Advertisement

भगवंत मान को किसानों की अरविंद केजरीवाल की तरह परवाह क्यों नहीं?

पंजाब के किसानों के प्रति मुख्यमंत्री भगवंत मान का रवैया अरविंद केजरीवाल से पूरी तरह अलग नजर आ रहा है. मुख्यमंत्री के साथ बैठक के बेनतीजा रहने के बाद से ही पंजाब पुलिस किसान नेताओं के पीछे पड़ गई है.

भगवंत मान आखिर पंजाब के किसानों से इतने नाराज क्यों हो गये हैं? भगवंत मान आखिर पंजाब के किसानों से इतने नाराज क्यों हो गये हैं?
मृगांक शेखर
  • नई दिल्ली,
  • 04 मार्च 2025,
  • अपडेटेड 12:12 PM IST

अरविंद केजरीवाल के पहुंचने से पहले ही पंजाब में बवाल मच गया है. मुख्यमंत्री भगवंत मान का गुस्सा पुलिस किसानों पर उतार रही है. 

किसान नेता दलजिंदर सिंह हरियाउ को गिरफ्तार कर लिया गया है, और कई किसान नेताओं को हिरासत में लिया गया है. किसान नेता कुलवंत सिंह को पुलिस ने नजरबंद किया हुआ है. पंजाब पुलिस की ये कार्रवाई 5 मार्च को चंडीगढ़ में किसानों के धरने से ठीक पहले हुई है. 4 मार्च को ही मुख्यमंत्री और किसान नेताओं की एक मीटिंग बुलाई गई थी, जिसे भगवंत मान बीच में ही छोड़कर चले गये थे. 

Advertisement

आम आदमी पार्टी के नेता अरविंद केजरीवाल 5 से 15 मार्च तक पंजाब के एक विपश्यना केंद्र में साधना में शामिल हो रहे हैं. दिसंबर, 2023 में भी अरविंद केजरीवाल ने होशियारपुर के कैंप में 10 दिन के लिए विपश्यना में शामिल हुए थे. ये तब की बात है जब देश के पांच राज्यों में विधानसभा के चुनाव हुए थे, और AAP नेता को प्रवर्तन निदेशालय की तरफ से एक के बाद एक नोटिस मिल रहे थे. 

किसानों के साथ बैठक बीच में ही छोड़कर चले गये मान

किसान नेताओं के मुताबिक, मुख्यमंत्री भगवंत मान मीटिंग के बीच में ही उठे और, ‘जाओ करलो धरना’ बोल कर चले गये. 

किसान नेता जोगिंदर सिंह ने आजतक से बातचीत में कहा, ‘पहली दफा किसी सीएम को ऐसा करते देखा गया… वो बैठक छोड़ चले गये... सीएम ने गुस्से में मीटिंग से वॉकआउट कर दिया… कहा, मैंने धरने के डर से बैठक नहीं बुलाई… जाओ करलो धरना.’

Advertisement

किसानों के सामने मुख्यमंत्री का गुस्सा पुलिस एक्शन के तौर पर सामने आया है. रात से ही पुलिस की दबिश शुरू हो गई. भारतीय किसान यूनियन उगराहां के अध्यक्ष जोगिंदर सिंह उगराहां के घर पुलिस पहुंची, लेकिन वो घर पर नहीं मिले.

संयुक्त किसान मोर्चा ने कृषि ऋण माफी सहित कई मांगों को लेकर चंडीगढ़ में 5 मार्च से अनिश्चितकालीन धरना देने की घोषणा की है, और मुख्यमंत्री के साथ मीटिंग बातचीत के जरिये हल निकालने की कोशिश थी. मानसा जिले के करीब एक दर्जन किसानों को पुलिस ने हिरासत में लिया है.

मौका देखकर बीजेपी भी भगवंत मान पर हमलावर हो गई है. केंद्रीय मंत्री रवनीत सिंह बिट्टू कह रहे हैं, भगवंत मान की सरकार ने पंजाब में इमरजेंसी जैसे हालात बना दिये हैं. पंजाब के किसानों से जुड़े मुद्दों पर अपनी पोल खुलने के बाद अब वो किसान नेताओं पर पुलिसिया कार्रवाई कर रही है… किसानों के खिलाफ पंजाब पुलिस की कार्रवाई बेहद निंदनीय है.

किसान नेताओं का कहना है कि इतिहास में ये पहली बार है जब किसी मुख्यमंत्री ने बैठक के दौरान सीधे किसानों को धमकाने का प्रयास किया है. किसान नेता बलबीर सिंह राजेवाल कहते हैं, जब मुख्यमंत्री दो घंटे से भी कम समय तक चली बैठक से बाहर निकले, तब किसान अपनी 18 में से केवल 8 मांगें ही उनके सामने रख पाये. किसान नेता के मुताबिक, मुख्यमंत्री ने पंजाब की अर्थव्यवस्था पर नकारात्मक प्रभाव का हवाला देते हुए किसानों से सड़क जाम और विरोध प्रदर्शन न करने की अपील की थी.

Advertisement

किसान नेता सरवन सिंह पंधेर का कहना है, पंजाब सरकार दिल्ली की हार का गुस्सा किसानों पर निकाल रही है.

किसानों के प्रति केजरीवाल और मान के रवैये में बड़ा फर्क

किसान आंदोलन के दौरान दिल्ली में अरविंद केजरीवाल किसानों के साथ खड़े नजर आये थे. तब दिल्ली में आम आदमी पार्टी की सरकार थी, और दिल्ली बॉर्डर पर किसानों के लिए पीने के पानी, खाना, मोबाइल शौचालय और बुनियादी जरूरतों को पूरा करने के इंतजाम किये गये थे. अरविंद केजरीवाल के कई साथी मौके पर पहुंचकर इंतजामों का मुआयना कर रहे थे, ताकि किसानों को सहूलियतें मिलती रहें. 

ये ठीक है कि तब और अब में वक्त का लंबा फासला है, और किसानों की ताकत भी बिखरी है, लेकिन भगवंत मान और अरविंद केजरीवाल के रवैये में जो फर्क नजर आ रहा है, वो समझ से परे लग रहा है. 

एक तरफ अरविंद केजरीवाल हैं जो किसानों के साथ खड़े नजर आते हैं, और दूसरी तरफ भगवंत मान हैं जो किसानों से बात करते करते गुस्सा हो जाते हैं, मीटिंग छोड़कर चल देते हैं, और कुछ देर बाद ही पंजाब पुलिस किसानों के पीछे पड़ जाती है. 

आंदोलन के दौरान किसानों और तत्कालीन केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर के बीच कई दौर की बातचीत हुई थी, लेकिन नतीजा नहीं निकल सका था - और आखिर में मोदी को खुद तपस्या में कमी बताते हुए कृषि कानूनों की वापसी की घोषणा करनी पड़ी थी. 

Advertisement

2027 में पंजाब में भी विधानसभा के चुनाव होने वाले हैं. आम आदमी पार्टी के हिसाब से देखा जाये तो दिल्ली में सत्ता गवांने के बाद अस्तित्व बचाने के लिए पंजाब का ही आसरा है, लेकिन भगवंत मान को तो लगता है किसानों की परवाह ही नहीं है. 

बीजेपी तो अब तक किसानों को लेकर दहशत में रहती है, लेकिन भगवंत मान तो अलग ही रास्ता अख्तियार कर चुके हैं - सवाल है कि क्या अरविंद केजरीवाल का भी सपोर्ट हासिल है या भगवंत मान को अपने नेता की भी परवाह नहीं रह गई है?

Read more!
Advertisement

RECOMMENDED

Advertisement