
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण जब बजट पेश कर रही थीं, कुछ देर के लिए ऐसा लगा जैसे आम बजट भाषण नहीं बल्कि गुजरे जमाने का रेल बजट पेश किया जा रहा हो. बिलकुल वैसे ही जैसे पहले बिहार से आने वाले रेल मंत्री अपने इलाके के लिए ट्रेनों का ऐलान रेल बजट में किया करते थे.
बिहार से जुड़ी हर घोषणा होते वक्त बार बार नीतीश कुमार का अक्स उभर रहा था. 24 घंटे पहले ही निर्मला सीतारमण के जूनियर मंत्री पंकज चौधरी ने बरसों पुरानी नीतीश कुमार की डिमांड एक झटके में खारिज कर दी थी. साफ साफ बोल दिया था कि बिहार को स्पेशल स्टेटस नहीं मिलेगा - और बिहार में आरजेडी नेता लालू यादव ने नीतीश कुमार से इस्तीफा मांग लिया था.
नीतीश कुमार ने केंद्र सरकार की तरफ से अपनी मांग ठुकराये जाने के बाद कोई नाराजगी तो नहीं जाहिर की, लेकिन एक द्विअर्थी बयान जरूर दे दिया. नीतीश कुमार ने कहा, 'अभी नहीं, सब कुछ धीरे-धीरे जानिएगा.'
अब ये समझना होगा कि ये बात नीतीश कुमार ने किससे और किसके लिए कहा है? क्या नीतीश कुमार बिहार के लोगों और लालू यादव को ये समझाने की कोशिश कर रहे हैं कि वे धैर्य बनाये रखें, अभी बिहार को बहुत कुछ मिलने वाला है? या नीतीश कुमार का ये मैसेज बीजेपी नेतृत्व यानी मोदी-शाह के लिए है?
पूर्णिया सांसद पप्पू यादव ने लालू यादव की तरह इस्तीफा तो नहीं मांगा है, लेकिन नीतीश कुमार पर हमला जरूर बोला है. पप्पू यादव का कहना है, 'अभी 4 करोड़ नौकरी की बात कर रहे हैं, लेकिन 10 साल में आपने कितनी नौकरी दी? नीतीश कुमार किंगमेकर रहे हैं लेकिन उन्हें विशेष पैकेज भी नहीं दिया... जितनी बंद पड़ी फैक्ट्रियां हैं उन पर कुछ दीजिए, एयरपोर्ट पर दीजिए... विशेष पैकेज, विशेष राज्य के लिए भीख मत मांगिए आप मंत्रिमंडल से हट जाइये.
बिहार के लिए स्पेशल बजट पैकेज में क्या क्या मिला
बिहार को स्पेशल स्टेटस न सही, लेकिन वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने जो दिया है, वो दिल खोल कर दिया है. ये तो मान कर चलना चाहिये कि जो कुछ मिला है, वो स्पेशल स्टेटस की बराबरी तो नहीं कर सकता, लेकिन जब वो मिलना न हो तो ये भी कम नहीं है - बाकी नीतीश कुमार के लिए राजनीति का मौका तो है ही.
1. वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण द्वारा पेश सातवें बजट में बिहार को 26 हजार करोड़ रुपये के तीन एक्सप्रेस-वे, 21 हजार करोड़ रुपये का 2400 मेगावाट का एक पावर प्लांट, मेडिकल कॉलेज और कई एयरपोर्ट दिये जाने का प्रस्ताव शामिल है.
2. बिहार के लिए जो तीन एक्सप्रेस-वे तैयार करने की घोषणा हुई है, वे हैं - पटना-पूर्णिया एक्सप्रेस-वे, बक्सर-भागलपुर एक्सप्रेस-वे और बोधगया-राजगीर-वैशाली-दरभंगा एक्सप्रेस-वे. उसके अलावा बक्सर में गंगा नदी पर 26 हजार करोड़ रुपये की लागत से दो लेन के पुल का निर्माण किया जाएगा.
