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संजय सिंह रिमांड पर, लेकिन देश में ED-IT के छापे राजनीतिक आरोपों से घिरे!

AAP नेता संजय सिंह को गिरफ्तार करने के बाद प्रवर्तन निदेशालय की रिमांड पर भेज दिया गया है. यह अपडेट अपनी जगह, लेकिन देश में छापेमारी थम नहीं रही है. पश्चिम बंगाल और कर्नाटक में ED की रेड के साथ ही तमिलनाडु और तेलंगाना में इनकम टैक्स ने भी छापे मार कर जांच पड़ताल की है - आम आदमी पार्टी ने इसे मोदी सरकार की बौखलाहट बताया है.

केंद्रीय जांच एजेंसियों के अफसरों को बीजेपी शासन वाले राज्यों में जाने से परहेज क्यों होता है? केंद्रीय जांच एजेंसियों के अफसरों को बीजेपी शासन वाले राज्यों में जाने से परहेज क्यों होता है?
मृगांक शेखर
  • नई दिल्ली,
  • 05 अक्टूबर 2023,
  • अपडेटेड 9:13 PM IST

दिल्ली में AAP नेता संजय सिंह की गिरफ्तारी के 24 घंटे के भीतर ही देश के चार राज्यों से ताबड़तोड़ छापेमारी की खबरें आई हैं. ये राज्य हैं - पश्चिम बंगाल, तमिलनाडु, तेलंगाना और कर्नाटक. खास बात ये है कि चारों में से किसी भी राज्य में बीजेपी की सरकार नहीं है.

कर्नाटक में इसी साल चुनाव हुए हैं जहां कांग्रेस सत्ता में लौटी है, और तेलंगाना में साल के आखिर में होने जा रहे हैं. पश्चिम बंगाल और कर्नाटक में प्रवर्तन निदेशालय यानी ED ने छापेमारी की है, तमिलनाडु और तेलंगाना में इनकम टैक्स यानी IT की रेड चल रही है.

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संजय सिंह की गिरफ्तारी को लेकर आम आदमी पार्टी के नेताओं ने जोरदार विरोध प्रदर्शन किया है - और सोशल मीडिया साइट X पर पार्टी की तरफ से लिखा गया है, 'चार दिन से मोदी सरकार की तानाशाही चल रही है... मोदी सरकार हार के डर से बौखला गयी है.' आम आदमी पार्टी नेता और दिल्ली सरकार में मंत्री आतिशी मार्लेना ने इस सिलसिले में पत्रकारों से लेकर डीएमके नेताओं के यहां पड़े छापों के साथ साथ तृणमूल कांग्रेस नेताओं के साथ पुलिस के बर्ताव के लिए भी केंद्र की मोदी सरकार को जिम्मेदार ठहराया है. 

पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के भतीजे अभिषेक बनर्जी और महुआ मोइत्रा सहित कुछ टीएमसी नेता केंद्रीय ग्रामीण विकास राज्य मंत्री साध्वी निरंजन ज्योति से मिलना चाह रहे थे. मुलाकात नहीं हुई तो वे वहीं धरने पर बैठ गये. जब टीएमसी नेता उठने को तैयार नहीं हुए तो दिल्ली पुलिस ने जबरन हटा दिया. इस घटना से जुड़ा एक वीडियो भी वायरल हो रहा है, जिसमें दिल्ली पुलिस टीएमसी सांसद महुआ मोइत्रा को उठा कर ले जा रही है और वो अपने सांसद होने की दुहाई दे रही हैं. बताते हैं कि पुलिस ने टीएमसी नेताओं के मोबाइल फोन भी ले लिये थे. 

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दिल्ली में टीएमसी नेताओं के साथ जो हुआ वो तो हुआ ही, पश्चिम बंगाल सरकार में एक मंत्री के यहां म्यूनिसिपलिटी में भर्ती घोटाले को लेकर प्रवर्तन निदेशालय ने छापेमारी की है. ये छापेमारी मंत्री के नॉर्थ 24 परगना सहित कई ठिकानों पर हुई है.

