Advertisement

लोकसभा में विपक्ष की मौजूदगी तक मणिपुर पर चुप क्यों रहे पीएम मोदी?

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पांच बज कर आठ मिनट पर अपना भाषण शुरू किया, लेकिन मणिपुर को छोड़ कर तमाम बातें करते रहे. ऐसा लगा कि जैसे वो विपक्ष के धैर्य का इम्तिहान ले रहे हों. या कहें कि विपक्ष को उकसा रहे हों.

लोकसभा में PM मोदी के भाषण के दौरान विपक्ष ने वॉकआउट किया था लोकसभा में PM मोदी के भाषण के दौरान विपक्ष ने वॉकआउट किया था
मृगांक शेखर
  • नई दिल्ली,
  • 10 अगस्त 2023,
  • अपडेटेड 10:29 PM IST

मोदी सरकार के खिलाफ विपक्ष अविश्वास प्रस्ताव इसलिए लाई थी ताकि मणिपुर पर संसद में चर्चा हो सके. विपक्षी दलों की तरफ से बार-बार ये दोहराया भी गया कि प्रस्ताव का मकसद प्रधानमंत्री मोदी को चुप्पी तोड़ने के लिए मजबूर करना है.

देखा जाये तो विपक्ष अपने मकसद में कामयाब रहा है, लेकिन अफसोस की बात यही रही कि कामयाबी का जश्न मनाने के लिए विपक्षी गठबंधन INDIA के नेता लोक सभा में मौजूद नहीं थे. 

Advertisement

प्रधानमंत्री कार्यालय की तरफ से पहले से ही ट्वीट करके जानकारी दे दी गयी थी कि मोदी करीब चार बजे चर्चा में हिस्सा लेंगे. फिर 5 बजे के पहले ही प्रधानमंत्री मोदी सदन में दाखिल हो चुके थे. 

राहुल गांधी तो अपने भाषण में सत्ता पक्ष के ऊपर एक-दो ही गोले छोड़ने की बात कहे थे, लेकिन प्रधानमंत्री मोदी शुरू से ही कांग्रेस पर बेहद तीखे हमले करते रहे. चुन चुन कर कांग्रेस नेता के आरोपों का जवाब भी देते रहे. कांग्रेस के साथ साथ आम आदमी पार्टी को भी निशाने पर लिया. 
निश्चित तौर पर ‘कट्टर भ्रष्टाचार’ का इस्तेमाल प्रधानमंत्री मोदी ने अरविंद केजरीवाल के लिए ही किया है. दिल्ली शराब नीति को लेकर सीबीआई की जांच पड़ताल के दौरान आम आदमी पार्टी के नेताओं की तरफ से खुद को ‘कट्टर इमानदार’ होने के दावे किये जाते रहे हैं.

Advertisement

देखिए अविश्वास प्रस्ताव पर बहस की पूरी कवरेज

वैसे तो मॉनसून सत्र शुरू होने के पहले ही प्रधानमंत्री मोदी ने मणिपुर की घटना पर अफसोस जाहिर किया था, लेकिन विपक्ष उनके छोटे से बयान से असंतुष्ट था और राहुल गांधी सहित तमाम विपक्षी नेताओं को विस्तृत बयान की अपेक्षा रही.

प्रधानमंत्री मोदी ने पांच बज कर आठ मिनट पर अपना भाषण शुरू किया, लेकिन मणिपुर को छोड़ कर तमाम बातें करते रहे. ऐसा लग रहा था जैसे वो विपक्ष के धैर्य का इम्तिहान ले रहे हों. या कहें कि विपक्ष को उकसा रहे हों.  

लगता है प्रधानमंत्री मोदी की ये रणनीति रही, और मानना पड़ेगा विपक्ष ने उनके मिशन को सफल बना दिया. करीब पौने दो घंटे तक जब प्रधानमंत्री मोदी की जबान से मणिपुर का नाम तक नहीं लिया गया तो विपक्ष ने सदन के बहिष्कार का फैसला कर लिया. 

