
INDIA ब्लॉक में नेतृत्व का मसला लगता नहीं कि जल्दी सुलझने वाला है. और, जरूरी नहीं कि ममता बनर्जी के राहुल गांधी की जगह ले लेने के बाद सब ठीक हो जाये - क्योंकि, तृणमूल कांग्रेस से कांग्रेस को मिली चुनौती के बाद आम आदमी पार्टी की तरफ से नया पैंतरा शुरू हो गया है.
ममता बनर्जी की तरह अरविंद केजरीवाल को सपोर्ट तो नहीं मिला है, और ऐसी कोई चर्चा भी नहीं शुरू हुई है. लेकिन, अरविंद केजरीवाल की तरफ से हो रही कोशिशें तो साफ साफ इशारा कर रही हैं.
नेतृत्व में बदलाव की हालिया पहल तो ममता बनर्जी की तरफ से ही हुई है. बात ये भी है कि लालू यादव ने आगे बढ़ कर खुला सपोर्ट कर दिया है. और लालू यादव के अलावा भी समर्थन मिलने लगा है.
अरविंद केजरीवाल के प्रयास ममता बनर्जी जैसे तो नहीं हैं, लेकिन एक्शन करीब करीब वैसा ही है. शायद लालू यादव अरविंद केजरीवाल की पहुंच के बाहर हैं, इसलिए वो अलग अलग मुद्दों पर शरद पवार और अखिलेश यादव को अपने सपोर्ट में खड़ा करने की कोशिश कर रहे हैं - और ये चीज ममता बनर्जी के खिलाफ जाती हुई लग रही है.
INDIA ब्लॉक में ममता के बाद केजरीवाल
महाराष्ट्र चुनाव में हार के बाद महाविकास आघाड़ी की तरफ से ईवीएम को लेकर सवाल खड़े किये गये थे. कांग्रेस ने आगे से चुनाव ही बैलेट पेपर से कराने की मांग कर डाली है.
चुनाव नतीजे आने के बाद 10 दिसंबर को अरविंद केजरीवाल शरद पवार से मिलने के लिए उनके दिल्ली आवास पर मीटिंग के लिए पहुंचे. मीटिंग में कांग्रेस नेता और सुप्रीम कोर्ट के सीनियर वकील अभिषेक मनु सिंघवी भी मौजूद थे.
बैठक में विशेष चर्चा तो ईवीएम को लेकर ही हुई, जोर इस बात पर भी था कि इंडिया ब्लॉक को इस मसले पर ठोस रुख अपनाने की कोशिश करनी चाहिये. मीटिंग में एनसीपी (शरदचंद्र पवार) के कुछ नेता और कई हारे हुए उम्मीदवार भी पहुंचे थे. बैठक के बाद बताया गया कि महाराष्ट्र चुनाव में ईवीएम की गड़बड़ी को लेकर सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की जाएगी.
शरद पवार के बाद अरविंद केजरीवाल ने अखिलेश यादव को भी अपने करीब लाने के प्रयास शुरू कर दिये हैं. वैसे भी अखिलेश यादव और राहुल गांधी के बीच टकराव जगजाहिर हो चुका है, और अरविंद केजरीवाल भला ये मौका क्यों जाया होने दें.
निर्भया गैंगरेप केस की 12वीं बरसी पर दिल्ली में आम आदमी पार्टी की सरकार की तरफ से 'महिला अदालत' कार्यक्रम का आयोजन हुआ था. कार्यक्रम में दिल्ली की मुख्यमंत्री आतिशी के साथ अरविंद केजरीवाल भी मौजूद थे, लेकिन विशेष अतिथि के तौर पर समाजवादी पार्टी के नेता अखिलेश यादव को बुलाया गया था.
बेशक इंडिया ब्लॉक में लालू यादव की बात ज्यादा मायने रखती है, लेकिन अखिलेश यादव और शरद पवार भी तो अपना अपना छोर मजबूती के साथ संभालते ही हैं - और यही वजह है कि अरविंद केजरीवाल ने अपनी रणनीति पर काम करना शुरू कर दिया है.
ममता को मिलेगी INDIA ब्लॉक में केजरीवाल से चुनौती
ममता बनर्जी ने खुल कर बोल दिया है कि वो बंगाल तो नहीं छोड़ेंगी, लेकिन कोलकाता से ही इंडिया ब्लॉक का काम देख सकती हैं. अरविंद केजरीवाल के पक्ष में तो ये बात भी जाती है कि वो दिल्ली में ही रहते हैं.
वैसे भी अरविंद केजरीवाल लोकसभा चुनाव के पहले से ही प्रधानमंत्री पद के दावेदार रहे हैं. खुद अरविंद केजरीवाल भी और उनके साथी नेता भी आम चुनाव से पहले जोर जोर से कह रहे थे कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को अगर कोई चुनौती दे सकता है, तो आम आदमी पार्टी के नेता ही हैं.
आम आदमी पार्टी की तरफ से इस तरह के दावे तो विपक्ष के सारे नेताओं की दावेदारी को नकारने के मकसद से ही किये जाते रहे होंगे. ये बात अलग है कि अरविंद केजरीवाल जेल से जमानत पर छूट कर चुनाव कैंपेन करने के बावजूद दिल्ली में एक भी लोकसीट नहीं जीत पाये.
उससे पहले जब ममता बनर्जी विपक्ष को एकजुट कर रही थीं, तो भी अरविंद केजरीवाल दूरी बनाकर चल रहे थे. ममता बनर्जी के प्रयासों की याद दिलाते हुए जब पूछा गया तो उनका कहना था कि वो ऐसी राजनीति से दूर रहते हैं.
खुलकर न सही, लेकिन अरविंद केजरीवाल ने अपने लिए प्रयास तो शुरू कर ही दिया है. ये प्रयास फिलहाल राहुल गांधी के खिलाफ लगते होंगे, लेकिन आगे चलकर ममता बनर्जी के लिए भी चुनौती तो बनेंगे ही, बशर्ते ममता बनर्जी का मिशन कामयाब हो जाये.