
लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का गुजरात दौरा एक ही वक्त पर हो रहा है - अब आप इसे संयोग समझें या प्रयोग, ये आपके ऊपर है.
जब राहुल गांधी 7 और 8 मार्च को गुजरात दौरे पर होंगे, उसी दौरान प्रधानमंत्री मोदी सूरत के दौरे पर जा रहे हैं, और उसके अगले दिन प्रधानमंत्री का नवसारी का कार्यक्रम बना है - और महीने भर बाद ही अहमदाबाद में कांग्रेस का राष्ट्रीय अधिवेशन भी होने जा रहा है.
ध्यान देने वाली बात ये है कि राहुल गांधी कांग्रेस के राष्ट्रीय अधिवेशन से पहले ही गुजरात पहुंच रहे हैं. गुजरात दौरे में राहुल गांधी कांग्रेस की राजनीतिक मामलों की समिति के साथ मीटिंग करेंगे और राज्य के नेताओं, पदाधिकारियों से भी मिलेंगे. अलग से, राहुल गांधी कांग्रेस कार्यकर्ताओं से भी संवाद करेंगे.
अहमदाबाद में कांग्रेस का राष्ट्रीय अधिवेशन
कांग्रेस के संगठन महासचिव केसी वेणुगोपाल राष्ट्रीय अधिवेशन की तैयारियों का जायजा लेने के लिए पहले ही अहमदाबाद पहुंच चुके हैं. कांग्रेस का राष्ट्रीय अधिवेशन ठीक एक महीना बाद 8 और 9 अप्रैल को अहमदाबाद में होने जा रहा है.
राष्ट्रीय अधिवेशन में कांग्रेस नेतृत्व के अलावा देशभर से करीब 3000 नेता शामिल होंगे. ऐसे अधिवेशन चुनावी राज्यों में कुछ पहले जरूर होते हैं, लेकिन गुजरात में तो विधानसभा के चुनाव 2027 में होने हैं, जिसमें अभी दो साल से ज्यादा समय बचा हुआ है.
राहुल गांधी के समय से पहले सक्रिय होने और कांग्रेस के राष्ट्रीय अधिवेशन कराने में दिल्ली चुनाव का असर लगता है - और ऐसा लगता है अगला गुजरात चुनाव कांग्रेस 2022 नहीं, बल्कि 2017 की तरह लड़ने की तैयारी में अभी से जुट गई है.
कांग्रेस का प्रदर्शन 2017 बनाम 2022
2017 के चुनाव में कांग्रेस ने सीरियस तैयारी काफी देर से शुरू किया था. उसके पहले राहुल गांधी विदेश दौरे पर थे, जहां सैम पित्रोदा ने उनके लिए कई इवेंट प्लान किये थे, और गुजरात में कांग्रेस की सोशल मीडिया टीम ने कैंपेन शुरू कर दिया था.
सोशल मीडिया पर कांग्रेस का 'विकास गांडो थायो छे' हिट हो गया था, और बीजेपी इतना परेशान हो गई कि मोर्चे पर प्रधानमंत्री मोदी तक को उतारना पड़ा था, तब जाकर कांग्रेस ने कैंपेन बंद किया. चुनाव नतीजे आये तो मालूम हुआ कांग्रेस बहुमत के काफी करीब पहुंच गई थी - राहुल गांधी आने वाले चुनाव के लिए पहले से ही तैयारी करा रहे हैं.
2022 के चुनाव में तो अरविंद केजरीवाल ने ही गुजरात में कांग्रेस का खेल खराब कर दिया. और हालत ये है कि अभी तक कांग्रेस संभल नहीं सकी है. हाल ही में हुए स्थानीय निकाय के चुनावों में कांग्रेस 13 नगर पालिका से 1 पर सिमट गई - ऐसे में कांग्रेस ने देर की तो आम आदमी पार्टी दिल्ली जैसी ही हालत कर देगी.
1. गुजरात चुनाव जीतने के साथ ही आम आदमी पार्टी राष्ट्रीय पार्टी बन गई, और प्रधानमंत्री मोदी का चैलेंजर होने का दावा करके अरविंद केजरीवाल, राहुल गांधी के लिए भी खतरा बनने लगे थे.
2. दिल्ली चुनाव के बाद से ही कांग्रेस पंजाब में भी आम आदमी पार्टी को घेरने लगी है - इसीलिए राहुल गांधी अभी से गुजरात के नेताओं को कमर कस लेने के लिए हौसलाअफजाई करने जा रहे हैं.
3. पिछले चुनाव से पहले भी राहुल गांधी गुजरात में कार्यकर्ताओं को काफी मोटिवेट किये थे, लेकिन फिर भारत जोड़ो यात्रा में व्यस्त हो जाने के चलते ठीक से कैंपेन भी नहीं कर पाये. सिर्फ एक बार गुजरात गये थे, कैंपेन के लिए. हिमाचल प्रदेश का चुनाव कैंपेन तो शिद्दत से प्रियंका गांधी देख ही रही थीं, और कामयाबी भी मिली. भले ही वोट शेयर में एक फीसदी से भी कम का ही फासला रहा.
लेकिन, संसद में तो राहुल ने कुछ और ही कहा था
लोकसभा चुनाव में कांग्रेस के पहले के मुकाबले बेहतर प्रदर्शन के बाद राहुल गांधी नेता प्रतिपक्ष बने, और भरी संसद में ऐलान किया था, ‘गुजरात में भी इंडिया ब्लॉक आपको हराएगा.’
लेकिन, लगता है दिल्ली विधानसभा चुनाव के बाद प्लान बदल गया है. अगर दिल्ली की तरह कांग्रेस गुजरात में भी चुनाव लड़ती है तो इंडिया ब्लॉक कहां रहेगा. हो सकता है, वहां भी अरविंद केजरीवाल को कहने के लिए अखिलेश यादव और ममता बनर्जी का सपोर्ट मिल जाये.
जिस तरह से दिल्ली के बाद कांग्रेस बिहार चुनाव की तैयारी कर रही है, वहां भी इंडिया गठबंधन की भूमिका खत्म ही लगती है, फिर गुजरात तक क्या होगा कहा नहीं जा सकता. गुजरात का नंबर तो वैसे भी पश्चिम बंगाल, तमिलनाडु, केरल और असम चुनावों के बाद ही आएगा - तब तक बहुत कुछ बदल चुका होगा.
अगर अकेले दम पर चुनाव लड़ने के कांग्रेस के प्रयोग में कुछ भी सकारात्मक नजर आता है, तो सिलसिला आगे भी चलता रहेगा - तो क्या राहुल गांधी गुजरात में बीजेपी को हराने के बजाय कांग्रेस को मजबूत करने के मिशन को हरी झंडी दिखाने जा रहे हैं?