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पांडियन को लेकर नवीन पटनायक की वैसी ही फिक्र है जैसी आकाश आनंद के प्रति मायावती की

नवीन पटनायक और मायावती के उत्तराधिकारी का केस एक जैसा तो नहीं है, लेकिन दोनों मामलों में कई बातें कॉमन हैं. मायावती की ही तरह नवीन पटनायक ने भी अपने करीबी पूर्व नौकरशाह वीके पांडियन को लेकर चल रहे उत्तराधिकार विवाद को खारिज कर दिया है.

पांडियन नहीं तो नवीन पटनायक का उत्तराधिकारी कौन है? पांडियन नहीं तो नवीन पटनायक का उत्तराधिकारी कौन है?
मृगांक शेखर
  • नई दिल्ली,
  • 31 मई 2024,
  • अपडेटेड 8:38 PM IST

एक सवाल हाल के दिनों में काफी जोर पकड़ रहा था, ओडिशा सरकार में फैसले कौन ले रहा है? और चुनावी माहौल में मुख्यमंत्री नवीन पटनायक के लिए अपनी स्थिति स्पष्ट करना अनिवार्य हो गया था. 

और इस मामले में नवीन पटनायक का बयान बिलकुल वैसा ही है, जैसा कांग्रेस कार्यकारिणी में सोनिया गांधी ने कहा था, मैं ही बतौर अध्यक्ष काम कर रही हूं... और मैं ही सारे फैसले लेती हूं. कांग्रेस में ये सवाल तब उठा था जब 2022 के विधानसभा चुनाव से पहले पंजाब कांग्रेस में बहुत उथलपुथल मची हुई थी, और सोनिया गांधी अंतरिम अध्यक्ष के तौर पर काम कर रही थीं  

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ओडिशा सरकार के सारे फैसले खुद लेने की बात करके नवीन पटनायक ने जवाब तो सोनिया गांधी की तरह दिया है, लेकिन उनका ये कदम काफी हद तक वैसा ही लगता है, जैसा मायावती ने अपने भतीजे आकाश आनंद के मामले में उठाया था. जब मायावती ने आकाश आनंद को मैच्योर होने तक अपने उत्तराधिकारी की हैसियत से हटाया था, तो उसके कई कारण माने गये थे. एक कारण ये भी समझा गया था कि मायावती नहीं चाहतीं कि जिस पर बीएसपी को नई ऊचाइयां देने और बहुजन आंदोलन को आगे ले जाने की जिम्मेदारी हो - वो बेवजह कोर्ट-कचहरी के चक्कर में फंसे. क्योंकि आकाश आनंद के खिलाफ पुलिस में शिकायत दर्ज करा दी गई थी.

देखा जाये तो नवीन पटनायक की पार्टी बीजेडी और मायावती की बीएसपी को अपने उत्तराधिकारियों की दरकार एक जैसी ही है. तृणमूल कांग्रेस की भी स्थिति करीब करीब ऐसी ही है, और ममता बनर्जी के भतीजे अभिषेक बनर्जी को लेकर भी ऐसी बातें अक्सर होती रहती हैं कि वो सब कुछ कंट्रोल करने लगे हैं. फर्क बस ये है कि ममता बनर्जी बेहद सक्रिय हैं, और सदन से लेकर सड़क तक मोर्चे पर तैनात देखी जाती हैं, जबकि नवीन पटनायक की सेहत को लेकर बीजेपी की तरफ से चुनावों के दौरान अक्सर सवाल उठाये जाते रहे हैं. 

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पटनायक की सेहत पर सवाल क्यों?

ये मामला पिछले महीने ज्यादा ही तूल पकड़ लिया जब नवीन पटनायक और वीके पांडियन का एक वीडियो वायरल हो गया. वीडियो में देखा गया कि नवीन पटनायक भाषण दे रहे हैं, और वीके पांडियन माइक पकड़े हुए हैं. 

नवीन पटनायक ने अपना बायां हाथ पोडियम पर रखा हुआ था, जो जोर से कांप रहा था. जैसे ही वीके पांडियन की नजर पटनायक के हाथ पर पड़ी, झट से उन्होंने हाथ पकड़ कर पोडियम के पीछे छिपा दिया. 

ओडिशा के मयूरभंज जिले में एक चुनावी रैली में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सवाल उठाया था कि कि नवीन पटनायक की बिगड़ती सेहत के पीछे कोई साजिश तो नहीं है? और फिर लोगों को आश्वस्त किया, अगर ओडिशा में बीजेपी की सरकार बनी, तो हम नवीन बाबू के खराब स्वास्थ्य के कारण का पता लगाने के लिए एक कमेटी बनाएंगे. 

वीडियो वायरल होने के बाद नवीन पटनायक को प्रधानमंत्री के सवाल का जवाब देने के लिए आगे आना पड़ा, 'प्रधानमंत्री ने एक सार्वजनिक सभा में कहा है कि मेरा स्वास्थ्य खराब है... और वो मामले की जांच कराना चाहते हैं... अगर उनको मेरी तबीयत की इतनी ही फिक्र थी तो मुझे फोन लगाकर पूछ लेते... मैं प्रधानमंत्री को आश्वस्त करना चाहता हूं... मैं पूरी तरह ठीक हूं.'

