में कार्रवाई की मांग करते हुए मुख्य चुनाव आयुक्त को पत्र भी लिखा था. उन्होंने सवाल उठाया था कि दिसंबर और जनवरी के दौरान भाजपा के कई मंत्रियों और सांसदों के घरों के पते से 20-30 और यहां तक ​​कि 40 नए मतदाता पहचान पत्र बनाने के लिए आवेदन किए गए थे. ऐसा कैसे हो गया कि अचानक इतने सारे लोग भाजपा सांसदों के घरों में रहने लगे? अरविंद केजरीवाल ने आरोप लगाया था कि ऐसे मामले भी हैं जिनमें एक कमरे वाली झुग्गी से 30 नए वोटर बनाने के लिए आवेदन किए गए हैं, या एक छोटी सी दुकान में 40 नए वोट बनाने के लिए आवेदन किए गए हैं, ये लोग कौन हैं?

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अरविंद केजरीवाल ने अपने पत्र में लिखा था कि अगर भाजपा द्वारा 5,500 असली वोट (कुल मतदाताओं का 5.5%) को धोखाधड़ी से हटाने और 13,000 नकली वोट (मौजूदा कुल मतदाताओं का 13%) जोड़ने का प्रयास सफल हो जाता, तो नई दिल्ली निर्वाचन क्षेत्र में 18% वोटों का स्थायी रूप से परिवर्तन हो जाएगा. 

कुछ ऐसे ही आरोप ममता बनर्जी भी लगा रही हैं. ममता ने मंच से एक सूची लहराते हुए दावा किया कि इसमें फर्जी मतदाताओं के नाम हैं. उन्होंने आरोप लगाया कि मेरे पास सभी जिलों के उदाहरण हैं. हरियाणा और गुजरात के लोगों के नाम बंगाल के मतदाता के रूप में दर्ज हैं, एक ही EPIC (इलेक्ट्रोरल फोटो आइडेंटिटी कार्ड) नंबर होने के बावजूद ऑनलाइन फर्जी मतदाता जोड़े गए हैं.

महाराष्ट्र चुनाव हारने के बाद एमवीए ने भी उठाए थे ऐसे सवाल

महाराष्ट्र चुनाव हारने के बाद कांग्रेस ने 12 पन्नों के दस्तावेज़ में चुनाव आयोग को एक ज्ञापन सौंपा था. कांग्रेस का पहला आरोप मतदाताओं को मनमाने ढंग से हटाने का था, और दूसरा प्रत्येक निर्वाचन क्षेत्र में 10,000 से अधिक मतदाताओं को शामिल करने का था. हालांकि, कांग्रेस ने मतदान प्रतिशत में बढ़ोतरी को भी मुद्दा बनाया था जो सीधे सीधे ईवीएम पर हमला था. कांग्रेस ने कहा कि मतदाता रिकॉर्ड को मनमाने ढंग से शामिल करने या हटाने के कारण जुलाई 2024 और नवंबर 2024 के बीच मतदाता सूची में लगभग 47 लाख मतदाताओं की अभूतपूर्व वृद्धि हुई. कांग्रेस का आरोप था कि 50 विधानसभा सीटों में से जहां औसतन 50,000 मतदाताओं की वृद्धि हुई, सत्तारूढ़ शासन और उसके सहयोगियों ने 47 सीटों पर जीत हासिल की थी.

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ममता बनर्जी कभी भी ईवीएम विरोध गैंग का हिस्सा नहीं रहीं

