Advertisement

अमेठी-रायबरेली पर कांग्रेस के सस्पेंस में तड़का है रॉबर्ट वाड्रा को दूसरे दलों से मिला 'ऑफर'!

राजनीति में रॉबर्ट वाड्रा की दिलचस्पी तो पहले भी देखने को मिली है, फर्क बस ये है कि अब वो खुल कर अमेठी का नाम लेने लगे हैं. और उनका एक दावा तो कांग्रेस के लिए सबसे बड़ी चिंता का विषय हो सकता है - कांग्रेस में मची भगदड़ के बीच उनके पास भी दूसरे राजनीतिक दलों का ऑफर है.

रॉबर्ट वाड्रा तो अमेठी से ही चुनाव लड़ना चाहते हैं, लेकिन प्रियंका गांधी के संसद पहुंच जाने के बाद. रॉबर्ट वाड्रा तो अमेठी से ही चुनाव लड़ना चाहते हैं, लेकिन प्रियंका गांधी के संसद पहुंच जाने के बाद.
मृगांक शेखर
  • नई दिल्ली,
  • 05 अप्रैल 2024,
  • अपडेटेड 11:48 AM IST

रॉबर्ट वाड्रा लंबे अर्से से राजनीति को बेहद करीब से देख रहे हैं. और अब सक्रिय राजनीति में आने मन भी बना चुके हैं. उनका कहना है, राजनीति ज्वाइन करने का फैसला वो सही वक्त आने पर ही लेंगे. 

वो कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी के पति हैं. वो हैं तो बिजनेसमैन, लेकिन जांच एजेंसियों के निशाने पर होने के कारण अक्सर विवादों में रहे हैं. 2019 में जब प्रियंका गांधी को कांग्रेस में औपचारिक रूप से जिम्मेदारी दी गई थी, तो कामकाज संभालने से पहले वो ईडी के सामने पेशी के लिए रॉबर्ट वाड्रा को जांच एजेंसी के दफ्तर तक छोड़ने गई थीं. और उसके बाद मीडिया के पूछने पर प्रतिक्रिया में कहा था, मैं अपने परिवार के साथ हूं. 

Advertisement

तमाम आरोपों को झुठलाते हुए रॉबर्ट वाड्रा अपने खिलाफ लगाये जा रहे सारे ही आरोपों को खारिज करते रहे हैं, और कहते हैं कि देश के बड़े राजनीतिक परिवार से जुड़े होने के चलते ही उनको बार बार निशाना बनाया जाता है.

भारतीय राजनीति रॉबर्ट वाड्रा की दिलचस्पी काफी दिनों से देखी जा रही है. बीच बीच में वो मीडिया के सामने या फिर सोशल मीडिया पर अपनी ये राय जाहिर भी करते रहे हैं. फर्क बस ये आया है कि अब वो काफी खुल कर अपने मन की बात करने लगे हैं - विशेष रूप से अमेठी लोकसभा सीट को लेकर. 

अमेठी और रायबरेली इसलिए भी चर्चा का विषय बने हुए हैं क्योंकि अभी तक कांग्रेस ने किसी भी सीट के लिए अपने उम्मीदवार की घोषणा नहीं की है. राहुल गांधी भी वायनाड से नामांकन दाखिल कर चुके हैं, लेकिन अमेठी या रायबरेली को लेकर अभी सस्पेंस बना हुआ है. 

Advertisement

ऐसे में रॉबर्ट वाड्रा के मुंह से एक इंटरव्यू में अमेठी का जिक्र और उसके साथ अपना नाम जोड़ कर पेश करना लोकसभा चुनाव से ठीक पहले काफी महत्वपूर्ण है.

रॉबर्ट वाड्रा के पास भी ऑफर है!