जैसे ही 6.40 बजे विपक्षी दलों के नेता उठ कर जाने लगे, प्रधानमंत्री मोदी ने मणिपुर पर बात शुरू कर दी. और फिर मणिपुर के बहाने पूरे नॉर्थ ईस्ट को लेकर अपनी सरकार की उपलब्धियां और कांग्रेस सरकारों के रवैये की फेहरिस्त सुनाने लगे.
 
करीब दो घंटे बीस मिनट के अपने भाषण के आखिर में आधे घंटे से ज्यादा प्रधानमंत्री मोदी मणिपुर की अलग अलग तरीके से चर्चा करते रहे - और ये उम्मीद भी जतायी, ‘मणिपुर में शांति का सूरज जरूर उगेगा!’  

Advertisement

मणिपुर पर मोदी का बयान

संसद में प्रधानमंत्री मोदी ने मणिपुर पर अपनी बात वैसे ही रखी जैसे 2015 में दादरी में अखलाक की हत्या पर चुप्पी तोड़ी थी. तब भी मोदी की चुप्पी पर सवाल उठ रहे थे, लेकिन तभी तत्कालीन राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी की तरफ से घटना की निंदा करते हुए बयान जारी कर दिया गया. 

प्रधानमंत्री मोदी ने राष्ट्रपति के बयान पर ही मुहर लगा दी, और काम चला लिया था. तब बोले थे कि जो महामहिम ने कहा है उसी को ब्रह्मवाक्य के तौर पर लिया जाये - और एक बार फिर मणिपुर के मामले में भी मोदी ने वही स्टाइल अपनायी है. 

विपक्षी दलों को घेरते हुए प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि मणिपुर के हालात पर गृह मंत्री अमित भाई शाह ने विस्तार से, धैर्यपूर्वक अपनी बात रखी है. सारे विषय को विस्तार से समझाया है. सरकार और देश की चिंता को सामने रखा है. 

मोदी ने बताया कि अमित शाह के बयान में देश की जनता को जागरूक करने का प्रयास भी था, लेकिन ये आरोप भी लगाया कि विपक्ष ने एक बेहद संवेदनशील मुद्दे पर राजनीति की. 

प्रधानमंत्री मोदी का कहना है कि मणिपुर पर अदालत के फैसले से उसके पक्ष और विपक्ष में परिस्थितियां बनीं, अनेक गंभीर स्थितियां बनीं और मणिपुर में अक्षम्य अपराध हुआ है. 

Advertisement

अविश्वास प्रस्ताव पेश करते हुए कांग्रेस नेता गौरव गोगोई ने मणिपुर पर प्रधानमंत्री से बयान की अपेक्षा के साथ ही तीन सवाल किये थे. गौरव गोगोई का सवाल ये भी था कि मणिपुर के मुख्यमंत्री को बर्खास्त क्यों नहीं किया गया. टीएमसी सांसद महुआ मोइत्रा ने भी मणिपुर की घटना पर तमाम आंकड़े पेश करते हुए बीजेपी की डबल इंजिन सरकार के दावों पर सवाल उठाया था. 

अपने जवाब में प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि केंद्र और राज्य की दोनों ही सरकारें मिल कर मणिपुर में शांति स्थापित करने का प्रयास कर रही हैं. ये भी भरोसा दिलाया कि दोषियों को सजा जरूर मिलेगी. 

और फिर उम्मीद जाहिर करते हुए बोले, मैं देश के लोगों को आश्वस्त करना चाहता हूं कि मणिपुर में जिस तरह से प्रयास चल रहे हैं, निकट भविष्य में शांति का सूरज जरूर उगेगा. 

राहुल गांधी को 'फेल प्रोजेक्ट' बताया

राहुल गांधी के अविश्वास प्रस्ताव शुरू करने की घोषणा और फिर ऐन वक्त गौरव गोगोई को मोर्चे पर तैनात कर देने को लेकर बीजेपी के कई नेताओं ने सवाल तो उठाया ही था, प्रधानमंत्री मोदी इस मामले को विपक्ष के नेता अधीर रंजन चौधरी पर शिफ्ट कर दिया. 