जांच एजेंसियों के ऐसे छापों को विपक्ष हमेशा ही पॉलिटिकल एक्शन के तौर पर देखता रहा है, और आरोप लगाया जाता है कि ये सब जानबूझ कर विपक्षी गठबंधन INDIA के नेताओं को टारगेट किया जाता है. 

1. ममता के मंत्री के ठिकानों पर ED के छापे

पश्चिम बंगाल सरकार में खाद्य मंत्री रथिन घोष के घर सहित करीब दर्जन भर ठिकानों पर प्रवर्तन निदेशालय के अफसरों ने छापा मार कर जांच पड़ताल की है. 24 नॉर्थ परगना सहित तमाम ठिकानों में ये छापे मध्यमग्राम नगर पालिका में भर्ती घोटाले के सिलसिले में बताये जाते हैं. 

ये घोटाले तब के बताये जाते हैं जब रथिन घोष मध्यमग्राम नगर पालिका के चेयरमैन हुआ करते थे. रथिन घोष पर अयोग्य उम्मीदवारों को नौकरी देने के आरोप है. ये मामला 2014 और 2018 के बीच मध्यमग्राम नगर पालिका में भर्ती प्रक्रिया का हिस्सा है.

विपक्ष को इन छापों पर सवाल उठाने का मौका इसलिए भी मिल गया है क्योंकि 2-3 अक्टूबर को दिल्ली में तृणमूल कांग्रेस सांसदों के विरोध प्रदर्शन के बाद हुआ है. 

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2. शिवमोगा में कांग्रेस नेता के घर प्रवर्तन निदेशालय की रेड

कर्नाटक के शिवमोगा में कांग्रेस नेता मंजूनाथ गौड़ा के तीन घरों पर छापेमारी हुई है. मंजूनाथ गौड़ा कर्नाटक कांग्रेस कमेटी की कोऑपरेटिव डिवीजन के स्टेट कोऑर्डिनेटर हैं. 2014 में फेक गोल्ड केस में शिवमोगा पुलिस मंजूनाथ गौड़ा को गिरफ्तार भी कर चुकी है. 

पुलिस ने मंजूनाथ गौड़ा को फेक गोल्ड के बदले लोन जारी करवाने के मामले में मुख्य आरोपी बनाया था. पुलिस जांच में पता चला था कि डीसीसी बैंक 62 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है. जांच के दौरान मंजूनाथ गौड़ा के साथ साथ बैंक के 18 कर्मचारियों को भी गिरफ्तार किया गया था. 

अभी 28 सितंबर को ही मंजूनाथ गौड़ा को फिर से डीसीसी बैंक का चेयरमैन चुना गया है - और ध्यान देने वाली बात ये भी है कि वो 1997 से लगातार इस पद पर बने हुए हैं. पहले वो एपेक्स बैंक के भी चेयरमैन रह चुके हैं. 

पूरे मामले को देखें ये राजनीतिक कम और धोखाधड़ी का ही मामला ज्यादा लगता है. ये भी याद रहे कि जब शिवमोगा पुलिस ने मंजूनाथ गौड़ा को 2014 में गिरफ्तार किया था उस वक्त वहां कांग्रेस की ही सरकार थी - और सिद्धारमैया ही मुख्यमंत्री हुआ करते थे. 

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3. केसीआर के विधायक के घर और दफ्तर पर छापा

तेलंगाना में BRS के विधायक मंगंती गोपीनाथ के घर और दफ्तर पर आयकर विभाग की तरफ से छापेमारी हुई है. आईटी अधिकारियों की कई टीमें कुकटपल्ली में उनके आवास और दफ्तर के साथ साथ हैदराबाद के कई इलाकों में भी जांच पड़ताल की है. 

