
आम आदमी पार्टी और कांग्रेस के बीच चुनावी गठबंधन अरविंद केजरीवाल केजरीवाल के जेल जाने से पहले ही फाइनल हो चुका था. आप का शुरू से ही स्टैंड साफ था कि कांग्रेस के साथ दिल्ली और दूसरे राज्यों में तो होगा, लेकिन पंजाब में हरगिज नहीं. और हुआ भी वही.
पंजाब में तो दोनों एक दूसरे के साथ दो-दो हाथ कर रहे हैं, लेकिन दिल्ली में गठबंधन के तहत आम आदमी पार्टी 4 लोकसभा सीटों पर, जबकि कांग्रेस 3 सीटों पर चुनाव लड़ रही है - एक तीसरा मॉडल चंडीगढ़ में दिखाई देता है.
आप और कांग्रेस ने दिल्ली के अलावा दूसरे राज्यों में भी चुनावी समझौता किया है, जिसमें चंडीगढ़ लोकसभा सीट भी शामिल है - चंडीगढ़ से कांग्रेस नेता मनीष तिवारी चुनाव लड़ रहे हैं.
दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के सामने पहले से ही मुसीबतों का अंबार लगा हुआ है, और चुनाव कैंपेन अलग से चुनौती है. अंतरिम जमानत पर सुप्रीम कोर्ट का आदेश आने से पहले ही ईडी ने चार्जशीट फाइल करने की पूरी तैयारी कर ली है, और जमानत का विरोध तो पहले से ही हो रहा है.
अरविंद केजरीवाल की गैरहाजिरी में उनकी पत्नी सुनीता केजरीवाल ने कैंपेन की जिम्मेदारी संभाल ही है, और पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान सहित तमाम आप नेता उनकी मदद में खड़े भी हैं. और जल्दी ही आम आदमी पार्टी दिल्ली में कैंपेन का चौथा फेज शुरू करने जा रही है - जिसमें 'जेल का जवाब वोट से' के तहत अलग अलग तरीके से चार तरह के कार्यक्रम चलाये जाने हैं.
AAP के सामने चंडीगढ़ मॉडल की चुनौतियां
चुनावी गठबंधन के तहत चंडीगढ़ लोकसभा सीट कांग्रेस के हिस्से में है. चंडीगढ़ से कांग्रेस ने मनीष तिवारी को टिकट दिया है. मनीष तिवारी फिलहाल पंजाब के आनंदपुर साहिब से सांसद हैं.
एक बार जब मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ के बीजेपी में जाने की जोरदार चर्चा थी, तभी मनीष तिवारी का नाम भी उछला था. कहा जा रहा था कि वो लुधियाना से चुनाव लड़ना चाहते हैं, और टिकट के लिए बीजेपी के संपर्क में हैं. हालांकि, उनके ऑफिस की तरफ से ऐसी खबरों का खंडन किया गया - और आखिरकार कांग्रेस में ही चंडीगढ़ पर बात फाइनल हो गई. मनीष तिवारी लुधियाना से भी सांसद रह चुके हैं.
अब चंडीगढ़ के लोगों से वो कह रहे हैं कि आनंदपुर साहिब अगर कर्मभूमि है तो चंडीगढ़ उनकी जन्मभूमि है - जिसे अब वो कर्मभूमि बनाने की तैयारी कर रहे हैं.
चंडीगढ़ के लिए चुनावी तैयारियां भी वो काफी पहले से कर रहे हैं, जहां अपने सांसद कोटे से वो 10 लाख रुपये का फंड बहुत पहले ही दे चुके हैं. मनीष तिवारी ने राम दरबार इलाके में ओपन एयर जिम के लिए 5 लाख और चंडीगढ़ के सेक्टर 12 में पंजाब इंजीनियरिंग कॉलेज में जिम के लिए 5 लाख रुपये दिये थे - और तभी से उनके चंडीगढ़ से चुनाव लड़ने की चर्चा होने लगी थी.
अपने चुनाव प्रचार के दौरान मनीष तिवारी लोगों से कहते हैं कि वो कांग्रेस और आप के संयुक्त उम्मीदवार हैं - और कांग्रेस के हाथ ने आप का झाड़ू उठा लिया है.
