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शिवराज सिंह-कैलाश विजयवर्गीय को राजनाथ से मिली क्रिकेटरों की उपमा रहस्‍यमय और रोचक है

केंद्रीय मंत्री राजनाथ सिंह ने शिवराज सिंह चौहान को धोनी जैसा, और कैलाश विजयवर्गीय को हार्दिक पंड्या जैसा बताया है - क्या राजनाथ सिंह ने मध्य प्रदेश में बीजेपी के मुख्यमंत्री चेहरे की तरफ इशारा किया है?

शिवराज सिंह चौहान के साथ साथ कैलाश विजयवर्गीय को लेकर भी बीजेपी कोई खिचड़ी पका रही है क्या? शिवराज सिंह चौहान के साथ साथ कैलाश विजयवर्गीय को लेकर भी बीजेपी कोई खिचड़ी पका रही है क्या?
मृगांक शेखर
  • नई दिल्ली,
  • 30 अक्टूबर 2023,
  • अपडेटेड 3:03 PM IST

मध्य प्रदेश में बीजेपी के मुख्यमंत्री चेहरे को लेकर केंद्रीय मंत्री अमित शाह ने जो सस्पेंस पैदा किया था, उनके सीनियर कैबिनेट सहयोगी राजनाथ सिंह ने और बढ़ा दिया है. क्रिकेट खिलाड़ियों से शिवराज के साथ साथ बीजेपी महासचिव कैलाश विजयवर्गीय की एक साथ तुलना करके राजनाथ सिंह ने कोई विशेष संदेश देने की कोशिश की है. 

शिवराज सिंह चौहान की तुलना टीम इंडिया के पूर्व कप्तान महेंद्र सिंह धोनी से किया जाना, निश्चित तौर पर राजनाथ सिंह का एक महत्वपूर्ण राजनीतिक बयान है. और महीने भर के अंतर पर एक ही बयान दोहराया जाना तो और भी ज्यादा महत्वपूर्ण लगता है. 

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सितंबर में जब राजनाथ सिंह बीजेपी की जन आशीर्वाद यात्रा को हरी झंडी दिखाने नीमच पहुंचे थे, शिवराज सिंह चौहान की दिल खोल कर तारीफ की थी. राजनाथ सिंह का कहना रहा कि शिवराज सिंह ने जनता की सेवा की है, इसलिए लोगों का विश्वास उन्हें हासिल है. कह रहे थे, 'मैं दावे के साथ कहता हूं कि शिवराज जी के अंदर गरीबों के प्रति जो संवेदनशीलता मैंने देखी है, राजनीति में विरले लोगों में ऐसी संवेदनशीलता देखने को मिलती है.'

शिवराज सिंह चौहान असल में वाजपेयी-आडवाणी वाली बीजेपी के नेता रहे हैं, मौजूदा नेतृत्व का ऐसा ही मानना है. ये तो शिवराज सिंह की लोकप्रियता और मजबूत जनाधार है जिसके चलते मोदी-शाह की बीजेपी में भी वो अपनी पोजीशन कायम रखे हुए हैं. मध्य प्रदेश में जो हाल शिवराज सिंह चौहान का है, राजस्थान में करीब करीब वैसा ही हाल बीजेपी में वसुंधरा राजे का है. 2018 में दोनों ही नेताओं के चुनाव हार जाने के बाद आलाकमान झपट पड़ा, और दिल्ली अटैच करने की पूरी कोशिश की. लेकिन अब तक दोनों का ही कोई विकल्प नहीं मिल सका है. शिवराज सिंह मुख्यमंत्री होने की वजह से वसुंधरा राजे के मुकाबले थोड़ी बेहतर स्थिति में हैं. 

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धोनी से तुलना करके राजनाथ सिंह अगर कोई मैसेज देना चाहते हैं तो वो किसके लिए है? मध्य प्रदेश के वोटर के लिए? बीजेपी कार्यकर्ताओं के लिए? या शिवराज सिंह चौहान के लिए?

और अब कैलाश विजयवर्गीय को हार्दिक पंड्या जैसा बता कर राजनाथ सिंह किसे - और क्या संदेश देना चाहते हैं?

सस्पेंस तो अमित शाह पहले से ही बढ़ा चुके हैं

सितंबर, 2023 में नीमच की सभा में बीजेपी नेता राजनाथ सिंह कह रहे थे, 'मैं अभी बैठे-बैठे आपके मुख्यमंत्री शिवराज सिंह जी चौहान का भाषण सुन रहा था... पहले भी राजनीतिक क्षेत्र में काम करते हुए इन्हें मैंने बहुत गौर से देखा है... मैं उन्हें 30 वर्षों से जानता हूं... आपके मामा शिवराज सिंह चौहान राजनीति के धोनी हैं... शुरुआत चाहे कैसी भी हो, लेकिन अच्छी फिनिश देकर वो क्रिकेट का मैदान जीतना जानते हैं - ये शिवराज सिंह जी की एक अद्भुत कला है.'

