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केजरीवाल कांग्रेस की राह के बड़े कांटा थे, राहुल गांधी ने निकाल डाला

दिल्ली चुनाव में लगातार तीसरी बार भले ही कांग्रेस का खाता न खुला हो, लेकिन विपक्षी दलों के नेताओं को राहुल गांधी ने अपना संदेश तो दे ही दिया है - और आम आदमी पार्टी की हार पक्की करके अपने लिए कई मुसीबतें भी टाल दी है.

राहुल गांधी ने अरविंद केजरीवाल को कमजोर करके अपनी राह मजबूत कर ली है. राहुल गांधी ने अरविंद केजरीवाल को कमजोर करके अपनी राह मजबूत कर ली है.
मृगांक शेखर
  • नई दिल्ली,
  • 10 फरवरी 2025,
  • अपडेटेड 5:34 PM IST

कांग्रेस का विरोध करके ही अरविंद केजरीवाल राजनीति में आये. कांग्रेस के समर्थन से ही पहली बार सत्ता हासिल की, लेकिन कांग्रेस के विरोध ने ही अब उनको सत्ता से बाहर भी कर दिया है.

2013 में 8 विधायकों वाली कांग्रेस के समर्थन से अरविंद केजरीवाल पहली बार दिल्ली के मुख्यमंत्री बने थे, लेकिन उसके बाद से अब तक हुए दिल्ली विधानसभा चुनाव में कांग्रेस का खाता भी नहीं खुल सका है. 

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लोकसभा चुनाव में कांग्रेस ने आम आदमी पार्टी के साथ मिलकर चुनाव लड़ा था, लेकिन विधानसभा चुनाव के बहुत पहले ही गठबंधन की नई संभावना खत्म हो गई थी. गठबंधन न करने की घोषणा भी आम आदमी पार्टी की तरफ से ही हुई थी, और उसके बाद से ही दिल्ली कांग्रेस के नेता भी एक्टिव हो गये थे. 

अरविंद केजरीवाल से लोकसभा चुनाव में हाथ मिलाने की वजह से कांग्रेस को काफी नुकसान भी हुआ. गुजरात में अहमद पटेल का परिवार नाराज हुआ, और दिल्ली में अरविंद सिंह लवली खफा होकर फिर से पार्टी छोड़ दिये. पार्टी छोड़ने से पहले वो दिल्ली कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष हुआ करते थे, लेकिन वो दोबारा बीजेपी में चले गये. अहमद पटेल, सोनिया गांधी के राजनीतिक सचिव हुआ करते थे. 

2013 में समर्थन देने को छोड़ दें तो बाद में दिल्ली का कोई भी कांग्रेस नेता अरविंद केजरीवाल की आम आदमी पार्टी के साथ गठबंधन नहीं करना चाहता था. शीला दीक्षित तो ताउम्र अरविंद केजरीवाल के विरोध में डटी रहीं, और संदीप दीक्षित तो नई दिल्ली सीट पर हार के बाद भी खुश होंगे. और कुछ न सही, बेटे ने मां को हराकर राजनीतिक वनवास के लिए मजबूर कर देने वाले अरविंद केजरीवाल को हरा भले न पाया, लेकिन हार पक्की तो कर ही दी. 

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और राहुल गांधी ने भी संदीप दीक्षित वाला ही काम किया है, कांग्रेस के खाते में कोई विधानसभा सीट तो नहीं आ सकी, लेकिन दिल्ली से पांच साल के लिए अरविंद केजरीवाल की विदाई तो कर ही डाली है. 

और आम आदमी पार्टी के साथ ही ये राहुल गांधी की तरफ से INDIA ब्लॉक के सभी राजनीतिक दलों के लिए अलर्ट भी है, और कांग्रेस की तरफ से कड़ा संदेश भी. 

1. कांग्रेस को डैमेज करके केजरीवाल तरक्की कर रहे थे

2013 वाले एपिसोड के बाद कांग्रेस तो आम आदमी पार्टी से निश्चित दूरी बनाकर चल ही रही थी, गांधी परिवार तो अरविंद केजरीवाल को लंबे समय तक विपक्ष की बैठकों से भी दूर रखता था.

यहां तक कि भारत जोड़ो यात्रा के समापन समारोह में भी अरविंद केजरीवाल को नहीं बुलाया गया था. वो तो इंडिया ब्लॉक बनने के बाद दिल्ली सेवा बिल के मुद्दे पर बीच बचाव हुआ और दोनो पक्ष करीब आ सके.