सवाल ये है कि क्या मनीष तिवारी के कैंपेन का पंजाब के वोटर पर कोई असर नहीं हो रहा होगा? वो भी तब जबकि मनीष तिवारी आनंदपुर साबिह के सांसद हैं, और लुधियाना का लोकसभा में प्रतिनिधित्व कर चुके हैं.
अव्वल तो दिल्ली मॉडल पंजाब में, और पंजाब का पैटर्न दिल्ली में दोनों के लिए बड़ा चैलेंज था, लेकिन अब तो लग रहा है कि चंडीगढ़ मॉडल दिल्ली और पंजाब दोनों की जगहों के लिए सबसे बड़ा चैलेंज है.
पंजाब में मान की मुसीबत बने कांग्रेस उम्मीदवार
मनीष तिवारी के आनंदपुर साहिब एक आंदोलनकारी की पुलिस द्वारा पिटाई का वीडियो वायरल होकर भगवंत मान की मुश्किलें बढ़ा रहा था. उस वीडियो क्लिप को कांग्रेस के संगरूर उम्मीदवार सुखपाल सिंह खैरा ने अपने सोशल मीडिया अकाउंट से पोस्ट कर दिया है.
भगवंत मान संगरूर से ही आते हैं, और दो बार संसदीय चुनाव जीत चुके हैं, लेकिन मुख्यमंत्री बनने के बाद सदस्यता छोड़ी तो लोकसभा सीट हाथ से निकल गई. भगवंत मान हर हाल में उसे आप के लिए जीतना चाहते हैं, लेकिन वहां बेरोजगार यूनियन के लोग अलग से चुनौती बने हुए हैं.
आप नेता और मुख्यमंत्री भगवंत मान कांग्रेस उम्मीदवार सुखपाल सिंह खैरा को बाहरी बताकर लोगों से भगा डालने की अपील कर रहे हैं. लोगों से कह रहे हैं कि ऐसे उम्मीदवार को चुनाव कतई न जीतने दें जो वहां के लोगों के बारे में कुछ भी नहीं जानता.
भगवंत मान लोगों से कहते हैं, कि कांग्रेस उम्मीदवार खैरा को इलाके के 10 गांवों का भी नाम नहीं मालूम होगा - और संगरूर पहुंचने के लिए भी जीपीएस की मदद लेनी होगी.
और ये है दिल्ली मॉडल
दिल्ली में अभी तक तो आम आदमी पार्टी का चुनाव कैंपेन अरविंद केजरीवाल की गिरफ्तारी पर ही फोकस था, लेकिन अब हर तबके तक पहुंचने की कोशिश हो रही है, और उसी के हिसाब से कार्यक्रम डिजाइन किये गये हैं.
आप के कैंपेन के तीन चरण दिल्ली में पूरे हो चुके हैं. आप अपना चुनाव कैंपेन 'जेल का जवाब वोट से' मुहिम के तहत चला रही है - और कुछ दिनों से डोर-टू-डोर कैंपेन के अलावा सुनीता केजरीवाल रोड शो भी कर रही हैं.
दिल्ली में आप के संयोजक गोपाल राय के मुताबिक, चुनाव प्रचार का चौधा चरण जल्द ही शुरू होने जा रहा है - और चार लोकसभा सीटों के लिए कैंपेन का एक्शन प्लान खासतौर पर तैयार किया गया है.
ध्यान देने वाली बात ये है कि आम आदमी पार्टी अपने हिस्से की चार सीटों पर ही फोकस कर रही है. और ठीक वैसे ही कांग्रेस भी अपने खाते की तीन सीटों पर - लेकिन दोनों साथ मिल कर चुनाव प्रचार नहीं कर रहे हैं. ये सवाल उठने पर दोनों पक्ष एक दूसरे के लिए जरूरत के वक्त हाजिर होने की बात तो करते हैं, लेकिन एक दो हल्की फुल्की बैठकों के अलावा इस मुद्दे पर बात कभी आगे नहीं बढ़ सकी है.