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कांग्रेस को मिला राम मंदिर निर्माण से लाभ उठाने का आखिरी मौका, लेकिन क्या वो इच्‍छुक है?

अयोध्या में राम लला के प्राण प्रतिष्ठा समारोह का सोनिया गांधी और मल्लिकार्जुन खरगे को भी न्योता मिला है. दोनों नेताओं में से कोई एक भी अयोध्या पहुंच जाता है, तो कांग्रेस के लिए फायदा ही फायदा है.

सोनिया गांधी और मल्लिकार्जुन खरगे के अयोध्या जाने पर सस्पेंस कायम सोनिया गांधी और मल्लिकार्जुन खरगे के अयोध्या जाने पर सस्पेंस कायम
मृगांक शेखर
  • नई दिल्ली,
  • 21 दिसंबर 2023,
  • अपडेटेड 7:49 PM IST

22 जनवरी को अयोध्या में राम लला का प्राण प्रतिष्ठा समारोह होने जा रहा है. समारोह के लिए आयोजन समिति ने सोनिया गांधी और कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे को भी निमंत्रण दिया है. 

सूत्रों के हवाले से एक खबर आई है कि दोनों में से कोई भी नेता समारोह में हिस्सा नहीं लेने वाले हैं. लेकिन, न्यूज एजेंसी ANI ने  बातचीत में सीनियर कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह ने सोनिया गांधी के अयोध्या जाकर समारोह में हिस्सा लेने की संभावना जताई है.

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अयोध्या में राम मंदिर निर्माण को लेकर कांग्रेस हमेशा ही बीजेपी के निशाने पर रही है. बीजेपी का आरोप रहा है कि राम मंदिर निर्माण में कांग्रेस बाधा पहुंचाने की कोशिश करती रही है. सोनिया गांधी न सही, अगर मल्लिकार्जुन खरगे भी समारोह में हिस्सा लेते हैं तो ये राजनीतिक रूप से बीजेपी के हमलों का काउंटर करना थोड़ा आसान हो सकता है - क्योंकि अयोध्या पहुंच कर मल्लिकार्जुन खरगे लोगों को समझा सकते हैं कि बीजेपी राजनीतिक वजहों से कांग्रेस को कठघरे में खड़ा करने की कोशिश करती है.

करीब तीन महीने पहले की बात है. अयोध्या में इस बात की जोरदार चर्चा रही कि 2024 के आम चुनाव से पहले कांग्रेस नेता राहुल गांधी राम मंदिर दर्शन के लिए पहुंच सकते हैं. इस चर्चा का आधार बनी थी, राजीव गांधी फाउंडेशन के सीईओ विजय महाजन की अयोध्या यात्रा. लेकिन न तो तब, और न ही अभी तक ये साफ हो पाया है कि राहुल गांधी कब अयोध्या जाने वाले हैं.

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2016 में राहुल गांधी दर्शन करने हनुमान गढ़ी मंदिर गये जरूर थे, और 1992 में बाबरी मस्जिद गिराये जाने के बाद पहली बार गांधी परिवार की तरफ से किसी ने ऐसा किया था. वैसे ही 2019 के लोक सभा चुनाव से पहले कांग्रेस महासचिव बनाये जाने के बाद प्रियंका गांधी वाड्रा हनुमानगढ़ी तक तो गई थीं, लेकिन आगे नहीं बढ़ीं. राम लला के दर्शन किये बगैर ही वो अपने कार्यक्रम के लिए निकल गयीं.

सोनिया और खरगे को प्राण प्रतिष्ठा समारोह का निमंत्रण

रिपोर्ट के मुताबिक, देश के सभी राष्ट्रीय राजनीतिक दलों के नेताओं और पूर्व प्रधानमंत्रियों को अयोध्या समारोह का निमंत्रण भेजा गया है. जिन लोगों ने समिति के सदस्यों को मुलाकात का समय दिया उनसे मिल कर, और बाकियों को डाक के माध्यम से निमंत्रण भेजा गया है. आयोजन समिति के प्रतिनिधिमंडल ने पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद और पूर्व प्रधानमंत्री एचडी देवगौड़ा से भी मुलाकात कर समारोह के लिए आमंत्रित किया है. हालांकि, बताते हैं कि मुख्यमंत्रियों और राज्यपालों को निमंत्रण नहीं भेजा गया है. समारोह के लिए बुलाये जाने वालों में सीपीएम महासचिव सीताराम येचुरी, सीपीआई महासचिव डी. राजा, बीएसपी नेता मायावती, AAP नेता अरविंद केजरीवाल भी शामिल हैं.

सूत्रों के हवाले से खबर मिली है कि राम मंदिर निर्माण समिति के अध्यक्ष नृपेंद्र मिश्रा, आरएसएस के अखिल भारतीय संपर्क प्रमुख राम लाल और वीएचपी के अंतर्राष्ट्रीय कार्यकारी अध्यक्ष आलोक कुमार ने सोनिया गांधी और मल्लिकार्जुन खरगे से मुलाकात की है, और समारोह में पहुंचने के लिए आमंत्रित किया है. 

