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मिल्‍कीपुर उपचुनाव में योगी और अखिलेश ही नहीं, सांसद अवधेश प्रसाद की साख भी दांव पर है | Opinion

समाजवादी पार्टी नेता अखिलेश यादव ने मिल्कीपुर की जिम्मेदारी अयोध्या के सांसद अवधेश प्रसाद को दे डाली है, क्योंकि, उम्मीदवार तो उनका बेटा ही है. और, इसलिए ये चुनाव उनके लिए भी प्रतिष्ठा का सवाल बन गया है - योगी आदित्यनाथ के लिए मिल्कीपुर तो ‘बदलापुर’ ही बन गया है.

बेटे के मिल्कीपुर के मैदान में होने से अवधेश प्रसाद पर एक्स्ट्रा प्रेशर पड़ रहा है, वो योगी आदित्यनाथ और अखिलेश यादव जैसे बड़े नेताओं के बीच पिस रहे हैं. बेटे के मिल्कीपुर के मैदान में होने से अवधेश प्रसाद पर एक्स्ट्रा प्रेशर पड़ रहा है, वो योगी आदित्यनाथ और अखिलेश यादव जैसे बड़े नेताओं के बीच पिस रहे हैं.
मृगांक शेखर
  • नई दिल्ली,
  • 08 जनवरी 2025,
  • अपडेटेड 12:36 PM IST

मिल्कीपुर की लड़ाई सीधे सीधे समाजवादी पार्टी और भारतीय जनता पार्टी के बीच है, मतलब - चुनाव मैदान में कोई भी नाम हो, मुकाबला तो अखिलेश यादव और योगी आदित्यनाथ के बीच ही है. 

कांग्रेस, कहने भर को, समाजवादी पार्टी के साथ है, और बहुजन समाज पार्टी मैदान से बाहर हो गई है. शुरू में बीएसपी ने अपने उम्मीदवार का नाम जरूर बताया था, लेकिन यूपी की 9 सीटों पर हुए उपचुनाव के बाद मायावती ने कदम पीछे खींच लिये. 

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मिल्कीपुर एससी के लिए सुरक्षित विधानसभा सीट है, समाजवादी पार्टी के विधायक रहे अवधेश प्रसाद के फैजाबाद सीट से लोकसभा सांसद बन जाने से खाली हुई इस सीट पर अब 5 फरवरी को मतदान होने जा रहा है. मिल्कीपुर में भी चुनाव 9 विधानसभा सीटों पर हुए उपचुनाव के साथ होना था, लेकिन 2022 में बीजेपी उम्मीदवार रहे बाबा गोरखनाथ की याचिका अदालत में लंबित होने के कारण चुनाव आयोग ने भी होल्ड कर लिया था. बाबा गोरखनाथ के याचिका वापस ले लेने के बाद ही चुनाव का रास्ता साफ हो पाया - और अब 8 फरवरी तक नतीजे भी आ जाने की संभावना है.  

ऐसे में जबकि बेटा चुनाव लड़ रहा है, और समाजवादी सांसद को राष्ट्रीय स्तर पर अयोध्या के सांसद के रूप में अखिलेश यादव के साथ साथ राहुल गांधी ने भी प्रोजेक्ट किया है, मिल्कीपुर उपचुनाव से अवधेश प्रसाद की भी प्रतिष्ठा जुड़ गई है - जिससे उनकी भी साख दांव पर लगती है. 

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अवधेश प्रसाद का चुनाव कैंपेन कैसा चल रहा है

फैजाबाद से समाजवादी सांसद अवधेश प्रसाद कार्यकर्ताओं की हौसलाअफजाई करते हुए कहते हैं, मुख्यमंत्री चाहे एक बार आयें, 10 बार आयें… चाहे रोज आयें, लेकिन मिल्कीपुर की जनता पर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा. 

कार्यकर्ताओं का जोश बढ़ाने के लिए तो ये सब ठीक है, लेकिन हाल के उपचुनावों में समाजवादी पार्टी ने मिल्कीपुर के बगली कटेहरी और संभल की कुंदरकी विधानसभा सीट भी गवां दी थी. वो तो मैनपुरी की करहल सीट थी जिसने इज्जत बचा ली. मैनपुरी से डिंपल यादव सांसद हैं, और करहल विधानसभा सीट अखिलेश यादव के कन्नौज से लोकसभा पहुंच जाने के कारण खाली हुई थी. 

समाजवादी पार्टी के लिए सबसे बड़ा झटका था कुंदरकी सीट पर बीजेपी की बड़ी जीत. मुस्लिम बहुल आबादी के बीच से बीजेपी ने जिस तरह समाजवादी पार्टी से कुंदरकी सीट जीत ली, वो मिल्कीपुर के लिए भी खतरे का संकेत है. 