वरना, दिल्ली ही क्यों, पंजाब में भी तो अरविंद केजरीवाल ने कांग्रेस से सत्ता हथिया ही ली है. और गुजरात से लेकर गोवा तक कांग्रेस की नींव खोदने में भी लगे रहे हैं - और अब तो राष्ट्रीय राजनीति में भी चुनौती खड़ी करने वाले थे. 

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दिल्ली में अरविंद केजरीवाल की हार ने राहुल गांधी को बड़ी राहत दी है. 

2. इंडिया ब्लॉक में बड़े दावेदार बनकर उभर रहे थे

आंबेडकर के मुद्दे पर अरविंद केजरीवाल ने नीतीश कुमार और चंद्रबाबू नायडू को चिट्ठी लिखा तो निश्चित तौर पर राहुल गांधी के कान खड़े हो गये होंगे. ममता बनर्जी के पक्ष में लालू यादव ने पहले से ही लामबंदी शुरू कर दी थी, अरविंद केजरीवाल नये दावेदार बनकर उभरने लगे थे. 

अब अगर आम आदमी पार्टी फिर से सत्ता में वापसी कर लेती तो ममता बनर्जी की तरह अरविंद केजरीवाल भी इंडिया ब्लॉक में राहुल गांधी के चैलेंजर बन जाते - राहुल गांधी ने चुनाव में आम आदमी पार्टी का खुलकर विरोध करके वो स्थिति तो टाल ही दी है. 

3. मोदी को चैलेंज करने के मामले में राहुल गांधी को टक्कर दे रहे थे

गुजरात में 5 विधानसभा सीटें जीतने और एमसीडी में सत्ता हासिल करने के बाद से अरविंद केजरीवाल 2024 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को आगे बढ़कर चुनौती देने लगे थे. वो तो मनीष सिसोदिया और संजय सिंह के बाद खुद जेल चले जाने के बाद अरविंद केजरीवाल के तेवर थोड़े नरम पड़ गये थे. 

और कांग्रेस जब नीतीश कुमार और ममता बनर्जी जैसे अनुभवी नेताओं को राहुल गांधी की बराबरी में नहीं खड़ा होने दी, तो अरविंद केजरीवाल की क्या बिसात. 

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4. केजरीवाल के बहाने अखिलेश-लालू सबको सबक देना था

दिल्ली चुनाव को लेकर लालू यादव और तेजस्वी यादव तो खामोश थे, लेकिन ममता बनर्जी और अखिलेश यादव ने खुलकर अरविंद केजरीवाल को सपोर्ट किया था. 

ममता बनर्जी तो नहीं आई थीं, लेकिन अखिलेश यादव ने तो अरविंद केजरीवाल के साथ रोड शो भी किया था - और लोकसभा में भी कांग्रेस को कठघरे में खड़ा करने की कोशिश की थी.

अरविंद केजरीवाल की हार सुनिश्चित करने के साथ ही, राहुल गांधी ने बिहार में लालू यादव और तेजस्वी यादव को भी अपना संदेश दे दिया है. 

और राहुल गांधी का वही संदेश अखिलेश यादव और ममता बनर्जी के लिए भी है - वैसे भी बीजेपी का अगला निशाना तो ममता बनर्जी ही हैं.

5. क्षेत्रीय दलों पर कांग्रेस की निर्भरता बढ़ती जा रही थी

राहुल गांधी ने दिल्ली चुनाव में अरविंद केजरीवाल के खिलाफ स्टैंड लेकर विपक्षी खेमे के सभी नेताओं को अपना संदेश तो दोहरा ही दिया है. राहुल गांधी तो पहले से ही क्षेत्रीय दलों की विचारधारा को कांग्रेस और बीजेपी के मुकाबले दोयम दर्जे का बताते रहे हैं - और उसे काउंटर करने के लिए क्षेत्रीय दलों के नेता राहुल गांधी से ड्राइविंग सीट छोड़ देने की बात करते रहे हैं. 

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अब तो लगता है जैसे क्षेत्रीय दलों पर कांग्रेस की निर्भरता को खत्म करते हुए राहुल गांधी फिर से अपनी जमीन तलाशने निकल पड़े हों. 

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