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साथ ही, पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को भी निमंत्रण दिया गया है, लेकिन ये भी खबर है कि खराब स्वास्थ्य के कारण वो कार्यक्रम में शामिल नहीं हो पाएंगे. बताया जाता है कि नृपेंद्र मिश्रा ने मनमोहन सिंह से भी मिलने का समय मांगा था, लेकिन पूर्व प्रधानमंत्री कार्यालय ने उनकी सेहत ठीक न होने हवाला देते हुए मिलने का समय नहीं दिया.

सोनिया गांधी और मल्लिकार्जुन खरगे को लेकर पहले सूत्रों के हवाले से खबर आई थी कि दोनों ही नेताओं के समारोह में शामिल होने की संभावना नहीं है. लेकिन सीनियर कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह कहते हैं, 'कोई किसी पार्टी का ट्रस्ट तो है नहीं... जाने में क्या आपत्ति है... सोनिया जी तो बहुत पॉजिटिव हैं, इस मामले में... या तो वो जाएंगी या डेलिगेशन हमारा जाएगा.' 

प्राण प्रतिष्ठा समारोह में शिरकत से कांग्रेस को बड़ा फायदा

सोनिया गांधी और मल्लिकार्जुन खरगे का जो भी फैसला हो, अब तो कांग्रेस पार्टी को ही तय करना है कि प्राण प्रतिष्ठा समारोह के निमंत्रण को लेकर क्या करना है - ये भी मान कर ही चलना चाहिये की कांग्रेस नेताओं के समारोह में हिस्सा लेने और न लेने दोनों ही सूरत में बीजेपी ने कैसे रिएक्ट करना है, तय कर रखा होगा.

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सोनिया गांधी के अयोध्या न जाने की वजह भी सेहत का दुरूस्त न होना हो सकती है, कर्नाटक की तरह उनके चुनाव प्रचार के लिए तेलंगाना जाने की बात थी, लेकिन आखिर में कांग्रेस नेता ने एक वीडियो मैसेज भेज दिया था. 

दिग्विजय सिंह ने सोनिया गांधी के बारे में तो बताया है, लेकिन मल्लिकार्जुन खरगे के बारे में कुछ नहीं कहा है. जैसा कि सूत्रों से पता चला है, अगर मल्लिकार्जुन खरगे नहीं जाते क्यों नहीं जा रहे हैं, तो सवाल है कि क्यों नहीं जाना चाहते? वो तो लगातार एक्टिव नजर आये हैं. पांच राज्यों के विधानसभा चुनावों के लिए कांग्रेस के कैंपेन में वो आगे बढ़ कर मोर्चा संभाल रहे थे. 

अगर मल्लिकार्जुन खरगे भी अयोध्या नहीं जाते तो क्या ये नहीं समझा जाना चाहिये कि कांग्रेस अयोध्या और राम मंदिर मसले से दूरी बनाने की कोशिश कर रही है?

देखा जाये तो कांग्रेस के लिए ये बहुत बड़ा मौका है. मल्लिकार्जुन खरगे के समारोह में हिस्सा लेने के बाद बीजेपी को ये कहने से तो रोक ही सकते हैं कि कांग्रेस हमेशा ही राम मंदिर निर्माण में बाधा पहुंचाने की कोशिश करती रही है. 
 
अगर ऐसा हुआ तो कांग्रेस को वैसा ही फायदा हो सकता है जितना मल्लिकार्जुन खरगे को अध्यक्ष बनाने से हो रहा है. अब कम से कम बीजेपी ये तो नहीं कह सकती कि कांग्रेस का अध्यक्ष गांधी परिवार से ही होगा, कोई और नहीं हो सकता. और जब तक कांग्रेस की तरफ से ममता बनर्जी और केजरीवाल के प्रस्ताव पर सफाई नहीं आती, ये भी माना जा सकता है कि मल्लिकार्जुन खरगे के विपक्ष की तरफ से प्रधानमंत्री पद का उम्मीदवार बनने से गांधी परिवार को कोई दिक्कत नहीं है. 

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वैसे मल्लिकार्जुन खरगे का अयोध्या जाना भी मनमोहन सिंह के जरिये पंजाब के लोगों से 1984 के सिख दंगों के लिए माफी मंगवाने जैसा ही है. अगर अयोध्या जाकर मल्लिकार्जुन खरगे राम मंदिर निर्माण में कांग्रेस के स्टैंड पर सफाई दे दें तो ज्यादा न सही, थोड़ा बहुत फायदा तो हो ही सकता है.

ऐसा करने से कांग्रेस राजीव गांधी के मंदिर का ताला खुलवाने की जो बात दबी जबान कहती है, लोगों के सामने मजबूती से रखी सकती है. इससे सीधे सीधे ज्यादा चुनावी फायदा भले न हो, लेकिन नुकसान तो थोड़ा कम हो ही सकता है - और नुकसान का कम होना भी तो फायदा ही होता है. 

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