
महाकुंभ को लेकर उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और समाजवादी पार्टी के मुखिया अखिलेश यादव कन्फ्यूज हैं. शायद वो समझ में नहीं पा रहे हैं कि 144 साल बाद लग रहे इस आयोजन के विरोध में उन्हें होना चाहिए या समर्थन में? पहले प्रदेश की जनता के बीच अखिलेश यादव ने ऐसी इमेज बनाने की कोशिश की कि वो कुंभ वगैरह को जैसे नहीं मानते हों. फिर कुंभ में आने वाले लोगों का स्वागत करते भी दिखे. इसी बीच सोशल मीडिया के जरिये अखिलेश यादव की गंगा में डूबकी लगाते हुए तस्वीर सामने आई. अखिलेश यादव के करीबियों की तरफ से उनकी हरिद्वार यात्रा को निजी बताये जाने के बावजूद उसमें सियासी गूंज सुनी जा रही है.
दूसरी तरफ कुंभ मेले में समाजवादी पार्टी के नेताओं ने इस बार मुलायम सिंह यादव स्मृति सेवा संस्थान के नाम से पहली बार कैंप आवंटित कराया है. कुंभ में पहली बार इस संस्था को शिविर मिला है. यज्ञशाला में मुलायम सिंह यादव की मूर्ति भी लगाई गई है. पर अखिलेश यादव शायद मुलायम सिंह की कुंभ मेला क्षेत्र में लगी इस प्रतिमा को लेकर में प्राइड नहीं फील कर रहे हैं. क्योंकि उन्होंने अब तक न मुलायम सिंह के इस स्टेच्यू के बारे में कुछ नहीं लिखा है और न कुछ बोला है. हालांकि विधानसभा में पार्टी के मुख्य सचेतक माता प्रसाद पांडेय ने ही इस मूर्ति का अनावरण किया है. जाहिर है कि इस पूरे आयोजन से अखिलेश अपने को अनभिज्ञ दिखा रहे हैं पर जानते सब कुछ हैं . पर महाकुंभ जाने के बारे में उनकी कोई तैयारी नहीं है. इस तरह ऐसा लग रहा है कि अखिलेश यादव महाकुंभ को लेकर कुछ कन्फ्यूज हैं. वह समझ नहीं पा रहे हैं कि पार्टी को ऐसे मौके पर क्या करना चाहिए.
मुलायम की मूर्ति और समाजवादियों का कुंभ
महाकुंभ में पूर्व सीएम मुलायम सिंह यादव की प्रतिमा लगाने को लेकर विवाद हो रहा है. करीब 3 फीट ऊंची इस मूर्ति को कांसे से बनाया गया है. समाजवादी पार्टी के नेताओं ने इस बार महाकुंभ में श्रद्धेय मुलायम सिंह यादव स्मृति सेवा संस्थान के नाम से पहली बार कैंप आवंटित कराया है. कुंभ में पहली बार इस संस्था को शिविर भी दिया गया है. शिविर में दाखिल होते ही यज्ञशाला नुमा खुली झोपड़ी में मुलायम सिंह यादव की यह मूर्ति लगाई गई है.इस पर फूल-माला चढ़ाकर पार्टी के कार्यकर्ता मुलायम सिंह को नमन कर रहे हैं.
सपा कार्यकर्ताओं का कहना है कि मुलायम सिंह यादव उनके लिए भगवान की तरह हैं. इसलिए महाकुंभ में लगाई गई उनकी मूर्ति को नमन किया जा रहा है. हालांकि अखिलेश यादव के लिए इस मूर्ति के लिए समय नहीं है. शायद यही कारण है कि पूर्व मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव की प्रतिमा का अनावरण 11 जनवरी को नेता प्रतिपक्ष माता प्रसाद पांडेय ने किया था. इस दौरान भी अखिलेश उपस्थित नहीं रहे. ऐसा इसलिए नहीं है कि उन्हें अपने पिताजी के प्रति प्यार नहीं है या उनके लिए सम्मान नहीं है. कारण राजनीतिक है. दरअसल हिंदू धार्मिक छवि होने से उनके मुस्लिम वोटबैंक पर प्रभाव पड़ता है. यही कारण रहा कि अखिलेश ने राम मंदिर उद्घाटन के समय अयोध्या से भी दूरी बना ली थी.
