
जरूरी तो नहीं, लेकिन समझौता अक्सर फायदेमंद होता है. और, इससे रिश्ता मजबूत होता है. राजनीति में तो ये बात खासतौर पर मायने रखती है - कांग्रेस का महागठबंधन में रहकर बिहार चुनाव लड़ने का फैसला, और राहुल गांधी के मुद्दे पर स्पीकर से शिकायत दर्ज कराने में टीएमसी का साथ
मिलना बेहतरीन उदाहरण हैं.
राहुल गांधी बनाम स्पीकर ओम बिरला के ताजा एपिसोड के बाद विपक्षी गठबंधन INDIA ब्लॉक फिर से एकजुट नजर आया है. विपक्षी दलों की तरफ से स्पीकर ओम बिरला को एक पत्र भी सौंपा गया है जिसमें कांग्रेस के साथ समाजवादी पार्टी, तृणमूल कांग्रेस, डीएमके, आरजेडी, केरल कांग्रेस, आईयूएमएल, राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी, शिवसेना (यूबीटी) और एमडीएमके के सांसद शामिल हैं.
राहुल गांधी को जिस बात पर स्पीकर ने नसीहत दी है, कांग्रेस से बाकी विपक्षी दल बहाना बनाकर मुंह मोड़ सकते थे, लेकिन ऐसा नहीं हुआ है. विपक्षी दलों के सांसदों ने स्पीकर को सौंपे गये पत्र पर हस्ताक्षर किया है, और मिलकर अपनी बात रखी है.
TMC का इंडिया ब्लॉक में कांग्रेस के साथ खड़ा होना महत्वपूर्ण
राहुल गांधी के सपोर्ट में विपक्षी दलों के साथ टीएमसी के सांसदों का खड़ा होना काफी महत्वपूर्ण है. ऐसे कई मुद्दे रहे हैं जिन पर टीएमसी ने अलग रास्ता अख्तियार कर लिया है.
ज्यादा दिन नहीं हुए, अडानी के मुद्दे पर विरोध में कांग्रेस अकेले पड़ गई थी, लेकिन जैसे ही राहुल गांधी ने अमित शाह के बयान के बाद आंबेडकर का मुद्दा उठाया, सब के सब साथ खड़े हो गये - लेकिन कुछ ही दिन बाद नये सिरे से खटपट शुरू हो गई थी.
हरियाणा और महाराष्ट्र चुनावों को लेकर टीएमसी ने कांग्रेस के खिलाफ तेवर दिखा दिया था. और, ममता बनर्जी ने इंडिया ब्लॉक का नेतृत्व करने की इच्छा जता दी. फिर तो लालू यादव ने ममता को नेता बनाने की मांग कर डाली और बाकी भी सुर में सुर मिलाने लगे.
दिल्ली चुनाव आते आते तो सीधे सीधे दो फाड़ हो गया था, लेकिन बिहार चुनाव ने फिर से एकजुट होने की नींव रख दी - और संसद में राहुल गांधी के साथ ममता बनर्जी के सांसद भी खड़े हो गये हैं.
आम आदमी पार्टी के शामिल न होने के पीछे तकनीकी मजबूरी लगती है, क्योंकि लोकसभा में उसका एक भी सांसद नहीं है. लेकिन, इफ्तार पार्टी में राहुल गांधी के साथ संजय सिंह के बातचीत की तस्वीर तो यही बता रही है कि चुनावी दुश्मनी पीछे छूट रही है, और आगे के लिए आम आदमी पार्टी भी कांग्रेस के साथ खड़ी हो रही है.
लोकसभा स्पीकर ओम बिरला ने शून्यकाल के दौरान मुलाकात में विपक्षी नेताओं को आश्वास्त किया कि जो मसले उनके सामने रखे गये हैं, उनको वो देखेंगे, समीक्षा करेंगे और फिर जवाब भी देंगे. विपक्ष की तरफ से सरकार द्वारा संसद और संसदीय प्रक्रियाओं को नजरअंदाज करने का आरोप सहित पत्र में 12 प्रमुख मुद्दे शामिल हैं - और एक मुद्दा विपक्षी नेताओं के माइक्रोफोन बंद कर देना भी है.
क्या स्पीकर के पास कोई और रास्ता नहीं था
जिस मुद्दे पर विपक्ष एकजुट हुआ है, वो लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी से जुड़ा है. राहुल गांधी ने स्पीकर ओम बिरला पर बोलने ने देने का आरोप लगाया है. असल में, पूरा बवाल राहुल गांधी को स्पीकर की तरफ से दी गई नसीहत के बाद शुरू हुआ है, जिसमें वो नेता प्रतिपक्ष को संसदीय मर्यादाओं को बनाये रखने की सलाह दे रहे हैं.
स्पीकर ने, पीटीआई के मुताबिक, राहुल गांधी की मौजूदगी में कहा, इस सदन में पिता-पुत्री, मां-बेटी और पति-पत्नी सदस्य रहे हैं. इस परिप्रेक्ष्य में नेता प्रतिपक्ष से अपेक्षा है कि वो नियम 349 के तहत नियमों के अनुसार सदन में आचारण-व्यवहार करें.
संसद के बाहर आने के बाद राहुल गांधी ने कहा था, मैं जब भी लोकसभा में अपनी बात रखने के लिए खड़ा होता हूं, तो मुझे बोलने नहीं दिया जाता... मैं नहीं जानता कि सदन किस प्रकार चल रहा है.
संसद के वाकये के बाद बीजेपी के आईटी सेल के हेड अमित मालवीय ने सोशल मीडिया पर एक वीडियो शेयर किया है. वीडियो में राहुल गांधी अपनी बहन और वायनाड से सांसद प्रियंका गांधी वाड्रा का चेहरा छूकर दुलारते नजर आ रहे हैं.
अमित मालवीय का कहना है कि स्पीकर ओम बिरला ने उसी के चलते राहुल गांधी को शिष्टाचार का पाठ पढ़ाया है. लिखते हैं, ये शर्मनाक है कि लोकसभा अध्यक्ष को विपक्ष के नेता राहुल गांधी को बुनियादी संसदीय शिष्टाचार की याद दिलानी पड़ रही है... कांग्रेस ने इन्हें हम पर थोपा है, जो वास्तव में दुर्भाग्यपूर्ण है.
अमित मालवीय के वीडियो शेयर करने के बाद सोशल मीडिया पर काउंटर अटैक भी हुआ है. संसद के ही कुछ पुराने वीडियो शेयर कर कहा जा रहा है कि तब स्पीकर को सदन की मर्यादा की याद क्यों नहीं आई.
संसद में तो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से गले मिलने के बाद राहुल गांधी को आंख मारते हुए भी देखा जा चुका है, लेकिन तब ऐसी कोई बात नहीं हुई थी. दोस्तों से मुखातिब होकर आंख मारने और छोटी बहन का चेहरा छूकर स्नेह दिखाने की घटना की तुलना की जाये - तो मर्यादा का उल्लंघन किसे माना जाएगा? ये सवाल तो उठता ही है.
इंडियन एक्सप्रेस से बातचीत में कांग्रेस नेताओं का कहना है, स्पीकर ओम बिरला ने बेवजह तूल दिया है... वो चाहते तो लोकसभा में बयान देने के बजाय राहुल गांधी को अपने चैंबर में बुलाकर बात भी कर सकते थे - बात में दम तो है.