और अक्टूबर के आखिर में कैलाश विजयवर्गीय के चुनाव कार्यालय का उद्घाटन करने पहुंचे राजनाथ सिंह ने शिवराज की धोनी से समानता वाली बात दोहराते हुए उसमें कैलाश विजयवर्गीय को भी एक क्रिकेटीय उपमा दे दी. उन्‍होंने कहा, 'मैं यहां कहना चाहता हूं कि कैलाश विजयवर्गीय क्रिकेटर हार्दिक पंड्या हैं... वे राजनीति के ऑलराउंडर खिलाड़ी हैं.'

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राजनाथ सिंह बातें असल में अमित शाह के बयान को ही आगे बढ़ा रही हैं. अगस्त, 2023 में अमित शाह भोपाल में मुख्यमत्री शिवराज सिंह चौहान की सरकार का रिपोर्ट कार्ड जारी कर रहे थे, तभी मीडिया ने 2023 के लिए बीजेपी के मुख्यमंत्री चेहरे को लेकर सवाल पूछ लिया.

अमित शाह ने पहले तो टालने की कोशिश की, 'आप हमारी पार्टी का काम क्यों करने लगे हो... वो हमारी पार्टी का काम है.' 

फिर मुस्कुराते हुए बोले, 'अभी शिवराज सिंह चौहान ही मुख्यमंत्री हैं... और अभी हम चुनाव में हैं... पार्टी ही पार्टी का काम करेगी.'

ऐसा कम ही होता है जब बीजेपी मुख्यमंत्री के चेहरे की सरेआम घोषणा करती है. बीजेपी की तरफ से पहले भी बताया जा चुका है कि जिन राज्यों में बीजेपी की सरकार नहीं होती, वहां वो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के चेहरे पर चुनाव लड़ती है, लेकिन ये भी देखा गया है कि मुख्यमंत्री होते हुए भी चुनावों के दौरान बीजेपी की तरफ से सस्पेंस बनाये रखने की कोशिश होती है.

2022 के उत्तर प्रदेश और गुजरात चुनाव में ऐसा नहीं हुआ था. उत्तर प्रदेश में प्रधानमंत्री मोदी ने कोविड के दौरान मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के काम की तारीफ से शुरुआत की, और बाद में अमित शाह ने ये कहना शुरू कर दिया था कि लोग योगी आदित्यनाथ को इसलिए मुख्यमंत्री बनायें ताकि 2024 में मोदी फिर से प्रधानमंत्री बन सकें. गुजरात में खुद मोदी ने भूपेंद्र पटेल को भारी मतों से विजयी बनाने की अपील की थी - और लोगों ने रिकॉर्डतोड़ वोट दे डाले. 

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बीजेपी के संसदीय बोर्ड ने पहले ही एक प्रस्ताव पारित कर फैसला सुना दिया था कि 2024 के आम चुनाव से पहले के सारे ही विधानसभा चुनाव बीजेपी मोदी के नाम पर ही लड़ेगी. वहां भी जहां बीजेपी की सरकार नहीं है, और उन राज्यों में भी जहां उसका शासन है. अभी तक वही रस्म निभायी जा रही है. 

बीजेपी नेताओं धोनी और पंड्या जैसे होने के मायने

हैरानी की बात ये है कि राजनाथ सिंह ने शिवराज सिंह चौहान की तुलना टीम इंडिया के मौजूदा खिलाड़ियों से नहीं की है. रोहित शर्मा नहीं, तो वो विराट कोहली से भी शिवराज सिंह चौहान की तुलना कर सकते थे. रोहित शर्मा वर्ल्ड कप में टीम इंडिया के कप्तान हैं. और लगातार देश को जीत दिलवाते जा रहे हैं. वो वनडे के साथ साथ टेस्ट क्रिकेट टीम की भी कमान संभाल रहे हैं. 

विराट कोहली कप्तान तो नहीं हैं, लेकिन टीम में बने हुए हैं और जबर्दस्‍त परफॉर्मेंस दे रहे हैं. ऐसा कम ही होता है, लेकिन जरूरत पड़ने पर विशेष परिस्थितियों में वो फिर से टीम की कमान संभालने की स्थिति में हैं, लेकिन महेंद्र सिंह धोनी? 