दूसरी तरफ मुलायम की मूर्ति को लेकर साधु-संत भी नाराज हैं. लोग सवाल पूछ रहे हैं कि मुलायम सिंह की प्रतिमा महाकुंभ में क्यों लगाई गई? अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष रवींद्र पुरी ने कहा- मैं मुलायम सिंह का विरोधी नहीं हूं. लेकिन, प्रतिमा लगाने वालों का भाव सही नहीं लगा. संदेश ये जाता है कि अयोध्या में साधु-संतों की हत्या वाले वही मुलायम सिंह हैं. उन्नाव से भाजपा सांसद साक्षी महाराज भी कहते हैं कि राम भक्तों की आस्था के मेले में राम मंदिर के लिए संघर्ष करने वालों पर गोलियां चलवाने वाले की मूर्ति लगाना पूरी तरह से गलत है. लेकिन अखिलेश यादव इन सब कार्यक्रमों से दूर रहना चाहते हैं. क्योंकि उन्हें डर है कि ज्यादा हिदू-हिंदू करने से उनके परंपरागत वोट टूट सकते हैं.
कुंभ से दूरी पर गंगा से नजदीकी
‘मकर संक्रांति के पावन पर्व पर लिया मां गंगा का आशीर्वाद.’ यह लिखते हुए अखिलेश ने गंगा स्नान करते हुए ट्वीट किया है. अखिलेश यादव 13 जनवरी को ही हरिद्वार पहुंचे थे, जिस दिन प्रयागराज में महाकुंभ शुरू हुआ. उनकी हरिद्वार यात्रा निजी बताई जा रही है. रिपोर्ट के मुताबिक, अखिलेश यादव अपने चाचा राजपाल यादव की अस्थियां विसर्जित करने गये हुए हैं. मान लेते हैं, ये यात्रा निजी है, लेकिन तस्वीरें तो अखिलेश यादव ने ही शेयर की है. मौका भी मकर संक्रांति का चुना है. दरअसल इसी बात की चर्चा हो रही है कि क्या अखिलेश कुंभ को लेकर कन्फ्यूज हैं. शायद बिल्कुल उसी तरह जैसे वो राममंदिर उद्घाटन के समय कन्फ्यूज थे. वो समझ नहीं पा रहे हैं कि हिंदू वोटर्स को कितना लुभाना है और मुस्लिम वोट के लिए कितना हिंदुओं के मामले से दूर रहना है. महाकुंभ स्नान के सवाल पर अखिलेश यादव बताते हैं, मैं हर बार कुंभ गया हूं.अगर आप लोग कहेंगे तो वो फोटो भी शेयर कर दूंगा. समय-समय पर मैंने गंगा में स्नान भी किया है. पर कुंभ में समाजवादियों ने जो मुलायम सिंह यादव की मूर्ति लगी है उसके बारे में नहीं बोलेंगे, क्योंकि यह ज्यादे हो जाएगा. लोग उन्हें हिंदू व्रत त्योहारों का समर्थक मान लेंगे.
राजनीति की शुरूआत से ही कई मुद्दों पर कन्फ्यूज रहे अखिलेश
दरअसल अखिलेश यादव पहली बार सीएम बने तो उनके साथ उनके पिता मुलायम सिंह यादव का साया था. पर बाद में उन्हें अपनी पार्टी के हर उस सदस्य से खतरा लगने लगा जिन लोगों से उनके पिता के अच्छे संबंध थे.अपने पिता मुलायम सिंह यादव के रहते हुए ही उन्होंने समाजवादी पार्टी को गुंडा माफिया से मुक्त करने का अभियान चलाया. पार्टी में सफाई अभियान शुरू हुआ. मुलायम सिंह के कई खास माफिया नेताओं को टिकट देने से इनकार कर अखिलेश यादव ने अपनी अलग छवि बनानी चाही. पर 2017 में वो यूपी विधानसभा चुनाव नहीं जीत सके. 2019 का लोकसभा चुनाव आते-आते अखिलेश पहली बार अपने किए गए वादे से पलट गए और सभी माफिया नेताओं को पार्टी में दुबारा बुलाने का अभियान शुरू किया. राम मंदिर के मामले में भी अखिलेश शुरू में उद्घाटन समारोह में जाने के इच्छुक दिखते थे. पर बाद में उन्होंने इससे दूरी बना ली. गठबंधन को लेकर भी वो उधेड़बुन में रहे हैं.