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पांडियन को लेकर इतना विवाद क्यों?

क्या मुख्यमंत्री नवीन पटनायक, वीके पांडियन को अपना उत्तराधिकारी बनाने की तैयारी कर रहे हैं? 

सवाल के जवाब में नवीन पटनायक बोले, मैं इन अतिशयोक्तिपूर्ण बातों को समझ नहीं पा रहा हूं... आपने देखा होगा कि वो चुनाव नहीं लड़ रहे हैं... वो मेरे उत्तराधिकारी नहीं हैं.

ओडिशा के सबसे ताकतवर नौकरशाह माने जाने वाले वीके पांडियन के वीआरएस को जब अक्टूबर, 2023 में केंद्र सरकार की मंजूरी मिली, तो 24 घंटे के भीतर ही एक ऐसा फैसला सामने आया जो कई लोगों के लिए सरप्राइज था - और ओडिशा सरकार ने वीके पांडियन को कुछ खास जिम्मेदारियों के साथ साथ कैबिनेट मिनिस्टर का दर्जा भी दे दिया था. फिर तो उनको सुपर सीएम से लेकर नवीन पटनायक के उत्तराधिकारी तक के रूप में देखा जाने लगा. 

चुनावों की घोषणा से पहले ओडिशा में बीजेपी और बीजेडी के बीच चुनावी गठबंधन की काफी गंभीर कोशिशें हुई थीं. और बातचीत में वीके पांडियन की भी सक्रिय भूमिका बताई जा रही थी, लेकिन बात नहीं बनी - और दोनों ही दलों ने पहले की ही तरह अपने अपने तरीके से चुनाव लड़ने का फैसला किया. हालांकि, बीच में दोनों के बीच एक सहमति की बात भी सुनने में आई थी कि लोकसभा सीटों पर बीजेपी की राह में बीजेडी नहीं आएगी, और विधानसभा सीटों पर बीजेडी की राह में बीजेपी नहीं आएगी - सच क्या है, ये तो नतीजे ही बताएंगे.

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चुनावी माहौल होने की वजह से पटनायक के हाथ कांपने वाला वीडियो वायरल होने के बाद से तो बवाल ही मच गया - ओडिशा से आने वाले बीजेपी नेता तो पहले से ही हमलावर थे ही, प्रधानमंत्री मोदी के सवाल खड़ा करते ही बवाल कंट्रोल से बाहर होने लगा. जब स्थिति बेकाबू होने लगी तो मुख्यमंत्री नवीन पटनायक जवाब देने के लिए खुद आगे आये. 

तमिलनाडु में पैदा हुए वीके पांडियन 2000 बैच के पंजाब कैडर के आईएएस अधिकारी थे, लेकिन ओडिया लड़की से शादी के बाद ट्रांसफर लेकर कैडर बदल लिया - इसी वजह से उनको बाहरी बोल बीजेपी हमलावर रहती है. 

ओडिशा से आने वाले केंद्रीय मंत्री धर्मेंद्र प्रधान का इल्जाम है कि वीके पांडियन की अनुमति के बगैर ओडिशा सरकार में एक पत्ता भी नहीं हिल सकता. कहते हैं, 'वीके पांडियन को छोड़कर किसी को भी नवीन पटनायक के आवास में प्रवेश करने की अनुमति नहीं है... ओडिशा के मुख्यमंत्री की क्या हालत कर दी गई है?'

नवीन पटनायक ने धर्मेंद्र प्रधान के आरोपों का भी जवाब दिया है. धर्मेंद्र प्रधान के बहाने नवीन पटनायक मोदी और बीजेपी को भी घेरने की कोशिश करते हैं, 'मुझे लगता है कि वो और अधिक हताश हो रहे हैं... खासकर जब देश में उनकी लोकप्रियता कम हो रही है.'

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पांडियन नहीं तो पटनायक का उत्तराधिकारी कौन?

न्यूज एजेंसी ANI को दिये इंटरव्यू में नवीन पटनायक ने वीके पांडियन के उनका उत्तराधिकारी होने के बीजेपी के दावों को खारिज कर दिया है, और अतिशयोक्ति बताया है. और दलील दी है कि वो चुनाव भी नहीं लड़ रहे हैं. ये दलील काफी कमजोर है. किसी को मुख्यमंत्री बनने के लिए उसका चुनाव लड़ना कतई जरूरी नहीं है. 

बीजेडी में उत्तराधिकार को लेकर नवीन पटनायक का कहना है, मैंने बार-बार कहा है कि उत्तराधिकारी का फैसला ओडिशा के लोग करेंगे - ओडिशा के लोग फैसला तो ले ही चुके हैं, देखते 4 जून को सामने क्या आता है.  

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