
एक ऐसी पार्टी जिस पर वंशवादी होने, आम लोगों से दूर होने, इसके नेताओं पर इलीट खान मार्केट गैंग का असर होने का ठप्पा लग हुआ था, एक ऐसी पार्टी जिसके सबसे बड़े नेता को युवराज कहकर तंज कसा जाता हो, जिसे जनता के बीच बेवकूफ साबित करने के लिए उसका नामकरण ही पप्पू कर दिया गया हो, जिस पार्टी से देश को मुक्त करने के लिए नारा बना दिया गया, जिस पार्टी के पुराने से पुराने नेताओं में अपना दल छोड़ने की होड़ लगी हो, जिस पार्टी के बारे में यह मान लिया गया था कि अब इसका पुनः उठ खड़ा होना संभव नहीं होगा, अचानक उस पार्टी को जीवनदान कैसे मिल गया? यह सवाल आज हर कोई जानना चाहता है.
क्या कांग्रेस को मिले जीवनदान में सत्ताधारी दल की बेवकूफियां ही कारण रही हैं? क्या उस पार्टी के नेतृत्व का कुछ श्रेय नहीं है. बात हो रही है गांधी परिवार के चिराग राहुल गांधी की. बात हो रही उस युवा की जो राजनीति को एक्टिविज्म के तरीके से लेता है. जी हां, बात हो रही है उस राजनीतिज्ञ की जिसको पॉलिटिक्स को लेकर गंभीर नहीं मानते रहे हैं लोग. जी हां, राजनीतिक विश्वेषकों को अब उस शख्स में उम्मीद की किरणें अचानक दिखने लगीं हैं. ऐसा अचानक कैसे हो गया यह भी कम आश्चर्यजनक नहीं है. इसके पीछे कांग्रेस में पर्दे के पीछे काम कर रहे लोगों, पार्टी के सलाहकारों और मीडिया सेल का बहुत बड़ा हाथ रहा. आइये देखते हैं किस तरह कांग्रेस के मीडिया सेल ने बीजेपी के आईटी सेल को घुटने टेकने पर मजबूर कर दिया.
डेडिकेटेड वॉर रूम के इनोवेटिव आईडियाज
वैसे तो आजकल हर पार्टी चुनाव कैंपेंन के लिए वॉर रूम का गठन करती है. जिसका वॉर रूम जितना ताकतवर और संगठित होता है वो उतना ही ताकतवर चुनाव के मैदान में नजर आता है.कांग्रेस का वॉरू रूम इस बार सबसे मजबूत रहा. तेजतर्रार मार्केट प्रफेशनल्स से भरी हुई टीम जानती थी कि मजाक मजाक में काम की बात लोगों के दिल तक कैसे पहुंचानी है? इसके लिए छोटा-मोटा अगर ड्रामा क्रिएट करना पड़े तो वो भी किया गया. जैसे बीजेपी को ऐसी लांड्री बताया गया जिसके वाशिंग मशीन में दूसरी पार्टीयों के भ्रष्ट लोगों को डालकर इमानदार बना दिया जाता है. जरूरत हुई तो कांग्रेस की रैलियों में भी प्रतीक के रूप में ऐसी वांशिंग मशीन रखी गईं जो लोगों को भ्रष्टाचारी से ईमानदार बना देते थे. इसी तरह तेलांगाना चुनावों के दौरान छद्म एटीएम मशीनें जो फर्जी नोट निकालते थे रखीं गईं.जो तेलंगाना के भ्रष्टाचार का प्रतीक बन गए थे. केरल कांग्रेस का ट्वीटर हैंडल इस संबंध में सबसे अधिक इनोवोटिव तरीके से काम कर रही था.बहुत ही चुटीले अंदाज में बीजेपी पर तंज कसने में ये हैंडल सबसे आगे रहा.