सोनिया गांधी का दामाद और राहुल गांधी के बहनोई होते हुए भी रॉबर्ट का ये दावा कि उनके पास दूसरे राजनीतिक दलों से भी ऑफर है, कांग्रेस नेतृत्व के लिए तो पैरों तले जमीन खिसकने वाली बात है - कांग्रेस के लिए ये चिंता की बात इसलिए भी है क्योंकि पार्टी में पहले से ही लगता है जैसे भगदड़ मची हो. विजेंदर सिंह, रवनीत सिंह बिट्टू, गौरव वल्लभ और संजय निरुपम जैसे नेताओं का एक झटके में कांग्रेस छोड़ कर बीजेपी ज्वाइन कर लेने को हल्के में तो लिया भी नहीं जा सकता. 

जब नेताओं के कांग्रेस छोड़कर बीजेपी में चले जाने को लेकर पूछा जाता है, तो रॉबर्ट वाड्रा कहते हैं, 'ये कहना ठीक नहीं होगा कि कांग्रेस से नेताओं का भरोसा उठ गया है. मैं इन लोगों से मिला हूं. वे अनुभवी नेता हैं... इस वक्त वे सत्ता या टिकट चाहते हैं, लेकिन उसके लिए ढंग से कोशिश नहीं करते... कोशिश करनी चाहिये. अगर आपको लगता है कि आपकी पहचान आपके मंत्री होने से है, और वो सब अभी हो नहीं पा रहा है... तो भी घबराना नहीं चाहिये. अगर उनको टिकट नहीं मिलता... ये कोई मतलब नहीं है कि अगर कोई पार्टी बुलाये तो वे दौड़ पड़ें.'

Advertisement

बीजेपी या किसी भी पार्टी में चले जाने वाले ऐसे नेताओं के बारे में वो कहते हैं, कांग्रेस ने उनके और उनके परिवार के लिए बहुत किया है. अगर वे पीढ़ियों से कांग्रेस में हैं, तो उनको थोड़ा धैर्य भी रखना चाहिये. अगर उनको दिक्कत होती है, और सत्ता में लौटने में लंबा वक्त लगता है तो भी... सत्ता ही सब कुछ नहीं है. 

और फिर वो ऐसी बातें भी करने लगते  हैं जैसे कोई कांग्रेस नेता हो, 'हमें उन पर गुस्सा नहीं आता... हम उनके अच्छे भविष्य की शुभकामनाओं के साथ विदा करते हैं. लेकिन लोग देखेंगे कि वे किसी भी पार्टी विशेष के होकर नहीं रहने वाले हैं... जहां भी सत्ता और ओहदा नजर आएगा, वे पहुंच जाएंगे. ऐसे लोगों के लिए ये सब चीजें ही मायने रखती हैं.'

और फिर, रॉबर्ट वाड्रा अपने बारे में भी बताने लगते हैं. कहते हैं, 'मैं इसलिए भी कहूंगा, क्योंकि मैं लोगों से मिलता रहता हूं... कई सांसद हैं... दूसरी पार्टियों में. जब भी मैं उनसे मिलता हूं, वे बड़े अच्छे से मुझसे बात करते हैं... और कहते हैं, आ जाइये संसद... हमारी पार्टी से... आखिर इतना वक्त क्यों ले रहे हैं?'

रॉबर्ट वाड्रा का कहना है कि उनसे मुलाकातों में ये सांसद यहां तक भरोसा दिलाते हैं कि वे बड़े अंतर से उनकी चुनावी जीत सुनिश्चित करने का भी भरोसा दिलाते हैं. 

Advertisement

भले ही रॉबर्ट वाड्रा ने ये बातें कांग्रेस छोड़ कर जा रहे नेताओं के लिए नसीहत के रूप में कही हो, लेकिन राजनीति के लिहाज से ये काफी गंभीर बात है. क्योंकि जिस तरह से करीब एक दशक से वो विवादों और आरोपों के घेरे में रहे हैं, रॉबर्ट वाड्रा भी तो उसी दायरे में आते हैं जैसे आरोप कांग्रेस नेता पार्टी छोड़कर बीजेपी ज्वाइन करने वाले नेताओं पर लगाते हैं.