अवधेश प्रसाद कह रहे हैं, 2027 के चुनाव का रास्ता मिल्कीपुर से ही निकलेगा… यहां से एक संदेश जाएगा कि 2027 के चुनाव में बीजेपी का सफाया होगा… और अखिलेश यादव के नेतृत्व में उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी की सरकार बनेगी.  

अयोध्या और राम मंदिर में दर्शन के सवाल पर भी अवधेश प्रसाद अपने नेता से दो कदम आगे दिखाई पड़ते हैं. कहते हैं, मेरा तो पूरा परिवार राममय है… मेरे पूर्वजों का नाम राम से ही शुरू होता है… मेरे बाबा का नाम, मेरे पिता का नाम, मेरे मामा का नाम और मेरे ससुर के नाम के आगे और पीछे भी राम लगा हुआ है, लेकिन बीजेपी के किसी नेता के नाम के आगे या पीछे राम नहीं हैं. 

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अवधेश प्रसाद कहते हैं, अपवाद छोड़ दिया जाये तो एक दो नेताओं के नाम के आगे और पीछे राम हो सकता है… यहां तो पूरा राममय है… हम सौभाग्यशाली हैं कि मेरे बाबा से लेकर पिता और ससुर तक सबके नाम के आगे और पीछे राम का नाम लगा हुआ है… हमारे रोम रोम में राम हैं. 

अयोध्या और राम मंदिर पर अखिलेश यादव का जो स्टैंड है, वो हाल फिलहाल प्रयागराज के महाकुंभ के मामले में भी नजर आता है, लेकिन अवधेश प्रसाद खुद को थोड़ा अलग पेश करते हैं, हमारी विचारधारा मर्यादा पुरुषोत्तम राम से जुड़ी है… जिस मर्यादा को बीजेपी ने विखंडित किया है, उस राम की मर्यादा को सिर्फ अयोध्या ही नहीं, पूरे देश में स्थापित करने का काम करूंगा.

अवधेश प्रसाद का भाषण सुनकर समाजवादी पार्टी की मिल्कीपुर को लेकर फिक्र साफ साफ समझ में आ रही है. ये भी लगता है कि अखिलेश यादव ने अवधेश प्रसाद पर मिल्कीपुर को लेकर एक्स्ट्रा प्रेशर डाल दिया है. 

मिल्कीपुर में निर्णायक वोटर कौन होगा?

मिल्कीपुर में 3.50 लाख से ज्यादा वोटर हैं, और उनमें भी सबसे ज्यादा आबादी दलितों की है, जो सवा लाख से ज्यादा हैं. बीएसपी के यहां चुनाव लड़ने को लेकर संशय है, क्योंकि हाल में संपन्‍न हुए उपचुनावों में हिस्सा लेकर कोई फायदा नहीं हुआ. और, अब मायावती की नजर दिल्ली विधानसभा चुनाव पर जा टिकी है. 

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मिल्कीपुर के लिए काफी पहले मायावती ने रामगोपाल कोरी के नाम का ऐलान किया था, जो 2017 के विधानसभा चुनाव में तीसरे स्थान पर थे, लेकिन अब बीएसपी नेतृत्व का इरादा बदल गया है. 

समाजवादी पार्टी अवधेश प्रसाद के बेटे को उम्मीदवार बनाने के साथ साथ पीडीए फॉर्मूले के हिसाब से आगे बढ़ रही है. दलित वोट के अलावा मिल्कीपुर में, रिपोर्ट के अनुसार, 55 हजार यादव, 30 हजार से ज्यादा मुस्लिम वोट हैं. पीडीए से इतर देखें तो करीब 60 हजार ब्राह्मण, 30 हजार क्षत्रिय, 50 हजार कोरी, चौरसिया, पाल और मौर्य वोटर हैं. 

2017 विधायक रह चुके बाबा गोरखनाथ को 2022 के विधानसभा चुनाव में 90.5 हजार वोट मिले थे, लेकिन 13 हजार वोट कम पड़ जाने से वो अवधेश प्रसाद से हार गये थे. तब अवधेश प्रसाद को 1.03 लाख वोट मिले थे.

वोटों के समीकरण के हिसाब से सपा उम्मीदवार अजीत प्रसाद भारी जरूर लगते हैं, लेकिन दलित वोट तो उसी बिरादरी से आने वाले उम्मीदवारों में बंटेंगे ही - ऐसे में गैर-दलित वोट निर्णायक भूमिका निभाएंगे.

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