अजय माकन की अध्यक्षता वाले एक पैनल जिसमें केसी वेणुगोपाल और जयराम रमेश जैसे अनुभवी प्रमुख लोग पार्टी वॉर रूम की टीमों के साथ-साथ विज्ञापन और मीडिया एजेंसियों के साथ मिलकर काम को अंजाम दे रहे थे. टाइम्स ऑफ इंडिया कांग्रेस के सोशल मीडिया टीम के सदस्य के हवाले से लिखता है कि साल की शुरूआत में भाषा और क्षेत्र के आधार पर 4 टीमें बनाईं गई थी. हर टीम में 900 से 1000 के करीब इंटर्न भर्ती किए गए थे. यानि कि कई हजार भर्तियां की गईं होंगी.
ऐड कैंपेन बीजेपी के मुकाबले आगे की सोच वाले रहे
कांग्रेस के ऐड और कैंपेन की सोच डिफरेंट रही जबकि बीजेपी का मीडिया सेल अभी भी पुराने अंदाज में कांग्रेस पर हमले कर रहा था. बीजेपी के ऐड कैंपेन धार्मिक आधार पर लोगों को बांट रहा था तो कांग्रेस के ऐड कैंपेन मोहब्बत की दुकान से प्रेरित थे. इसके साथ ही
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और देश के खास उद्योगपतियों पर तीखे हमले भी जारी रहे. यह भी ध्यान दिया जा रहा था कि कांग्रेस के कैंपेन में बीजेपी के कैंपेन और प्रधानमंत्री के भाषणों को मुद्दा बनाकर उसे किस तरह निष्प्रभावी करना है..जैसे पीएम मोदी के मंगलसूत्र छीन लेंगे वाला बयान, पीएम के 400 प्लस को नारे आदि को आम जनता के अधिकारों से जोड़ दिया गया.
कांग्रेस ने संविधान बचाओं और आरक्षण बचाओ के अभियान ने वास्तव में लोगों को डरा दिया कि बीजेपी सरकार फिर आ गई तो सब तहस नहस हो जाएगा. हाथ बदलेगा हालात, कांग्रेस का हाथ -आम आदमी के साथ जैसे नारे जनता में रच बस गए. इसके साथ ही मेरे विकास का दो हिसाब, सब ठीक नहीं है जैसे नारों ने बेरोजगारी, महंगाई और भ्रष्टाचार की बातें करते हुए लोगों के दिल में उतर गईं. कांग्रेस मेनिफेस्टों की खास बातें जैसे पांच न्याय , महिलाओं के लिए एक लाख रुपया सालाना आदि ऐसी बातें इस तरह गढ़ी गईँ थी कि लोगों में चर्चा का विषय बनतीं गईं. जाति जनगणना,युवाओं को रोजगार आदि.
कांग्रेस के इशारे पर नाच रहा था बीजेपी का आईटी सेल
इस दौरान सबसे महत्वपूर्ण बात यह रही कि कांग्रेस कभी भी बीजेपी के सेट किए गोल पर नहीं खेल रही थी बल्कि इसके उलट बीजेपी खुद कांग्रेस मीडिया सेल के इशारे पर नाच रही थी.कई बार ऐसा हुआ कि कांग्रेस के लोगों ने कुछ आधा अधूरे इन्फर्मेशन के साथ कोई आरोप बीजेपी पर लगा दिया उसके बाद बीजेपी के मंत्री उसका जवाब देते फिर रहे थे. कई बार ऐसा भी हुआ कि बीजेपी के ऐड कैंपेन कांग्रेस के ऐड और हमले का जवाब उसी तर्ज में दे रहे थे. मतलब साफ था कि बीजेपी की आईटी सेल कांग्रेस की आईटी सेल के हाथों खेल रही थी. जैसे बाप बाप ही होता है सीरीज में कांग्रेस ने नेहरू और मोदी की तुलना की तो बीजेपी का मीडिया सेल ठीक उसी अंदाज में मोदी को ताकतवर बनाकर दिखाने लगा.