आपको याद होगा. भारत जोड़ो न्याय यात्रा के समापन के वक्त मुंबई में राहुल गांधी कांग्रेस छोड़ कर बीजेपी में जाने वाले एक सीनियर नेता का खासतौर पर जिक्र किया था. राहुल गांधी का कहना था कि कांग्रेस छोड़ने से पहले वो नेता नेतृत्व से मिले थे, और लगभग रोते हुए से बोले कि कैसे जांच एजेंसियों ने परेशान कर रखा है जिसकी वजह से उनको ये मुश्किल फैसला लेना पड़ रहा है. 

राहुल गांधी ने उस नेता का नाम तो नहीं लिया था, लेकिन तभी महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री अशोक चव्हाण ने कांग्रेस नेता के आरोपों को खारिज कर इस बात की पुष्टि कर दी कि बात उनके बारे में ही हो रही थी. 

कांग्रेस के सोशल मीडिया को देखें तो ऐसी बहुत सारी पोस्ट मिलेंगी जिनमें ऐसे उदाहरण देकर बीजेपी को लॉन्ड्री साबित करने की कोशिश होती रही है. और इसका एक मिसाल तो काफी पहले भी देखने को मिला था. बीजेपी को वॉशिंग मशीन बताने के कुछ ही दिन बाद केरल के नेता टॉम वडक्कन ने बीजेपी का भगवा खुशी खुशी धारण कर लिया था. 

Advertisement

क्या रॉबर्ट वाड्रा अमेठी से लोकसभा चुनाव लड़ना चाहते हैं? 

जिस तरीके से रॉबर्ट वाड्रा अमेठी लोकसभा सीट का जिक्र छेड़ रहे हैं, और जिस लहजे में वहां की सांसद केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी पर हमला बोल रहे हैं - सुन कर तो ऐसा ही लगता है जैसे वो अमेठी लोकसभा सीट से टिकट के लिए दावेदारी पेश कर रहे हों. किसी और नेता के मुंह से सुनने पर तो यही लगेगा, जिस तरह की बातें वो कर रहे हैं. 

स्मृति ईरानी को सीधे सीधे चैलेंज करते हुए रॉबर्ट वाड्रा अमेठी की अनदेखी करने का आरोप लगा रहे हैं. कह रहे हैं कि अमेठी के लोग स्मृति ईरानी से थक गये हैं, क्योंकि उनको अमेठी की कोई परवाह नहीं है, और वो अमेठी के लोगों की परवाह भी नहीं करतीं. 

रॉबर्ट वाड्रा तो यहां तक कह रहे हैं कि स्मृति ईरानी अमेठी जाती ही नहीं हैं. देखा जाये तो स्मृति ईरानी भी राहुल गांधी के बारे में ऐसी ही बातें करती रही हैं. तब भी जब राहुल गांधी अमेठी में मौजूद होते हैं, क्योंकि तब तो वो वहां पहुंच ही जाती हैं. अब तो वो राहुल गांधी का पीछा करते करते वायनाड तक पहुंच जा रही हैं. सही है, लोहे को लोहा ही काटता है. जैसे स्मृति ईरानी, राहुल गांधी को खारिज करती हैं, रॉबर्ट वाड्रा ठीक उसी तरीके से स्मृति ईरानी को भी खारिज कर रहे हैं. 

Advertisement

अमेठी के लोगों के बारे में रॉबर्ट वाड्रा बताते हैं, 'लोग चाहते हैं कि गांधी परिवार लौट आये... वे भारी मतों से जिताएंगे. अमेठी और गांधी परिवार का जिक्र करते करते वो अपने बारे में बात करने लगते हैं. 

उनका कहना है, 'अमेठी के लोग चाहते हैं कि जब भी मैं राजनीति में कदम बढ़ाऊं... और सांसद बनने के बारे में सोचूं... मुझे अमेठी का प्रतिनिधित्व करने के बारे में सोचना चाहिये.'

लेकिन लगता है रॉबर्ट वाड्रा भी 'लेडीज फर्स्ट' में यकीन रखते हैं, 'मैं हमेशा से चाहता हूं... पहले प्रियंका संसद पहुंचें... और फिर मैं भी.'

Read more!
Advertisement

RECOMMENDED

Advertisement