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राहुल गांधी के नारी न्याय में ओबीसी आरक्षण का जिक्र क्यों नहीं है?

राहुल गांधी के पांच न्याय कार्यक्रम में से एक नारी न्याय की भी कांग्रेस की तरफ से घोषणा कर दी गई है. बाकी सब तो ठीक है, लेकिन एक सरप्राइज एलिमेंट है नारी न्याय में ओबीसी आरक्षण का न होना.

चुनावी वादे तो सत्ता मिलने पर ही पूरे हो पाते हैं, लेकिन ओबीसी आरक्षण के बगैर तो नारी न्याय अभी ही अधूरा लग रहा है चुनावी वादे तो सत्ता मिलने पर ही पूरे हो पाते हैं, लेकिन ओबीसी आरक्षण के बगैर तो नारी न्याय अभी ही अधूरा लग रहा है
मृगांक शेखर
  • नई दिल्ली,
  • 13 मार्च 2024,
  • अपडेटेड 8:08 PM IST

कांग्रेस ने नारी न्याय गारंटी की घोषणा कर दी है. ये राहुल गांधी के पांच न्याय कार्यक्रम का हिस्सा है. युवा न्याय, भागीदारी न्याय, नारी न्याय, किसान न्याय और श्रमिक न्याय. युवा न्याय गारंटी की घोषणा पहले ही हो चुकी है, जिसमें 30 लाख सरकारी नौकरी और कांग्रेस के सत्ता में आने पर ग्रेजुएट होते ही युवाओं को अप्रेंटिसशिप की सुविधा मुहैया कराने का वादा किया गया है

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राहुल गांधी ने भारत जोड़ो न्याय यात्रा के दौरान महाराष्ट्र के धुले में नारी न्याय की घोषणा की, और उसके साथ ही कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने एक वीडियो भी शेयर किया. कांग्रेस का कहना है कि नारी न्याय से देश की महिलाओं के लिए समृद्धि का द्वार खुलेगा.

नारी न्याय के तहत केंद्र सरकार की नौकरियों में महिलाओं को 50 फीसदी हिस्सेदारी देने की बात कही गई है - और गरीब परिवारों की एक महिला को हर साल 1 लाख रुपये दिये जाने की बात भी शामिल है.

कांग्रेस का नारी न्याय कैसा है?

सोशल साइट X पर नारी न्याय को लेकर राहुल गांधी लिखते हैं, 'नारी शक्ति को मेरा प्रणाम! कांग्रेस आपको 5 ऐसी गारंटी दे रही है जिनसे देश में महिलाओं का जीवन हमेशा के लिए बदल जाएगा… कांग्रेस का लक्ष्य देश की आधी आबादी को आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर बनाना और बराबरी का प्रतिनिधित्व देना है.

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X पर ही कांग्रेस की तरफ से बताया गया है, नारी न्याय से जुड़ी कांग्रेस की गारंटी देश की आधी आबादी के जीवन में बड़ा बदलाव लेकर आएगी... जब देश की आधी आबादी सशक्त होगी, तभी देश की अर्थव्यवस्था को मजबूती मिलेगी.

नारी न्याय गारंटी में कुल पांच कार्यक्रम बताये गये हैं.

1. नारी न्याय में महालक्ष्मी कार्यक्रम के तहत गरीब परिवार में एक महिला को हर साल 1 लाख रुपये दिये जाएंगे. अगर शिवराज सिंह चौहान की लाड़ली बहना योजना और अरविंद केजरीवाल की योजनाओं से तुलना करें तो ये ज्यादा बड़ी रकम है. 

मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री रहे शिवराज सिंह चौहान की तरफ से शुरू की गयी लाड़ली बहना योजना के तहत राज्य की हर महिला को हर महीने 1250 रुपये मिलते हैं. मौजूदा मुख्यमंत्री मोहन यादव ने भी ये योजना जारी रखी है. 
 
हाल ही में बजट के दौरान दिल्ली सरकार ने मुख्यमंत्री महिला सम्मान योजना की घोषणा की है. महिला सम्मान योजना के तहत 18 साल से ज्यादा उम्र की सभी महिलाओं को हर महीने 1 हजार रुपये की वित्तीय मदद दिये जाने की घोषणा की गई है. 

2. कांग्रेस के नारी न्याय गारंटी के तहत केंद्र सरकार की नौकरियों में महिलाओं एक लिए 50 फीसदी आरक्षण की व्यवस्था होगी - और इसके लिए कांग्रेस ने स्लोगन दिया है, 'आधी आबादी, पूरा हक'.

