
दिल्ली चुनाव में मिली जीत के साथ ही, मणिपुर के राजनीतिक घटनाक्रम भी बीजेपी के लिए राहत देने वाले ही हैं. सोशल साइट X पर बीजेपी और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को दिल्ली में 27 साल बाद मिली जीत की बधाई देने के बाद मुख्यमंत्री एन. बीरेन सिंह ने इस्तीफा दे दिया.
मणिपुर हिंसा को लेकर शुरू से ही विपक्ष के निशाने पर रहे बीरेन सिंह ने दिल्ली आकर केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से मुलाकात की, और इंफाल लौटते ही राजभवन पहुंच कर राज्यपाल अजय कुमार भल्ला को अपना इस्तीफा सौंप दिया.
आईएएस अफसर रहे अजय भल्ला को कुछ दिन पहले ही मणिपुर का राज्यपाल बनाया गया था. देश के गृह सचिव रहे अजय भल्ला को अमित शाह का भी करीबी माना जाता है, और एक रणनीति के तहत उनको मणिपुर भेजा गया है.
देखा जाये तो लंबे अर्से बाद ही सही, लेकिन बीरेन सिंह के इस्तीफे के बाद बीजेपी को बहुत बड़ी राहत मिली है.
असल में राहुल गांधी तो मणिपुर के मुद्दे पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर लगातार निशाना साधते ही रहे, हाल ही में मणिपुर कांग्रेस ने भी बीजेपी सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाने की घोषणा कर दी थी.
मोदी और बीजेपी के खिलाफ राहुल गांधी का मणिपुर कैंपेन
जनवरी, 2024 में अयोध्या में राम मंदिर उद्घाटन समारोह से हफ्ता भर पहले राहुल गांधी ने मणिपुर से ही अपनी भारत जोड़ो न्याय यात्रा शुरू की थी - और लोकसभा चुनाव में भी मणिपुर का मुद्दा जोर शोर से उठाया था.
राहुल गांधी पहले भी मोदी को मणिपुर जाने और लोगों से बात करने का सुझाव देते रहे हैं, और बीरेन सिंह के इस्तीफे के बाद भी वही बात दोहराई है. राहुल गांधी का कहना है कि हिंसा और जान-माल के नुकसान के बावजूद प्रधानमंत्री मोदी ने बीरेन सिंह को मुख्यमंत्री बनाये रखा, लोगों की तरफ से बढ़ते दबाव, सुप्रीम कोर्ट की सख्ती और कांग्रेस के अविश्वास प्रस्ताव की वजह से बीरेन सिंह इस्तीफा देने को मजबूर हो गये.
राहुल गांधी कहते हैं, प्रधानमंत्री मोदी को तुरंत मणिपुर जाना चाहिये… वहां के लोगों की बात सुननी चाहिये… और बताना चाहिये कि हालात सामान्य बनाने के लिए वो क्या योजना बना रहे हैं.
संसद में मणिपुर पर बयान देने के बाद मोदी ने मणिपुर को लेकर कहा था, हमारा मानना है कि हालात से संवेदनशीलता के साथ निबटना सबकी सामूहिक ज़िम्मेदारी है.
संसद में नॉर्थ ईस्ट को अपने जिगर का टुकड़ा बताते हुए प्रधानमंत्री मोदी ने आश्वस्त किया था कि महिलाओं के खिलाफ जघन्य अपराधों के दोषियों को कड़ी सजा दी जाएगी. मोदी का कहना था, मैं देश के सभी नागरिकों को आश्वस्त करना चाहता हूं कि जिस तरह से सभी प्रयास चल रहे हैं, मणिपुर में शांति का सूरज जरूर उगेगा… मणिपुर के लोगों से भी कहना चाहता हूं कि देश आपके साथ है, हम आपके साथ हैं. हम सब मिलकर इस चुनौती का समाधान निकालेंगे. फिर से शांति की स्थापना होगी. मणिपुर फिर विकास की राह पर तेज गति से आगे बढ़े, प्रयासों में कोई कमी नहीं रहेगी.
कैसे मजबूर हुए बीरेन सिंह
महीना भर पहले ही बीरेन सिंह ने मणिपुर हिंसा पर माफी मांगी थी. बीरेन सिंह ने कहा था, पूरा साल बहुत दुर्भाग्यपूर्ण रहा है… मुझे बहुत दुख है… 3 मई, 2023 से लेकर आज तक जो कुछ भी हो रहा है, उसके लिए मैं राज्य के लोगों से माफी मांगता हूं… मुझे वास्तव में खेद है… मैं माफी मांगना चाहता हूं.
1. अभी 8 फरवरी को ही बीरेन सिंह ने NDA के विधायकों की बैठक बुलाई थी. बैठक में नगा पीपुल्स फ्रंट और जेडीयू के विधायक तो शामिल हुए थे, लेकिन गठबंधन के 46 में से सिर्फ 20 विधायक ही मौजूद थे.
2. सुप्रीम कोर्ट ने 3 फरवरी को मणिपुर हिंसा के सिलसिले में एक ऑडियो क्लिप की जांच रिपोर्ट तलब की थी. कुकी ऑर्गेनाइजेशन फॉर ह्यूमन राइट्स ट्रस्ट की तरफ से अदालत में दाखिल याचिका बीरेन सिंह से जुड़े ऑडियो क्लिप की जांच की मांग की गई थी.
बीरेन सिंह पर आरोप है कि वो मणिपुर में हिंसा भड़काने में शामिल थे. ऑडियो क्लिप को लेकर दावा किया गया है कि बीरेन सिंह ने कथित तौर पर मैतियों को हिंसा भड़काने की अनुमति दी और उनको बचाया भी. सुप्रीम कोर्ट ने CFSL से सीलबंद लिफाफे में 6 हफ्ते में रिपोर्ट मांगी है.
3. बीते 17 नवंबर, 2024 को NPP यानी राष्ट्रीय पीपुल्स पार्टी के 7 विधायकों ने बीजेपी सरकार से समर्थन वापस ले लिया था. NPP का आरोप था कि मणिपुर में चल रही अस्थिरता और संकट को सुलझाने में राज्य सरकार पूरी तरह नाकाम रही है.
4. और, 7 फरवरी को मणिपुर कांग्रेस ने घोषणा की थी कि वो 10 फरवरी को बीरेन सिंह सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाएगी.
और इतना सब होने के बाद बीरेन सिंह के पास इस्तीफा देने के अलावा कोई रास्ता भी नहीं बचा था - मणिपुर कैंपेन को अंजाम तक पहुंचाने का श्रेय तो राहुल गांधी को ही जाता है.