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राहुल गांधी को स्पीकर अच्छे आचरण की नसीहत क्यों दे रहे हैं, माजरा क्या है?

राहुल गांधी की ताजा शिकायत है कि लोकसभा में स्पीकर ओम बिरला उनको बोलने नहीं दे रहे हैं. स्पीकर का कहना है राहुल गांधी का सदन में व्यवहार ठीक नहीं है - लेकिन राहुल गांधी का कहना है कि उनको मालूम ही नहीं कि हुआ क्या है? और ये सब समझना काफी मुश्किल हो रहा है.

नेता प्रतिपक्ष, राहुल गांधी और स्पीकर ओम बिरला में टकराव 18वीं लोकसभा की शुरुआत से ही देखा जा रहा है - आगे क्या होने वाला है? नेता प्रतिपक्ष, राहुल गांधी और स्पीकर ओम बिरला में टकराव 18वीं लोकसभा की शुरुआत से ही देखा जा रहा है - आगे क्या होने वाला है?
मृगांक शेखर
  • नई दिल्ली,
  • 27 मार्च 2025,
  • अपडेटेड 12:39 PM IST

क्या राहुल गांधी को बोलने नहीं दिया जा रहा है? कांग्रेस नेता राहुल गांधी की तरफ से ऐसा आरोप कोई पहली बार तो नहीं लगाया गया है. कांग्रेस का आरोप है कि लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी सदन में अपनी बात रखना चाहते थे, लेकिन स्पीकर ने मौका नहीं दिया. राहुल गांधी की भी ऐसी ही शिकायत है, और ये शिकायत भी अक्सर सुनने को मिलती है. राहुल गांधी के साथ हुए व्यवहार को लेकर कांग्रेस सांसदों ने नाराजगी जताई है, और लोकसभा स्पीकर ओम बिरला से मिलकर आपत्ति भी जताई है. बताते हैं कि कांग्रेस के 70 सांसद इस मुद्दे पर शिकायत दर्ज कराने स्पीकर के पास गये थे. 

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राहुल गांधी ने बोलने न देने के आरोप के साथ ही लोकसभा स्पीकर ओम बिरला को कठघरे में खड़ा करने की भी कोशिश की है. राहुल गांधी का कहना है, मालूम नहीं स्पीकर की क्या सोच है... सच्चाई ये है कि हमें बोलने नहीं दिया जाता है.

ये भी विडंबना ही है कि जब कॉमेडियन कुणाल कामरा अपनी राजनीतिक टिप्पणी से कहर बरपा रहे हैं. और ऐसे हालात में राहुल गांधी को कथित तौर पर बोलने नहीं दिया जाता, जो देश के चुने हुए सांसद हैं, विपक्षी दलों के सांसदों के लोकसभा में नेता हैं. 

राहुल गांधी का इल्जाम अपनी जगह है, लेकिन मुद्दे का एक पक्ष ये भी है कि स्पीकर ओम बिरला ने भी राहुल गांधी को संसद में सही व्यवहार करने, और मर्यादा का पालन करने की नसीहत दी है. 

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विपक्ष के नेता राहुल गांधी और लोकसभा स्पीकर ओम बिरला के बयानों के बीच कांग्रेस सांसद कार्ति चिदंबरम को अपनी स्कूल लाइफ याद आ गई है. कहा है, जो भी हुआ है, इस वाकये ने उनको स्कूल के हेडमास्टर की याद दिला दी है - बहरहाल, बड़ा सवाल यही है कि क्या नेता प्रतिपक्ष जैसा संवैधानिक पद मिल जाने के बाद भी राहुल गांधी को बोलने नहीं दिया जा रहा है?

क्या राहुल गांधी को बोलने से रोका जाता है?

राहुल गांधी का कहना है कि लोकसभा में वो महाकुंभ पर बोलना चाहते थे, लेकिन उनको बोलने नहीं दिया गया. राहुल गांधी का कहना है कि वो बेरोजगारी पर बोलना चाहते थे, लेकिन उनको बोलने नहीं दिया गया. राहुल गांधी का कहना है कि पिछले 7-8 दिन वो कुछ भी नहीं बोल पाये, क्योंकि उनको बोलने ही नहीं दिया जा रहा है. 

कांग्रेस नेता पर लोकसभा स्पीकर की टिप्पणी है कि उनको शिष्टाचार बनाये रखना चाहिये. स्पीकर का कहना था, आप सबसे अपेक्षा की जाती है कि सदन की मर्यादा और शालीनता को बनाये रखेंगे.

राहुल गांधी बताते हैं, मैंने कुछ नहीं किया... मैं बिल्कुल शांति से बैठा था... अब भी मैंने एक शब्द नहीं बोला... ये नया तरीका है... डेमोक्रेसी में सरकार और अपोजिशन की जगह होती है... यहां अपोजिशन की जगह है ही नहीं... यहां सिर्फ सरकार की जगह है.

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प्रयागराज महाकुंभ पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बयान पर राहुल गांधी कह रहे हैं, मैं कहना चाहता था कि कुंभ बहुत अच्छा हुआ... बेरोजगारी के बारे में बोलना चाहता था, लेकिन बोलने नहीं दिया... पता नहीं इनकी क्या सोच है, क्या अप्रोच है? सच्चाई यही है कि हमें बोलने नहीं दिया जा रहा... मैं विपक्ष का नेता हूं... सदन बिल्कुल  ही अलोकतांत्रिक तरीके से चलाया जा रहा है.

क्या राहुल गांधी को निशाना बनाया जा रहा है?