3. वित्त मंत्री की तरफ से बिहार के 'गया' में औद्योगिक विकास को बढ़ावा देने का वादा किया गया है. 'पूर्वोदया' योजना के तहत केंद्र सरकार सड़क संपर्क परियोजनाओं के विकास में भी सहयोग करेगी, ऐसा बताया गया है.
4. बिहार में 2400 मेगावाट पावर प्लांट तैयार किया जाएगा जिस पर 21,400 करोड़ रुपये खर्च होंगे. साथ में, राज्य सरकार की मांग पर बिहार के अलग-अलग क्षेत्रों में निवेश किया जाएगा.
5. बिहार के गया का विष्णुपाद मंदिर और बोधगया का महाबोधि मंदिर को काशी विश्वनाथ मंदिर कॉरिडोर की तर्ज पर विष्णुपाद कॉरिडोर और महाबोधि कॉरिडोर को विकसित किया जाएगा. साथ ही, हिंदू, जैन और बौद्ध लोगों के तीर्थ राजगीर को भी विश्व स्तर के डेस्टिनेशन के तौर पर तैयार किया जाएगा. नालंदा को भी पर्यटन केंद्र के रूप में विकसित किया जाएगा और नालंदा विश्वविद्यालय को उसके गौरवशाली स्वरूप में पुनर्जीवित किया जाएगा.
धीरे धीरे बिहार को और क्या क्या मिलने वाला है?
आम बजट में बिहार के लिए जो कुछ मिला है, उसके बाद एक सवाल उठता है कि क्या केंद्र सरकार को समर्थन देने के बदले नीतीश कुमार ने बीजेपी से यही डील की थी?
और इसी स्पेशल पैकेज के लिए नीतीश कुमार बार बार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के हाथ-पैर पकड़ रहे थे?
बिहार को विशेष राज्य का दर्जा देने से केंद्र सरकार के इनकार पर नीतीश कुमार की छोटी सी प्रतिक्रिया आई है. नीतीश कुमार ने कहा है, 'अभी नहीं, सब कुछ धीरे-धीरे जानिएगा.'
2015 के बिहार विधानसभा चुनाव के दौरान नीतीश कुमार अक्सर कबीर का एक दोहा दोहराया करते थे, 'धीरे-धीरे रे मना, धीरे सब कुछ होय... माली सींचे सौ घड़ा, ॠतु आये फल होय.'
क्या नीतीश कुमार फिर से बिहार के लोगों को वैसे ही आश्वस्त कर रहे हैं. 2015 का चुनाव तो नीतीश कुमार ने लालू यादव के साथ बीजेपी को हराकर जीत लिया था - आखिर अब वो क्या बताने की कोशिश कर रहे हैं?
क्या नीतीश कुमार ये समझाने की कोशिश कर रहे हैं कि स्पेशल पैकेज भले न मिला हो, लेकिन बिहार को केंद्र सरकार की तरफ से बहुत कुछ मिलने वाला है. और अभी तो बिहार विधानसभा चुनाव से पहले एक और आम बजट का मौका आएगा. बिहार में विधानसभा का चुनाव अगले साल के आखिर में होने वाला है.
एक बात तो नीतीश कुमार भी जानते हैं कि मौजूदा हालात में बिहार को विशेष राज्य का दर्जा तो मिलने से रहा, लिहाजा जो चाहिये उसे पाने का कोई पुराना तरीका अपनाया जाये. जैसे कहते हैं कि अगर पिस्टल चाहिये तो तोप के लाइसेंस के लिए अप्लाई करना चाहिये - क्या नीतीश कुमार ने ऐसा ही किया है?
कहीं ऐसा तो नहीं कि नीतीश कुमार किसी और रणनीति पर काम कर रहे हैं, और धैर्य के साथ इंतजार के बाद वो भी धीरे धीरे सामने आ जाएगा!