1999 से लेकर अब तक के अविश्वास प्रस्तावों की याद दिलाते हुए प्रधानमंत्री मोदी ने सवाल उठाया कि कैसे हर बार शुरुआत विपक्ष के नेता की तरफ से होती रही, लेकिन 2023 आते आते गांधी परिवार ने अधीर रंजन चौधरी से ये मौका भी छीन लिया. 

Advertisement

राहुल गांधी ने अविश्वास प्रस्ताव की शुरुआत क्यों नहीं की, ये कांग्रेस नेताओं को भी अब तक ठीक से नहीं मालूम है, लेकिन अगर राहुल गांधी ने हाथ खींच लिये तो ये टास्क अधीर रंजन को क्यों नहीं दिया गया, ये एक सवाल तो है ही.

इसी बहाने मोदी ने ये तोहमत भी मढ़ डाली कि कांग्रेस में परिवारवाद इतना हावी है कि परिवार से बाहर के किसी नेता को बड़ा मौका मिल ही नहीं सकता. 

बाकी जो फजीहत हुई वो तो अलग, अधीर रंजन चौधरी को अविश्वास प्रस्ताव पर बहस पूरी होने के वक्त गैरमौजूदगी को लेकर सस्पेंड करने का भी प्रस्ताव किया गया है. 

कांग्रेस के पास नीति, नीयत और विजन के अभाव की बात करते हुए प्रधानमंत्री मोदी ने राहुल गांधी को लेकर एक और बात भी कही, ‘मैं कांग्रेस की मुसीबत समझता हूं कि बरसों से एक ही फेल प्रोजेक्ट को बार-बार लॉन्च करते हैं… हर बार लॉन्चिंग फेल हो जाती है.’ 

विपक्षी गठबंधन पर टिप्पणी

राहुल गांधी के हमलों को लेकर प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि उनकी गालियां हमारे लिए टॉनिक का काम करती हैं - और एक सीक्रेट ये भी बताया. प्रधानमंत्री ने कहा कि विपक्ष को एक सीक्रेट वरदान मिला हुआ है कि वे जिसका भी बुरा चाहेंगे, उसका भला ही होगा. 

Advertisement

लगे हाथ ये दावा भी कर डाला कि जैसे 2018 के अविश्वास प्रस्ताव के बाद 2019 में बीजेपी सत्ता में लौटी, बिलकुल वैसे ही 2024 में भी और ज्यादा बहुमत के साथ फिर से सरकार बनाएगी. 

अपने भाषण के दौरान राहुल गांधी ने मणिपुर में भारत माता की हत्या की बात कही थी. इस पर प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि भारत माता की मृत्यु की कामना की जा रही है, ये बहुत ही दुर्भाग्यपूर्ण है. 

फिर पलट कर प्रधानमंत्री मोदी ने राहुल गांधी के साथ साथ पूरे विपक्ष पर इंडिया के टुकड़े टुकड़े कर डालने का भी इल्जाम लगाया. प्रधानमंत्री मोदी ने इसके लिए इंडिया गठबंधन के नाम में लगे डॉट्स की तरफ ध्यान दिलाया - I.N.D.I.A.

यहीं नहीं प्रधानमंत्री मोदी ने विपक्ष पर बीजेपी से NDA चुराने का भी आरोप लगाया है. मोदी का कहना है कि विपक्ष ने NDA में दो आई जोड़ कर I.N.D.I.A. बना लिया है. दोनों आई को मोदी ने अहंकार का प्रतीक बताया. 

प्रधानमंत्री मोदी का कहना है कि एक आई 26 दलों के अहंकार और दूसरा आई गांधी परिवार के अहंकार का सिंबल है. राहुल गांधी ने अहंकार से जुड़ा अपना किस्सा सुनाते हुए मोदी को सबसे बड़ा अहंकारी साबित करने की कोशिश की थी और इसके लिए रावण से तुलना कर डाली थी.  

Advertisement

राहुल गांधी के बयान को दोहराते हुए प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि ‘लंका हनुमान ने नहीं जलायी थी’ और उनके घमंड के चलते ही कांग्रेस 400 से 40 पर सिमट गयी. 

और इस तरीके से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने I.N.D.I.A. को ‘घमंडिया गठबंधन’ करार दिया है.

 

Read more!
Advertisement

RECOMMENDED

Advertisement