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आम आदमी पार्टी के लिए चंडीगढ़ की जीत बड़ी है या दिल्‍ली बचाने की चुनौती?

दिल्ली में अरविंद केजरीवाल की चुनौतियां तेजी से बढ़ रही हैं. हां, चंडीगढ़ मेयर चुनाव में सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी राहत जरूर दे रही होगी - लेकिन बीजेपी के लिए तो ये साख पर धब्बे जैसा लगता है. ऐसी जीत का क्या फायदा जिससे फजीहत होने लगे!

दिल्ली में अरविंद केजरीवाल को बीजेपी नेता भले ही घेर लेते हों, लेकिन सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी तो पार्टी के लिए अच्छी नहीं है दिल्ली में अरविंद केजरीवाल को बीजेपी नेता भले ही घेर लेते हों, लेकिन सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी तो पार्टी के लिए अच्छी नहीं है
मृगांक शेखर
  • नई दिल्ली,
  • 06 फरवरी 2024,
  • अपडेटेड 11:05 PM IST

7 फरवरी को चंडीगढ़ नगर निगम का बजट पेश किया जाना था, लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने निगम की बैठक पर ही रोक लगा दी है. फिर तो बजट भी नहीं पेश हो सकेगा - जैसे ये आम आदमी पार्टी के लिए खुशखबरी है, ठीक वैसे ही बीजेपी के लिए बहुत ही बुरी खबर है. 

बुरी खबर इसलिए नहीं कि पीठासीन अधिकारी को सुप्रीम कोर्ट ने फटकार लगाई है, और उसके रोल को लेकर लगे इल्जाम सही साबित हुए तो बीजेपी की जगह आम आदमी पार्टी का मेयर बन सकता है - बल्कि इसलिए, क्योंकि आम आदमी पार्टी और कांग्रेस के आरोप बीजेपी के खिलाफ गंभीर माने जाएंगे. 

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चंडीगढ़ मेयर के चुनाव नतीजे को लेकर बवाल तो बीजेपी की जीत के साथ ही हो गया था. ये चुनाव आम आदमी पार्टी और कांग्रेस मिल कर लड़े थे, लेकिन कुछ वोट रद्द कर दिये जाने से बीजेपी उम्मीदवार विजेता घोषित कर दिया गया.

मेयर चुनाव में जो कुछ हुआ है, सुप्रीम कोर्ट ने उसे 'लोकतंत्र की हत्या' करार दिया है. मेयर चुनाव कराने वाले पीठासीन अधिकारी पर मुकदमा चलाये जाने की बात भी कही है - और अफसर को 19 फरवरी को अदालत में पेश होकर अपना पक्ष रखने को कहा गया है.

वायरल हो चुके एक वीडियो में पीठासीन अधिकारी अनिल मसीह साफ तौर से बैलेट पेपर पर कुछ लिखते हुए दिखाई पड़ रहे हैं. अपने टेबल पर बैठे अनिल मसीह बड़े ही अजीब ढंग से कैमरे की तरफ भी देखते नजर आते हैं. देख कर ऐसा लगता है जैसे वो जानना चाह रहे हों कि कोई देख तो नहीं रहा. जैसे कुछ सशंकित हों.

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चुनाव में हुई गड़बड़ी को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने चंडीगढ़ प्रशासन और नगर निगम को भी नोटिस जारी किया है - और आदेश दिया है कि वीडियो रिकॉर्डिंग और बैलट पत्रों को सुरक्षित रखा जाये.

और दिल्ली का हाल ये है कि विधायकों की खरीद फरोख्त के आरोपों को लेकर अरविंद केजरीवाल पहले से ही निशाने पर हैं, अब ईडी की छापेमारी और दिल्ली शराब घोटाले के आरोपी से पूछताछ को लेकर आम आदमी पार्टी की नेता आतिशी के बयान पर अलग ही बवाल मचा है. ईडी ने आतिशी के आरोपों पर काफी सख्त लहजे में रिएक्ट किया है.

चंडीगढ़ में केजरीवाल की बल्ले बल्ले!

चंडीगढ़ मेयर के लिए चुनाव 30 जनवरी को हुआ था, और बीजेपी के चुनाव जीतने की घोषणा पर आरोप प्रत्यारोप के दौर के बाद आम आदमी पार्टी और कांग्रेस ने कोर्ट का दरवाजा खटखटाया. जब पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट से राहत नहीं मिलने पर दोनों दल सुप्रीम कोर्ट पहुंच गये. 

पहले से ही प्रचारित किया जा रहा था कि INDIA ब्लॉक का ये पहला चुनाव है, जबकि यूपी में घोसी के साथ हुए उपचुनावों में भी विपक्षी मॉडल ही अपनाया गया था. बीजेपी के खिलाफ विपक्ष की ओर से एक ही उम्मीदवार खड़ा किया गया था - और घोसी में समाजवादी पार्टी ने बीजेपी उम्मीदवार दारा सिंह चौहान को शिकस्त दे डाली थी. 
 
नंबर को देखते हुए वोटिंग के पहले से ही AAP और कांग्रेस गठबंधन की जीत पक्की मानी जा रही थी, लेकिन पीठासीन अधिकारी ने 8 वोट अमान्य करार देते हुए बीजेपी कैंडिडेट को जीता हुआ घोषित कर दिया था. 

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सुप्रीम कोर्ट पहुंचे इस मामले में देश के मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ की महत्वपूर्ण टिप्पणी सामने आई है, ये तो लोकतंत्र का मजाक है... जो कुछ हुआ, हम उससे हैरान हैं... हम लोकतंत्र की इस तरह से हत्या नहीं होने दे सकते.

