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राहुल गांधी के रायबरेली 'शिफ्ट' होने पर वायनाड में तूफान तो आना ही था!

राहुल गांधी 2019 में अमेठी से चुनाव हारे तो वायनाड ने ही उन्‍हें संसद पहुंचाया था. इस बार भी वो वायनाड से चुनाव लड़ रहे हैं, और अपने पत्‍ते तब तक नहीं खोले जब तक वहां मतदान खत्म नहीं हो गया - लेकिन रायबरेली पहुंचते ही वायनाड में उनके विरोधियों ने तोप का मुंह कांग्रेस और राहुल की ओर कर दिया है.

राहुल गांधी जिन सवालों से बचना चाहते थे, रायबरेली पहुंचते ही पीछा करने लगे. राहुल गांधी जिन सवालों से बचना चाहते थे, रायबरेली पहुंचते ही पीछा करने लगे.
धीरेंद्र राय
  • नई दिल्ली,
  • 03 मई 2024,
  • अपडेटेड 6:09 PM IST

भारतीय राजनीति में दो सीटों से चुनाव लड़ने का चलन कोई नया नहीं है. इंदिरा गांधी, सोनिया गांधी, अटल बिहारी वाजपेयी, लालकृष्‍ण आडवाणी, मुलायम सिंह यादव, अखिलेश यादव और नरेंद्र मोदी भी दो सीटों से चुनाव लड़ चुके हैं. पिछली बार 2019 के चुनाव में राहुल गांधी भी दो सीट से चुनाव लड़े थे. लेकिन, उस बार उनका दो सीट से चुनाव लड़ना विवादों में पड़ गया है. केरल में उनके राजन‍ीतिक विरोधियों ने शुरू से उनके दो सीट पर चुनाव लड़ने को मुद्दा बनाया. लेकिन, अब जबकि रायबरेली से उनका नाम फाइनल हो गया है तो उनके खिलाफ बयानबाजी चरम पर पहुंच गई है.

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कल तक यही चर्चा थी कि राहुल गांधी अमेठी से लड़ेंगे या रायबरेली से? या वे यूपी से लड़ेंगे भी या नहीं? सारे कयासों में यह ख्‍याल से ही निकल गया कि एक हफ्ता पहले ही वो वायनाड से अपनी किस्‍मत आजमा कर लौटे हैं. और अगर वो यूपी में गांधी परिवार की परंपरागत सीटों से चुनाव लड़ते हैं तो वायनाड वाले क्‍या सोचेंगे? 

अब जबकि राहुल गांधी ने रायबरेली से अपना नामांकन भर दिया है तो केरल में उनके राजनीतिक विरोधियों ने हमला बोल दिया है. विरोधियों ने राहुल गांधी पर वायनाड और केरल की जनता को धोखा देने और उनसे झूठ बोलने का आरोप लगाया है. 

राहुल गांधी से अभी से ये भी पूछा जाने लगा है कि यदि वो दोनों सीटें जीते तो कौन सी सीट से इस्‍तीफा देंगे? 

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हालांकि, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी तो राहुल गांधी की उम्‍मीदवारी को अलग ही लेवल पर लेते गये हैं. अपनी टिप्‍पणी के वीडियो को सोशल मीडिया वेबसाइट X पर पोस्‍ट करते हुए मोदी ने बस इतना ही लिखा है - 'डरो मत... भागो मत...'.

चंद वोटों के लिए वायनाड से धोखा क्‍यों दिया?

रायबरेली से राहुल गांधी के चुनाव लड़ने को लेकर सबसे नाराज वायनाड से वामदल की उम्‍मीदवार एनी राजा हैं. वो कहती हैं कि चुनाव कानून में ये जरूर है कि कोई भी व्‍यक्ति कहीं से भी चुनाव लड़ सकता है. लेकिन राहुल गांधी को ये चाहिए था कि वे वायनाड के लोगों को बताते कि वो दूसरी सीट से भी चुनाव लड़ने जा रहे हैं. क्‍योंकि उनके दो सीटों से चुनाव लड़ने की तैयारी तो पहले से ही चल रही होगी. उन्‍होंने वायनाड के वोटरों को हल्‍के में लिया है और उन्‍हें छलावे में रखा है. 

कहती हैं, न राहुल ने और न ही कांग्रेस पार्टी ने राजनैतिक नैतिकता का पालन किया. पहले वे अमेठी को अपना परिवार कहते हैं. फिर वायनाड को अपना परिवार कहते हैं. और अब वो रायबरेली को अपना परिवार कहेंगे!

INDIA गुट में पार्टनर वामदल हमेशा कांग्रेस से जताते रहे ऐतराज

जब राहुल गांधी ने केरल के वायनाड से नामांकन भरा था, तभी से इंडिया गुट के दोनों पार्टनरों कांग्रेस और लेफ्ट के बीच तलवारें खिंच गई थीं. 2 अप्रैल को तो एक सभा में केरल के मुख्‍यमंत्री पिनराई विजयन ने यहां तक कह दिया था कि यदि राहुल गांधी बीजेपी को चैलेंज करना चाहते हैं, तो वो उससे सीधे सीधे क्‍यों नहीं लड़ लेते. लेफ्ट उम्‍मीदवार एनी राजा के सामने चुनाव लड़ने से उन्‍हें क्‍या मिलेगा? 