बीजेपी के पापा वाले एड की तो मिट्टी पलीद कर दी कांग्रेस के आईटी सेल ने. भारतीय जनता पार्टी के 'वॉर रुकवा दिया' वाले एडवर्टाइजमेंट को लेकर कांग्रेस के सांसद राहुल गांधी ने एक्स पोस्ट में एक वीडियो शेयर किया जिसमें एक लड़की पीएम मोदी की चुटकी लेते हुए कहती नजर आई, वॉर रुकवा दी...वह हमें नौकरी क्यों नहीं देते हैं? आगे इस युवती से पूछा गया कि लेकिन इमेज तो ऐसी ही बन रही है कि पीएम मोदी ने जंग रुकवा दी थी? इस पर लड़की बोली- अरे, सब प्रोपगैंडा है. इलेक्टोरल का पैसा है. कहीं तो इस्तेमाल होगा. किसी एक्टर को उठाकर बेटी बना देंगे और कहलवाएंगे कि वॉर रुकवा दिया. पीएम मणिपुर के दंगे क्यों नहीं रुकवाते हैं और लद्दाख की ओर क्यों नहीं देखते हैं? बाद में पा-पा वाले इस ऐड के इतने मीम बनाए गए बीजेपी ने इस ऐ़ड से तौबा ही कर लिया . इस तरह ऐड कैंपेन की हार ने तय कर दिया था कि चुनाव किस ओर जा रहे हैं.
राइट विंग के इन्फ्लुएंसरों को यह कहने को मजबूर होना पड़ा कि कांग्रेस का आईटी सेल बीजेपी के मुकाबले बेहतर तरीके से काम कर रहा है.
इन सबका नतीजा रहा कि 2021 तक यूट्यूब पर राहुल गांधी 5 लाख सब्सक्राइबर थे जो 7.2 मिलियन तक पहुंच गए. इसी तरह इंस्टाग्राम फॉलोअर्स का आंकड़ा 1.7 मिलियन से 9.4 मिलियन तक पहुंच गया.
राहुल की दोनों यात्राओं को बहुत तरीके से गढ़ा गया
इसके पहले राहुल गांधी के दोनों भारत जोड़ों यात्राओं को उनके मेकओवर के लिए बहुत खूबसूरती से गढ़ा गया. राहुल गांधी की अगुवाई में कांग्रेस की कन्याकुमारी से कश्मीर तक की 4000 किलोमीटर की यह यात्रा खूब चर्चा में रही. उससे भी ज्यादा चर्चा उनकी उस बेतरतीब दाढ़ी की रही, जिसकी तुलना कभी सद्दाम हुसैन, कार्ल मार्क्स और कभी फॉरेस्ट गम्प से की गई. एक्सपर्ट्स का मानना है कि इस यात्रा ने कुछ हद तक राहुल की छवि के मेकओवर में मदद की है.
दरअसल, राहुल गांधी की इस भारत जोड़ो यात्रा का अघोषित मकसद उनकी छवि बदलना था, जिसके लिए कांग्रेस पार्टी ने बहुत पैेेस खर्च किए. यहां तक कि पार्टी का तंत्र इस पूरी यात्रा से करीब करीब अलग था. एनजीओ, विज्ञापन और पीआर एजेंसियों और इवेंट मैनेजमेट एजेंसियों पर ज्यादा भरोसा किया गया. इस यात्रा के दौरान राहुल क्या बोलेंगे, क्या पहनेंगे, किससे मिलेंगे, किस तरह के विडियो बनेंगे, किस तरह के फोटो मीडिया को फ्लो होंगे सबका ख्याल रखा गया. जिसका परिणाम यह हुआ कि राहुल गांधी एक ऐसे नेता के तौर पर उभर कर सामने आए जो कह सकता है कि वह देश की नब्ज को समझते हैं. विज्ञापन दिग्गज प्रह्लाद कक्कड़ कहते हैं कि भारत जोड़ो यात्रा उनके इमेज मेकओवर के लिए बहुत जरूरी थी और आखिरकार उन्हें काफी हद तक एक्सेप्टेंस मिल गई है. भारत जोड़ो यात्रा की लगभग पूरी यात्रा के दौरान सफेद टीशर्ट पहने नजर आए राहुल ने सभी को हैरत में डाल दिया है. वह कहते हैं कि राहुल गांधी इस दाढ़ी के बूते ही एक परिपक्व शख्स में तब्दील हो गए हैं.