ममता बनर्जी और उनकी पार्टी ने कभी चुनावों में ईवीएम का विरोध नहीं किया. न कभी ईवीएम के विरोध में विपक्ष की हां में हां मिलाया. चाहे सुप्रीम कोर्ट रहा हो या चुनाव आयोग कभी विपक्ष के नेताओं के साथ ईवीएम का विरोध करने के लिए वो साथ खड़ी नहीं दिखीं. यहां तक कि महाराष्ट्र और हरियाणा के चुनावों में विपक्ष को बुरी हार मिलने के बाद एक बार फिर पूरा विपक्ष एकजुट होकर ईवीएम का विरोध कर रहा था. पर जम्मू कश्मीर के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला और ममता बनर्जी के भतीजे सांसद अभिषेक बनर्जी ने ईवीएम पर सवाल उठाने के लिए विपक्ष को आड़े हाथ लिया था.अभिषेक बनर्जी ने तब कहा था कि मेरी राय में जो लोग ईवीएम पर सवाल उठा रहे हैं उन्हें चुनाव आयोग जाकर यह बताना चाहिए कि मशीन में क्या खामियां हैं. अभिषेक बनर्जी ने यह भी कहा कि इलेक्शन कमीशन को डेमो दिखाना चाहिए कि उनके पास गड़बड़ी विडियो है. पर मतदाता सूचियों में गड़बड़ी की बात पर अब ममता बनर्जी को यकीन हो गया है कि चुनाव आयोग से मिलकर बीजेपी के पक्ष में बहुत बड़ी गड़बड़ कर रही है. उन्होंने कहा कि मैं चुनाव आयोग का सम्मान करती थी, लेकिन अब ऐसा लगता है कि वहां बीजेपी समर्थक लोग भरे पड़े हैं. ममता ने चेतावनी देते हुए कहा, मत भूलो, हम भी दिल्ली में चुनाव आयोग के दफ्तर के बाहर धरने पर बैठ सकते हैं.

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क्या ममता बनर्जी एंटी इंकंबेंसी से डर गई हैं

दरअसल, ममता बनर्जी तीसरा कार्यकाल पूरा करने जा रही हैं. कुल 15 साल शासन करने के बाद किसी भी सरकार के खिलाफ जनता में नाराजगी का होना स्वाभाविक है. अरविंद केजरीवाल के खिलाफ भी दिल्ली में एंटी इंकंबेंसी थी, जो उनकी हार के सबसे बड़े कारणों में से एक था. इसमें कोई दो राय नहीं हो सकती कि अपने समर्थक वोटर्स के नाम मतदाता सूचियों में ऐड कराने की परंपरा बहुत पहले से रही है. ये काम सभी पार्टियां अलग अलग दौर में करती रहीं हैं. जाहिर है बीजेपी ने भी किया होगा. पर दिल्ली (विधानसभा चुनाव से पहले) और बंगाल में बीजेपी सरकार नहीं है. और मतदाता सूचियों के काम अधिकतर स्टेट गवर्नमेंट के इंप्लॉई के जिम्मे होते हैं. दूसरे मतदाता सूचियों में हेरफेर बहुत मामूली हो सकता है. दिल्ली में अगर अरविंद केजरीवाल बड़ी बहुमत से जीत रहे होते तो कुछ हजार वोटों की चिंता नहीं करते. यही सवाल ममता बनर्जी के लिए भी उठता है. क्या इस बार ममता बनर्जी डरी हुईं हैं . क्योंकि उन्होंने तो कभी ईवीएम पर सवाल नहीं उठाया तो अब अपने ही राज्य में मतदाता सूचियों में गड़बड़ी की बात क्यों करने लगी हैं? 

ममता बनर्जी इस कदर डरी हुईं हैं कि उन्होंने मतदाता सूचियों के वेरिफिकेशन के काम में चुनावों के 18 महीने पहले ही कार्यकर्ताओं को सजग कर दिया है. ममता ने टीएमसी नेताओं और कार्यकर्ताओं को पूरे राज्य में मतदाता सूची की भौतिक जांच करने का टास्क दिया है. टीएमसी कार्यकर्ताओं को आदेश देते हुए ममता बनर्जी कहती हैं, हमारा पहला काम मतदाता सूची की फिजिकल वेरिफिकेशन करना है, बूथ स्तर के कार्यकर्ता इसे तुरंत शुरू करें. जिला अध्यक्ष इस प्रक्रिया की निगरानी करें, और सात दिन के भीतर रिपोर्ट दें. उन्होंने इसके लिए टीएमसी सांसदों, विधायकों और अन्य नेताओं की एक उच्च-स्तरीय समिति गठित करने की घोषणा की है, जिसमें अभिषेक बनर्जी, सुब्रत बख्शी, फिरहाद हकीम और डेरेक ओ ब्रायन सहित कई वरिष्ठ नेता शामिल होने वाले हैं.

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