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मणिपुर की फैक्‍ट फाइंडिंग टीम का हिस्‍सा रहीं एनी राजा की बदौलत ही वहां पर हुई हिंसा का सच सामने आ सका. देश में जहां भी प्रदर्शन होता है, एनी अक्सर मौजूद होती हैं. कोई पूछे कि उस समय राहुल गांधी कहां होते हैं? अपने चुनाव प्रचार के दौरान एनी राजा भी कांग्रेस पर इसी तरह हमलावर होती रहीं हैं. 

मान लीजिये राहुल दोनों सीट जीत गए तो कौन सी छोड़ेंगे?

केरल बीजेपी प्रमुख और वायनाड से बीजेपी के उम्‍मीदवार के सुरेंद्रन ने राहुल गांधी पर वहां के वोटर से झूठ बोलने का आरोप लगाया है. कहते हैं, डबल स्‍टैंडर्ड है उनका. और साथ ही ये भी पूछ लिया है कि यदि मान लीजिये कि वो दोनों सीट जीत गए - तो कौन सी सीट से इस्‍तीफा देंगे? कम से कम उन्‍हें अब तो इतना बता ही देना चाहिए.

मोदी के मुताबिक वायनाड में रिस्‍क, इसलिए रायबरेली फिक्‍स

नरेंद्र मोदी ने राहुल गांधी का नाम लेकर सोनिया गांधी पर हमला बोला और कहा कि मैंने पहले कहा था और वो भी संसद में  कि उनकी सबसे बड़ी नेता चुनाव लड़ने की हिम्‍मत नहीं करेंगी. और वो भागकर राजस्‍थान चली गईं, और वहां राज्‍यसभा ज्‍वाइन कर ली. मैंने पहले ही बता दिया था कि शहजादे (राहुल गांधी) वायनाड में हारने वाले हैं. इसलिए वायनाड में जैसे ही मतदान होगा, वो दूसरी सीट खोजने लग जाएंगे. और अब दूसरी सीट पर भी उनके सारे चेले-चपाटी कह रहे थे कि अमेठी आएंगे, अमेठी आएंगे. लेकिन वो अमेठी से इतना डर गए कि वहां से भागकर अब रायबरेली से रास्‍ता खोज रहे हैं. ये लोग घूमघूमकर कहते हैं कि डरो मत. मैं भी आज उनसे कहता हूं कि अरे डरो मत. भागो मत.

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क्‍या राहुल गांधी वायनाड में अपनी स्थिति कमजोर कर रहे हैं?

कांग्रेस महासचिव केसी वेणुगोपाल कहते हैं कि वरिष्‍ठ नेताओं ने ये फैसला लिया है. और वायनाड के लोगों को इससे कोई प्रॉब्‍लम नहीं है. राहुल गांधी का रायबरेली से इमोशनल अटैचमेंट है, क्‍योंकि यहां से इंदिरा गांधी ने चुनाव लड़ा है और सोनिया गांधी ने उस परंपरा को आगे बढ़ाया है.

केरल में कांग्रेस की साझेदार मुस्लिम लीग के नेशनल जनरल सेक्रेटरी पीके कुंजालि कुट्टी कहते हैं कि वायनाड के लोगों को खुशी होगी यदि राहुल गांधी वायनाड से जीतते हैं. और यदि वायनाड में उपचुनाव होता है तो कांग्रेस/UDF को और अधिक मार्जिन से जीत मिलेगी. राहुल गांधी की रायबरेली से उम्‍मीदवारी इंडिया गुट को और ताकत देगी.

राहुल गांधी के वायनाड और रायबरेली से एक साथ चुनाव लड़ने और फिर इस सवाल पर कि यदि वे दोनों सीट से चुनाव जीत जाते हैं तो कौन सी सीट छोड़ेंगे, इस बात से कोई फर्क नहीं पड़ता. राहुल के समर्थक यही चाहते हैं कि वे जहां भी रहें स्‍थायी रहें. जबकि उनके विरोधी यही मानते हैं कि वे किसी भी सीट के लायक नहीं हैं. बीजेपी लगातार गिनवा रही है कि अमेठी से पिछला चुनाव हारने के बाद वे चार बार ही लौटकर अमेठी गए हैं. लेकिन, गांधी परिवार की परंपरागत सीटों अमेठी-रायबरेली में एक बहुत बड़ा वोटर वर्ग गांधियों के समर्थन में बिना किसी अपेक्षा के खड़ा रहा है. गांधी परिवार के लोगों को चुनकर यह समझते रहे हैं कि प्रधानमंत्री चुनते हैं. अब जबकि ऐसा नहीं है तो कम से कम कांग्रेस के लिए वोट डालने वाले लोग रायबरेली में इतना तो सोचेंगे ही कि वे एक राष्‍ट्रीय नेता संसद भेज रहे हैं. 

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