मानते हैं कि महेंद्र सिंह धोनी महान खिलाड़ियों में गिने जाते हैं. मैच फिनिशर के रूप में पूरी दुनिया में उनकी ख्याति रही है, लेकिन ये सब गुजरे जमाने की बातें हो चली हैं - धोनी अपने बेहतरीन प्रदर्शन के बाद क्रिकेट की दुनिया को अलविदा कह चुके हैं. वो इंटरनेशनल क्रिकेट के खेल से संन्यास ले चुके हैं. और आज के मैच फिनिशर तो कोहली हैं.

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भला धोनी से शिवराज सिंह की तुलना का क्या मतलब हो सकता है? 

जैसे क्रिकेट में धोनी के योगदान के लिए उनकी तारीफ की जाये, राजनाथ सिंह भी शिवराज सिंह चौहान के राजनीतिक योगदान की वैसे ही प्रशंसा कर रहे हैं - लेकिन क्या धोनी से तुलना करके ये जताने की कोशिश नहीं कर रहे हैं कि शिवराज सिंह चौहान की पारी का भी काउंटडाउन चल रहा है? क्या मोदी-शाह के मन में भी वैसा ही चल रहा है, जैसा राजनाथ सिंह अपने शब्दों से प्रकट कर रहे हैं?

ऊपर से शिवराज सिंह की जगह कैलाश विजयवर्गीय को वो हार्दिक पंड्या जैसा बता रहे हैं. हार्दिक पंड्या फिलहाल टी-20 टीम के कप्तान हैं. धोनी ने भी कप्तानी टी-20 से ही शुरू की थी - और धीरे धीरे अपने प्रदर्शन से कैप्टन कूल के रूप में मशहूर हो गये. 

तो क्या कैलाश विजयवर्गीय को मध्य प्रदेश के भविष्य का नेता बताते की कोशिश हो रही है? तब भी जबकि कैलाश विजयवर्गीय लगातार बता रहे हैं कि कैसे वो बड़े नेता बन चुके थे, लेकिन उनको फिर से लोगों के बीच हाथ जोड़ कर वोट मांगने के लिए भेज दिया गया है.

क्या धोनी और पंड्या का नाम लेकर राजनाथ सिंह ये समझाने की कोशिश कर रहे हैं कि कैलाश विजयवर्गीय के अच्छे दिन आने वाले हैं - और शिवराज सिंह चौहान के अच्छे दिन जाने वाले हैं?

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शिवराज के साथ कैसा सलूक करेगा बीजेपी आलाकमान

हैरानी की बात है भी कि राजनाथ सिंह ने भी अमित शाह की ही तरह सस्पेंस बढ़ा दिया है. अमित शाह का ये कहना कि अभी शिवराज सिंह चौहान मुख्यमंत्री हैं, ये संशय तो पैदा कर ही देता है कि आगे वो रहेंगे या नहीं ये चुनाव बाद तय होगा.

दरअसल, प्रेमकुमार धूमल और पुष्कर सिंह धामी मुख्यमंत्री बनाने के मामले में बीजेपी की तरफ से बड़े ही विरोधाभासी उदाहरण हैं. दोनों मामलों में फर्क तो बस इतना ही है कि 2017 में चुनाव जीत लेने के बाद बीजेपी ने हारे हुए प्रेम कुमार धूमल को हिमाचल प्रदेश का मुख्यमंत्री नहीं बनाया - और बिलकुल वैसे ही हालात में उत्तराखंड का चुनाव जीतने के बाद बीजेपी नेतृत्व ने अपनी सीट हार चुके पुष्कर सिंह धामी को फिर से मुख्यमंत्री बना दिया.

मतलब, अगर बीजेपी चुनाव जीत जाती है तो शिवराज सिंह चौहान का पलड़ा भारी रहेगा. अगर बीजेपी गुजरात की तरह चुनाव जीत जाती है, तो भूपेंद्र पटेल की तरह शिवराज सिंह चौहान की भी कुर्सी पक्की हो जाएगी. 

शिवराज सिंह चौहान के साथ अच्छी बात यही है कि वो भी विधानसभा का चुनाव लड़ रहे हैं. लेकिन एक आशंका ये भी है कि अगर बीजेपी चुनाव जीत जाती है, और अगर शिवराज सिंह अपनी बुधनी विधानसभा सीट से चुनाव हार जाते हैं, तो उनके साथ प्रेम कुमार धूमल जैसा व्यवहार किया जाएगा - या पुष्कर सिंह धामी जैसा?

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