पिछली लोकसभा में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव के दौरान राहुल गांधी खुद ही कह चुके हैं कि उनको पप्पू समझा जाता है, लेकिन ऐसी बातों से उनको कोई फर्क नहीं पड़ता. राहुल गांधी के साथ साथ उनकी सांसद बहन प्रियंका गांधी वाड्रा भी कई मौकों पर कह चुकी हैं कि उनके भाई को टार्गेट किया जाता है, लेकिन वो बहादुर हैं. 

जिस दिन लोकसभा में स्पीकर राहुल गांधी से अच्छे आचरण के साथ मर्यादा के पालन की नसीहत दे रहे थे, उसी दिन न्यूज एजेंसी एएनआई के पॉडकास्ट में उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने एक इंटरव्यू के दौरान कहा था, भारत की राजनीति में... भारतीय जनता पार्टी के लिए राहुल जैसे कुछ नमूने जरूर रहने चाहिये, जिससे एक रास्ता हमेशा के लिए साफ होता रहेगा... अच्छा रहता है.

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योगी आदित्यनाथ जैसे भाव राहुल गांधी को लेकर अक्सर बीजेपी नेताओं के मुंह से सुनने को मिलता रहता है - और कई बार तो लगता है, राहुल गांधी खुद भी ऐसी बातों के लिए खुद ही मौका दे देते हैं. मसलन, अविश्वास प्रस्ताव के दौरान राहुल गांधी का जाकर प्रधानमंत्री मोदी से गले मिलना और फिर साथी नेताओं की तरफ देखकर आंख मारना. ये भी तो भरी लोकसभा में लाइव टीवी पर देखा गया एक्ट है. 

लोकसभा में स्पीकर ओम बिरला ने कहा था, माननीय सदस्यगण... आप सब से अपेक्षा की जाती है कि आप सब सदन में सदन की मर्यादा और शालीनता के उच्च मापदंडों को बनाये रखेंगे... सदन में मेरे संज्ञान में ऐसी कई घटनाएं हैं, जब माननीय सदस्यों के आचरण सदन की उच्च परंपराओं और मापदंडों के अनुरूप नहीं हैं... इस सदन में पिता, पुत्री, मां, बेटी सदस्य रहे हैं.

और फिर राहुल गांधी के लिए कहते हैं, इस परिपेक्ष्य में नेता प्रतिपक्ष से ये अपेक्षा है कि वे सदन में नियमों के अनुरूप आचरण और व्यवहार करें, जो सदन की मर्यादा, और प्रतिष्ठा के अनुरूप रहना चाहिये... सदन में प्रतिपक्ष के नेता से तो ये विशेष रूप से अपेक्षा की जाती है कि वे आचरण मर्यादा के अनुरूप रखें.

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सवाल ये उठता है कि आखिर राहुल गांधी ने ऐसा कौन सा आचरण पेश किया है, जो स्पीकर की नजर में मर्यादा और सदन के उच्च मानदंडों के मुताबिक नहीं पाया गया है? 

राहुल गांधी कहते हैं, मुझे नहीं पता कि क्या हुआ... मैं खड़ा हुआ, और कहा कि मुझे बोलने दीजिये... स्पीकर एक शब्द नहीं बोले, घूमकर चले गए. हाउस एडजर्न कर दिया गया.

अगर राहुल गांधी ने वास्तव में ऐसा कुछ किया है जो गलत है, तो उसके लिए भी सजा का प्रावधान तो है ही. स्पीकर के पास तो अधिकार है. वो सदन में आने से रोक सकते हैं. सस्पेंड कर सकते हैं. एक दिन के लिए. पूरे सत्र के लिए या जो भी उनके विवेकाधिकार के दायरे में आता हो. 

राहुल गांधी को महज मुद्दा बनाने के बजाय मामले को नतीजे तक पहुंचाने की कोशिश करनी चाहिये. स्पीकर से मिलकर. राष्ट्रपति से मिलकर. या जो भी फोरम उनको उचित लगता हो. जनता के बीच भी जा सकते हैं - ये मीडिया में बयान देकर तो कुछ होने से रहा, अगर मकसद इतना भर ही है तो बात ही और है.

दिल्ली के तालकटोरा स्टेडियम में कांग्रेस के संविधान रक्षक कार्यक्रम चल रहा था. राहुल गांधी भाषण दे रहे थे, और अचानक माइक बंद हो गया था. कार्यक्रम लाइव चल रहा था. राहुल गांधी कहने लगे जो दलितों की बात करता है, उसका माइक ऑफ हो जाता है. ऐसे ही एक बार राहुल गांधी दावा कर रहे थे कि बोलेंगे तो भूकंप आ जाएगा, लेकिन कुछ दिन बाद बोले तो वही पुरानी बातें थीं, कुछ भी नहीं हुआ. 

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लोकसभा में हुए इस प्रकरण के बीच कांग्रेस सांसद कार्ति चिदंबरम का बयान भी गौर फरमाने लायक है, मुझे नहीं पता कि क्या हुआ? और किस बात को लेकर उकसावे की स्थिति बनी? स्पीकर को ऐसा क्यों कहना पड़ा? ये मुझे स्कूल के अपने हेडमास्टर की याद दिलाता है… मुझे ऐसा लगा जैसे मैं अपने स्कूल की असेंबली में वापस आ गया हूं… मुझे नहीं पता कि सदन को क्यों स्थगित किया गया.

18वीं लोकसभा की शुरुआत से ही नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी और स्पीकर ओम बिरला में टकराव देखा जा रहा है. राहुल गांधी स्पीकर पर प्रधानमंत्री मोदी और उनके साथ अलग अलग व्यवहार करने का भी इल्जाम लगा चुके हैं - क्या ये मसला आगे और भी गंभीर रूप लेने वाला है?

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