
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 30 मार्च को नागपुर का दौरा करने वाले हैं. नागपुर फिलहाल हिंसा, आगजनी और उपद्रव को लेकर चर्चा में है.
मोदी का ये दौरा ऐसे वक्त हो रहा है, जब संघ और बीजेपी के बीच सबकुछ पहले जैसा नहीं हो सका है, और अगले ही महीने बीजेपी का नया अध्यक्ष चुना जाना है.
संघ और बीजेपी के बीच टकराव की नौबत मौजूदा अध्यक्ष जेपी नड्डा के एक बयान के बाद आई जब वो पार्टी को चुनाव जीतने के लिए हर तरह से सक्षम बता बैठे, यानी संघ की मदद की कोई जरूरत नहीं रही. लेकिन, नड्डा का दावा लोकसभा चुनाव के नतीजे आते ही पूरी तरह खोखला साबित हुआ, जब सीटों के मामले में बीजेपी बहुत बुरा प्रदर्शन करते हुए समाजवादी पार्टी से भी पीछे रह गई.
बहरहाल, संघ को तो बस एक सबक भर देना था, विधानसभा चुनावों को देखते हुए नेतृत्व कार्यकर्ताओं के साथ फिर से फील्ड में उतर आया. नतीजे भी अच्छे देखने को मिले. सबसे खास तो दिल्ली चुनाव के नतीजे रहे. आज दिल्ली में बीजेपी की सरकार है, और एमसीडी में भी तख्तापलट की कोशिशें चल पड़ी हैं.
मोदी का पहला नागपुर दौरा
जिस दिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का नागपुर में कार्यक्रम है, उसी दिन गुड़ी पड़वा है. मराठी नववर्ष के शुरू होने का दिन.
अव्वल तो प्रधानमंत्री मोदी वहां माधव नेत्र चिकित्सालय की नींव रखने वाले हैं, लेकिन राजनीतिक महत्व तो मोहन भागवत सहित संघ नेताओं से बंद कमरों में होने वाली बैठक है. मोदी और भागवत के अलावा कार्यक्रमों में, बताते हैं, महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस, नागपुर के सांसद और केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी और वहां के प्रभारी मंत्री चंद्रशेखर बावनकुले भी मंच पर मौजूद होंगे.
2014 के बाद प्रधानमंत्री मोदी और संघ प्रमुख भागवत की ये तीसरी, और 2024 के लोकसभा चुनाव के बाद सार्वजनिक तौर पर मुलाकात वाला ये पहला कार्यक्रम होगा - और ये पहला मौका होगा, जब देश का कोई प्रधानमंत्री आरएसएस के मुख्यालय में जा रहा हो. ठीक पहले, पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी के भी नागपुर दौरे की काफी चर्चा रही.
और हां, प्रधानमंत्री बनने के बाद ये पहली बार है, जब नरेंद्र मोदी राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के किसी दफ्तर में जाएंगे, जबकि मुख्यधारा की राजनीति में आने से पहले वो संघ में ही काम करते थे.
अप्रैल, 2023 में भी मोदी और भागवत की ऐसी ही मुलाकात होनी थी, लेकिन कर्नाटक विधानसभा चुनाव के कारण प्रधानमंत्री का दौरा रद्द हो गया था.
हाल ही में एक पॉडकास्ट में संघ को लेकर पूछे गये सवाल पर मोदी का कहना था, मेरे सौभाग्य रहा कि ऐसे पवित्र सगंठन से मुझे जीवन के संस्कार मिले.
संघ से मोदी का सीधा संवाद
संघ मुख्यालय पहुंचने पर स्वागत स्मारक समिति की ओर से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोेदी का स्वागत पूर्व सरकार्यवाह भैयाजी जोशी करेंगे. बताते हैं कि नागपुर में मोदी और भागवत के बीच महत्वपूर्ण बैठक हो सकती है.
ये मुलाकात ऐसे समय हो रही है, जब जल्दी ही बीजेपी को नया अध्यक्ष मिलने वाला है. और सब लोग ये भी जानते हैं कि संघ की हरी झंडी के बगैर बीजेपी अध्यक्ष कोई नहीं बन सकता.
मोदी के नागपुर दौरे से पहले ही संघ की प्रतिनिधि सभा की बैठक भी हो चुकी होगी. ये बैठक 21-23 मार्च को होने जा रही है. इस साल संघ अपनी स्थापना के 100 साल पूरा करने जा रहा है. और, बैठक में ही संघ की शताब्दी वर्ष की कार्ययोजना पर भी खास चर्चा होनी है. एक्शन प्लान तैयार किया जाना है.
बीजेपी अध्यक्ष के नाम पर चर्चा के अलावा संघ मुख्यालय बैठक में जनसंख्या नीति और धर्मांतरण जैसे महत्वपूर्ण मुद्दों पर भी चर्चा होने की संभावना है.
मोदी-भागवत मुलाकात की अहमियत
लोकसभा चुनाव के बाद देश में हुए विधानसभा चुनावों में संघ नेतृत्व और कार्यकर्ता पहले की ही तरह सक्रिय देखे गये. जम्मू-कश्मीर में तो वैसे भी कम ही संभावना थी, और झारखंड में बात नहीं बन सकी, लेकिन हरियाणा, महाराष्ट्र और दिल्ली चुनाव आते आते तो संघ की कोशिशों ने हवा का रुख ही बदल दिया.
लेकिन क्या बीजेपी नेतृत्व भी बिल्कुल ऐसा ही मानता है? या फिर, बीजेपी का स्टैंड अब भी वही है जो लोकसभा चुनाव से पहले जेपी नड्डा के मुंह से सुनने को मिला था?
मई, 2024 की बात है. इंडियन एक्सप्रेस के साथ एक इंटरव्यू में जेपी नड्डा ने वाजपेयी-आडवाणी के दौर में बीजेपी और संघ के संबंधों से जुड़े एक सवाल के जवाब में बोल दिया था, “शुरू में हम कमजोर थे… आरएसएस की जरूरत पड़ती थी… आज हम बड़े हो गये हैं, और हम सक्षम हैं इसलिए बीजेपी खुद चलती है… यही अंतर है.”
लेक्स फ्रीडमैन ने पॉडकास्ट में प्रधानमंत्री मोदी से करीब करीब वैसा ही सवाल पूछा गया था, जैसा जेपी नड्डा से, लेकिन मोदी का जवाब राजनीतिक तौर पर काफी दुरुस्त रहा. जब ये पूछा गया कि बीजेपी लगातार चुनाव कैसे जीत रही है, तो मोदी ने इसे अपने संगठन के काम के अनुभव, चुनाव प्रबंधन और कैंपेन की रणनीति से जोड़कर पेश किया.
मोदी का कहना था, मैं उस पवित्र जिम्मेदारी को निभाने का प्रयास करता हूं जो मुझे उन लोगों ने सौंपी है, जिन्हें मैं ईश्वर के बराबर मानता हूं… मैं उनके विश्वास को बनाये रखने और कभी न डगमगाने देने के लिए प्रतिबद्ध हूं… और वे मुझे वैसे ही देखते हैं, जैसा मैं वास्तव में हूं.
चुनाव जीतने को लेकर तो नहीं, लेकिन केंद्र की अपनी सरकार की सफलता पर बोले, 'जैसे एक समर्पित पुजारी अपने आराध्य की सेवा में लगा रहता है, वैसे ही मेरा हृदय लोगों की सेवा के लिए समर्पित है… मैं खुद को लोगों से अलग नहीं रखता... मैं उन्हीं के बीच रहता हूं, उन्हीं में से एक बनकर.'