वायरल वीडियो देख कर चीफ जस्टिस का कहना था, ये साफ है कि बैलेट पेपर के साथ छेड़छाड़ हुई है... क्या इस तरह से चुनाव करवाये जाते हैं? इस शख्स पर मुकदमा चलना चाहिये... ये कैमरे की ओर क्यों देख रहे हैं? और किसी भगोड़े की तरह भाग क्यों रहे हैं?

CJI चंद्रचूड़ ने कहा, इनसे बताइये... कोर्ट इन्हें देख रहा है... हम लोकतंत्र की ऐसे हत्या नहीं होने देंगे. देश में स्थिरता लाने की सबसे जरूरी शक्ति चुनाव प्रक्रिया की शुचिता है.

ऐसा पहली बार तो नहीं है जब अरविंद केजरीवाल को सुप्रीम कोर्ट से बड़ी राहत मिली हो, लेकिन ऐसे दौर में मिली है जब वो चौतरफा चुनौतियों से घिरे हुए हैं. 

दिल्ली में तो केजरीवाल घिरते ही जा रहे हैं

बेशक चंडीगढ़ चुनाव में सुप्रीम कोर्ट से आम आदमी पार्टी को बड़ा सपोर्ट मिला है, लेकिन दिल्ली में मुश्किलें लगातार बढ़ती जा रही हैं - और इसीलिए सवाल उठाता है कि अरविंद केजरीवाल के लिए बड़ी चुनौती दिल्ली की सत्ता है, या चंडीगढ़ का मेयर चुनाव?

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आम आदमी पार्टी की तरफ से दावा किया जा रहा था कि प्रवर्तन निदेशालय को लेकर बड़ा खुलासा किया जाएगा. प्रेस कांफ्रेंस करके दिल्ली सरकार में मंत्री आतिशी ने ईडी पर शराब नीति घोटाले में पूछताछ की रिकॉर्डिंग डिलीट करने का दावा किया है.

आतिशी ने बताया कि शराब घोटाले के एक आरोपी की तरफ से कुछ दिन पहले अदालत में अर्जी देकर पूछताछ की सीसीटीवी फुटेज देने को लेकर अर्जी दायर की गई थी, क्योंकि ईडी ने जो बयान अदालत में पेश किया वो दर्ज किये गये बयान से बिलकुल अलग था. जिस आरोपी ने सीसीटीवी फुटेज की मांग की थी, उसका एक सरकारी गवाह से आमना सामना कराया गया था. ये बयान एक ऐसे कमरे में दर्ज किया गया था जहां सीसीटीवी लगे हुए थे. 

आतिशी का दावा है कि ईडी की तरफ से अदालत को सौंपी गई फुटेज में ऑडियो नहीं था. और आतिशी का आरोप है कि ईडी ने पूछताछ के वीडियो फुटेज की ऑडियो रिकॉर्डिंग डिलीट कर दी है. और सूत्रों के हवाले से मिली जानकारी के जरिये आतिशी ने ये भी दावा किया है कि ईडी ने केस के सिलसिले में पिछले डेढ़ साल में हुई पूछताछ की ऑडियो रिकॉर्डिंग डिलीट कर दी है. 

अदालत से जांच कराये जाने की गुजारिश किये जाने की जानकारी देते हुए आतिशी ने कहा, मेरे दो सवाल हैं... ईडी क्या छिपाना चाहती है? ईडी ने कितने बयान दर्ज किये? कितने बयान कैमरे पर दर्ज किए गये - और किन बयानों की ऑडियो रिकॉर्डिंग है?

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आतिशी के दावों को खारिज करते हुए, ईडी की तरफ से बताया गया है कि आरोपियों के सारे बयान सीसीटीवी निगरानी में दर्ज किये गये - और अदालत को वो फुटेज दी जा चुकी है. ईडी से आ रही खबरों के मुताबिक, सीसीटीवी फुटेज को केवल वीडियो फॉर्मेट में रिकॉर्ड किया गया था - क्योंकि तत्कालीन उपलब्ध सिस्टम में ऑडियो रिकॉर्डिंग की सुविधा नहीं थी.

दिल्ली में साथियों की गिरफ्तारी से पैदा हुई परिस्थितियों से परेशान अरविंद केजरीवाल ने हाल ही में आरोप लगाया था कि उनके 7 विधायकों से संपर्क किया गया था, और पार्टी छोड़ने के लिए 25 करोड़ रुपये का ऑफर दिया गया था. दिल्ली पुलिस ने इस मामले में दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को नोटिस देकर जवाब भी मांगा है.

बीजेपी ने इस आम आदमी पार्टी और उसके नेताओं का मानसिक दिवालियापन करार दिया है. बीजेपी जो सवाल उठा रही है, उससे अरविंद केजरीवाल के दावे कमजोर तो लगते ही हैं. वाकई 70 सदस्यों वाली विधानसभा में जिसके पास 62 विधायक हों, उनके सात विधायकों को तोड़ कर भी कोई क्या कर लेगा - और ऐसे काम के लिए इतनी बड़ी रकम की पेशकश क्यों होगी?

अरविंद केजरीवाल को गिरफ्तार किये जाने और आम आदमी पार्टी को खत्म किये जाने के इल्जाम बीजेपी पर तो लगाये ही जाते रहे हैं - लेकिन चंडीगढ़ मेयर चुनाव को लेकर सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी बीजेपी के लिए कहीं से भी अच्छी नहीं है.

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बीजेपी अक्सर ही ईवीएम को लेकर अरविंद केजरीवाल सहित विपक्षी खेमे के नेताओं के निशाने पर रही है, लेकिन चंडीगढ़ मेयर चुनाव में बीजेपी की जीत तो उसकी साख पर धब्बे जैसा है.

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