तेलंगाना में इसी साल के आखिर में विधानसभा के चुनाव होने हैं. भारत राष्ट्र समिति नेता और तेलंगाना के मुख्यमंत्री के चंद्रशेखर राव बीजेपी के साथ साथ कांग्रेस नेता राहुल गांधी के भी  निशाने पर हैं - और उनकी सरकार पर भ्रष्टाचार के भी आरोप लगाये जा रहे हैं. केसीआर की बेटी के कविता से भी दिल्ली शराब घोटाले में पूछताछ हो चुकी है.

4. स्टालिन के सांसद और उनके करीबियों के ठिकानों पर छापा

तमिलनाडु में डीएमके सांसद एस जगत रक्षकन के घर और अन्य ठिकानों पर छापेमारी हुई है. आयकर विभाग के अधिकारियों ने डीएमके सांसद और उनके करीबियों के 40 से ज्यादा ठिकानों पर जांच पड़ताल की है. 

आयकर विभाग ने टैक्स चोरी के मामले में ये छापेमारी की है. तमिलनाडु में डीएमके की ही सरकार है.

5. समाजवादी पार्टी नेता अबू आजमी के यहां आयकर की छापेमारी

समाजवादी पार्टी नेता अबू आसिम आजमी के खिलाफ टैक्स चोरी के मामले में मुंबई, लखनऊ और वाराणसी में कई जगह छापेमारी हुई है. अबू आजमी समाजवादी पार्टी की महाराष्ट्र यूनिट के अध्यक्ष हैं और विनायक ग्रुप के चेयरमैन भी हैं. 

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विनायक ग्रुप के वाराणसी में कई शॉपिंग सेंटर, मॉल और कई बहुमंजिली आवासीय इमारतें हैं. अबू आजमी पर आरोप है कि उनको वाराणसी से मुंबई तक हवाला के जरिये 40 करोड़ रुपये मिले थे. बताते हैं कि आयकर विभाग की तरफ से पहले अबू आजमी को 160 करोड़ रुपये की टैक्स चोरी के मामले में समन भेजा गया था.

आखिर जांच एजेंसियों में तैनात अफसर ऐसा क्यों करते हैं?

पत्रकारों के खिलाफ कार्रवाई के बारे में केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर का कहना था कि जांच एजेंसियां स्वतंत्र रूप से काम करती हैं. बिलकुल ठीक. लेकिन एक बात नहीं समझ में आती कि ये जांच एजेंसियां ऐसे काम क्यों करती हैं कि सरकार के मंत्रियों को सफाई देने के लिए मजबूर होना पड़ता है.

आखिर ये जांच एजेंसियां ऐसा कौन सा SOP फॉलो करती हैं जिससे विपक्षी नेता निशाने पर आ जाते हैं - और सत्ताधारी दल के नेताओं का बाल भी बांका नहीं हो पाता. 

आखिर इन स्वतंत्र जांच एजेंसियों के एक्शन को संयोग समझा जाये या किसी तरह का खास प्रयोग? ये कैसे हो जाता है कि बिहार में जातिगत गणना के आंकड़े जारी होते हैं, और उसके बाद आम आदमी पार्टी के सांसद संजय सिंह को प्रवर्तन निदेशालय गिरफ्तार कर लेता है. 

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क्या सरकार को इन जांच एजेंसियों के अफसरों को नोटिस भेज कर ये नहीं पूछना चाहिये कि वे ऐसे काम क्यों करते हैं जिससे लोगों को शक होता है, और विपक्ष को आरोप लगाने का मौका मिल जाता है - आखिर ऐसे अफसरों की मंशा क्या होती होगी? 

आखिर जांच एजेंसियों के अफसर छापे मार कर केंद्र सरकार को निशाने पर क्यों ला देते हैं? ये भी नहीं समझ में आता कि जांच एजेंसियों में तैनात अफसर उन्हीं राज्यों में ज्यादा एक्टिव नजर आते हैं जहां विपक्षी दलों की सरकारें होती हैं? ऐसे में सरकार पर सवाल तो उठेंगे ही, लेकिन अफसरों को ये बात समझ में क्यों नहीं आती?

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