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3. पंचायत स्तर पर महिलाओं के अधिकारों की जानकारी देने के लिए भी कांग्रेस एक स्कीम लेकर आई है. कांग्रेस के सत्ता में आने पर सभी पंचायत में एक अधिकार मैत्री की नियुक्ति की जाएगी, जो महिलाओं को उनके कानूनी अधिकारों की जानकारी देंगे - और अधिकारों को लागू करने में मदद करेंगे.

4. नारी न्याय के तहत ही 'शक्ति का सम्मान' कार्यक्रम भी चलाया जाएगा जिसका आशा वर्कर, आंगनवाड़ी और मिड-डे मील बनाने वाली महिलाओं को फायदा मिलेगा. कार्यक्रम के तहत ऐसीा महिलाओं के मासिक वेतन में जो केंद्र सरकार का योगदान होता है, उसे दोगुना किया जाएगा.

5. महिलाओं के लिए हर जिले में कम से कम एक सावित्री बाई फुले हॉस्टल बनाने की भी घोषणा की गई है. ये भी कहा गया है कि देश में कामकाजी महिलाओं के लिए हॉस्टल की संख्या भी डबल कर दी जाएगी. 

नारी न्याय में ओबीसी आरक्षण की गारंटी क्यों नहीं?

नारी न्याय में महिला आरक्षण का भी अक्स देखा जा सकता है, लेकिन ये अधूरा लगता है. संसद के विशेष सत्र में जब महिला आरक्षण बिल पेश किया गया तो कांग्रेस का बदला हुआ स्टैंड देखने को मिला था. जो कांग्रेस महिला बिल पहले इसलिए पास नहीं करा पा रही थी, क्योंकि आरजेडी और समाजवादी पार्टी जैसे सहयोगी दल उसके खिलाफ खड़े हो जाते थे, उसी कांग्रेस ने यू टर्न लेते हुए महिला बिल में ओबीसी आरक्षण की मांग करने लगी. 

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मतलब, कांग्रेस ने भी अपना स्टैंड लालू यादव की पार्टी आरजेडी और  अखिलेश यादव की समाजवादी पार्टी जैसा ही कर लिया - और महिलाओं के लिए ओबीसी आरक्षण की डिमांड के साथ जातीय जनगणना की मांग भी शुरू कर दी. 

कांग्रेस की कार्यकारिणी में केंद्र में सरकार बनने पर जातीय जनगणना कराने का प्रस्ताव भी पास किया गया, और 2023 के विधानसभा चुनावों के दौरान राहुल गांधी घूम घूम कर ये वादा भी दोहराते रहे कि सरकार बनी तो बिहार की तरह ही कास्ट सेंसस कराएंगे. 

कांग्रेस ने एक और कैंपेन चला रही है #GintiKaro - और ये हैशटैग कांग्रेस के आधिकारिक X हैंडल के प्रोफाइल में भी शामिल किया गया है. 

सोशल मीडिया पर कांग्रेस कह रही है, सभी को न्याय दिलाने के लिए - गिनती करो, और उसके साथ स्लोगन भी चलाये जा रहे हैं, 'गिने नहीं जाएंगे तो सुने नहीं जाएंगे' और 'सबकी गिनती सबको न्याय.'

एक खास चीज और भी देखने को मिल रही है. लोकसभा चुनाव के लिए उम्मीदवारों की जो भी लिस्ट आ रही है, उसमें किस जाति के नेताओं को कितनी सीटें दी गईं ये काफी जोर देकर बताने की कोशिश हो रही है. 

2022 के यूपी विधानसभा चुनाव में प्रियंका गांधी वाड्रा ने कांग्रेस उम्मीदवारों की सूची में 40 फीसदी महिलाओं को आरक्षण देने का वादा किया था, और पूरा भी किया था. तब राहुल गांधी ने कहा था कि अभी तो ये शुरुआत है - लेकिन लगता तो ऐसा है कि वो शुरुआत नहीं, बल्कि अंत था. 

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कांग्रेस की तरफ से ये तो कहा गया है कि केंद्र सरकार की नौकरियों में 50 फीसदी महिलाओं को आरक्षण मिलेगा, लेकिन ये नहीं बताया गया है कि उसमें ओबीसी महिलाओं की अलग से कोई हिस्सेदारी भी होगी क्या?

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