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जनता की अदालत के बाद कोर्ट में शरद पवार, अब कुछ बचा भी है या सब खत्‍म समझें? | Opinion

महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में मिली हार के बाद शरद पवार अपने भतीजे अजित पवार के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट पहुंच गये हैं. शरद पवार का दावा है कि एनसीपी केस में सुप्रीम कोर्ट की हिदायतों का अजित पवार ने बिलकुल भी पालन नहीं किया है.

अजित पवार के खिलाफ शरद पवार पहुंचे सुप्रीम कोर्ट अजित पवार के खिलाफ शरद पवार पहुंचे सुप्रीम कोर्ट
मृगांक शेखर
  • नई दिल्ली,
  • 29 नवंबर 2024,
  • अपडेटेड 12:06 PM IST

शरद पवार का तो उद्धव ठाकरे से भी बुरा हाल हुआ है. महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में शरद पवार को उद्धव ठाकरे की आधी सीटें मिली हैं. बीएमसी चुनाव से उम्मीदें तो शरद पवार को भी होंगी ही, फिलहाल तो सुप्रीम कोर्ट का ही आसरा है. 

सुप्रीम कोर्ट ने विधानसभा से पहले लोकसभा चुनाव में भी अजित पवार के हिस्से वाली एनसीपी को चुनाव कैंपेन के लिए खास हिदायतें दी थी. सुप्रीम कोर्टे के निर्देशों के मुताबिक, अजित पवार को घड़ी चुनाव निशान का इस्तेमाल करने की इजाजत तो थी, लेकिन लोगों को बार बार ये बताना भी जरूरी था कि वो अस्थाई तौर पर ऐसा कर रहे हैं, जब तक कि अदालत का फैसला नहीं आ जाता. 

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शरद पवार गुट की तरफ से दाखिल याचिका में आरोप लगाया गया है कि अजित पवार ने महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव के दौरान सुप्रीम कोर्ट के दिशानिर्देशों की अनदेखी की - और लोगों के मन में भ्रम पैदा कर बेजा फायदा उठाया. 

अजित पवार के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट पहुंचे शरद पवार 

सुप्रीम कोर्ट ने लोकसभा और विधानसभा चुनावों में अजित पवार वाले गुट को पार्टी का नाम और चुनाव निशान इस्तेमाल करने की छूट दी थी, लेकिन उसके साथ कुछ शर्तें भी लागू थीं. सुप्रीम कोर्ट ने अजित पवार से कहा था कि वो एनसीपी पार्टी के नाम के साथ साथ चुनाव चिह्न घड़ी का भी इस्तेमाल कर सकते हैं, लेकिन मीडिया के जरिये लोगों को बताना होगा कि ये सब वो अस्थाई तौर पर इस्तेमाल कर रहे हैं. तब शरद पवार पक्ष ने अजित पवार को ओरिजिनल चीजें दिये जाने पर विरोध भी जताया था, लेकिन कोर्ट ने उनकी बात नहीं मानी.  

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पार्टी का नाम और सिंबल अजित पवार को मिल गया था, और शरद पवार को चुनावों में 'नेशनलिस्ट कांग्रेस पार्टी (शरदचंद्र पवार)' नाम और 'तुरही बजाते हुए आदमी' वाला चुनाव निशान इस्तेमाल करने की अनुमति दी गई थी. 

शरद पवार का आरोप है कि अजित पवार गुट ने सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों की बिल्कुल भी परवाह नहीं की, और जानबूझ कर वोटर के मन में भ्रम की स्थिति पैदा कराई, और चीजों का अनुचित तरीके से फायदा उठाया. 

असल में अजित पवार बरसों से चुनाव कैंपेन एनसीपी के नाम पर करते आये हैं. अजित पवार की पूरी राजनीति शरद पवार के ही साये में चलती आई है. शरद पवार के नाम पर वो चुनाव भी जीतते आये हैं. इसलिए अजित पवार को ये भी हिदायत थी कि चुनाव प्रचार के दौरान वो शरद पवार की तस्वीर का भी इस्तेमाल नहीं करेंगे. 

लोकसभा चुनाव में अजित पवार ने शरद पवार के गढ़ रहे बारामती सीट पर सुप्रिया सुले के खिलाफ अपनी पत्नी सुनेत्रा पवार को चुनाव लड़ाया था. लेकिन, सुप्रिया सुले चुनाव जीत गईं - और वैसी ही चुनौती शरद पवार ने अजित पवार के सामने विधानसभा चुनाव में भी दी थी. 

बारामती विधानसभा सीट पर शरद पवार ने अजित पवार के खिलाफ उनके ही भतीजे युगेंद्र पवार को उतार दिया था. अजित पवार ने अपनी सीट बचा ली. देखें तो हिसाब बराबर लगता है. 

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क्या है शरद पवार की पार्टी का भविष्य

पूरे महाविकास अघाड़ी को विधानसभा चुनावों में झटका लगा है. शरद पवार के लिए भी लोकसभा के मुकाबले विधानसभा चुनाव के नतीजे ज्यादा तकलीफदेह पाये गये हैं. लोकसभा चुनाव में शरद पवार के हिस्से में अजित पवार से ज्यादा सीटें आई थीं, लेकिन विधानसभा चुनाव में मामला बिल्कुल उल्टा पड़ गया.

विधानसभा चुनाव में अजित पवार की एनसीपी को 41 सीटें मिलीं, जबकि शरद पवार के हिस्से में महज 10 सीटें ही आईं. लोकसभा चुनाव में शरद पवार को पार्टी के नये नाम और चुनाव निशान के बावजूद 8 सीटों पर जीत मिली थी, और अजित पवार को महज एक सीट से संतोष करना पड़ा था. 

ये तो नहीं कह सकते कि शरद पवार की राजनीति खत्म हो चुकी है. सतारा की ऐतिहासिक जीत उनके ही नाम दर्ज है, जब बारिश में भीगते हुए चुनावी रैली करके शरद पवार ने पासा पलट दिया था.  उद्धव ठाकरे की तरह शरद पवार के लिए भी बीएमसी चुनाव आखिरी इम्तिहान होंगे - और तब तक तैयारी के लिए समय भी पर्याप्त है.

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