Advertisement

आर्टिकल 370 पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले से जम्मू-कश्मीर में BJP को खजाना मिल गया

राजनीतिक हलकों में इस बात की चर्चा है कि लोकसभा चुनाव से ठीक पहले जम्मू कश्मीर पुनर्गठन विधेयक पारित करवाकर केंद्र सरकार जम्मू-कश्मीर में भाजपा को मजबूत करने का काम कर रही है.

संयम श्रीवास्तव
  • नई दिल्ली,
  • 11 दिसंबर 2023,
  • अपडेटेड 3:53 PM IST

सुप्रीम कोर्ट से सोमवार को मोदी सरकार को बड़ी राहत मिली. सुप्रीम कोर्ट ने जम्मू कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाने के फैसले को बरकरार रखा है. सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा, जम्मू कश्मीर भारत का अभिन्न अंग हैं. इसकी कोई आंतरिक संप्रभुता नहीं है.इस फैसले से जाहिर है कि सबसे अधिक राहत भारतीय जनता पार्टी नेतृत्व वाली केंद्र सरकार को होने वाला है. 5 अगस्त 2019 को मोदी सरकार ने जम्मू कश्मीर से अनुच्छेद 370 के प्रभाव को खत्म कर दिया था, साथ ही राज्य को 2 हिस्सों जम्मू-कश्मीर और लद्दाख में बांट दिया था और दोनों को केंद्र शासित प्रदेश बना दिया था.  केंद्र के इस फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में 23 अर्जियां दी गई थीं. भारत की प्रमुख विपक्षी पार्टी कांग्रेस भी केंद्र के इस फैसले पर साथ नहीं थी. अनुच्छेद 370 की समाप्ति के बाद पेश जम्मू और कश्मीर आरक्षण (संशोधन) विधेयक, 2023 और जम्मू और कश्मीर पुनर्गठन (संशोधन) विधेयकों को भी नैतिक बल मिल गया है.कहा जा रहा है कि इन विधेयकों के लागू होने के बाद जम्मू कश्मीर में बीजेपी सरकार के लिए आधार तैयार हो रहा है.सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले में कहा गया है कि जम्मू कश्मीर में जल्द चुनाव के लिए कदम उठाए जाएं. 30 सितंबर 2024 तक जम्मू कश्मीर में चुनाव कराने के लिए कहा गया है.

Advertisement

राजनीतिक हलकों में इस बात की चर्चा है कि लोकसभा चुनाव से ठीक पहले जम्मू कश्मीर पुनर्गठन विधेयक पारित करवाकर केंद्र सरकार जम्मू-कश्मीर में भाजपा को मजबूत करने का काम कर रही है. आइये देखते हैं कि ऐसा क्यों कहा जा रहा है कि जम्मू कश्मीर में आगामी विधानसभा चुनाव में भी बीजेपी वोट की ताकत से जम्मू कश्मीर की सत्ता पर काबिज़ होना चाहती है.370 के रद्दीकरण पर सुप्रीम मोहर लगने से प्रदेश में और क्या बदलने वाला है. 

बीजेपी की सरकार बनाने में मददगार बनेंगे 2 कानून

कानून बनने के बाद जम्मू और कश्मीर विधानसभा में सीटों की प्रभावी संख्या 95 हो जाएगी, जबकि कुल सीटें बढ़कर 119 हो जाएंगी.इसमें पीओके के लिए आरक्षित 24 सीटें भी शामिल हैं. नई विधानसभा के गठन के लिए कश्मीर घाटी में 47 और जम्मू एरिया में 43 सहित कुल 90 विधानसभा सीटों के लिए जनता वोट देकर अपने प्रतिनिधि चुनेगी. इसमें नौ सीटें अनुसूचित जनजाति के लिए 7 सीटें अनुसूचित जाति के लिए भी आरक्षित हैं. कुल 48 सीट जीतकर कोई भी दल प्रदेश में सरकार बना सकेगा. चूंकि 14 सीटें आरक्षित हो गईं हैं. इस तरह से यह तय हो गया है कि ये केवल हिंदुओं के लिए हैं. क्योंकि संविधान में मुस्लिम्स के लिए अनुसूचित जाति और जनजाति के लिए कोई प्रावधान नहीं है. इसके अलावा जम्मू और कश्मीर पुनर्गठन (संशोधन) विधेयक में दो कश्मीरी पंडितों के अलावा विधानसभा में एक पाकिस्तानी शरणार्थी के नामांकन का प्रस्ताव रखा गया है. सदन में पहले से ही दो महिलाओं के नामांकन का प्रावधान है.नामांकित विधायक भी हर हाल में सत्ताधारी पार्टी का ही साथ देते हैं.

Advertisement

2014 के विधानसभा चुनावों में बीजेपी ने बनाई थी बढ़त

2014 के विधानसभा चुनाव में भाजपा ने अपना अब तक का सबसे बेहतरीन प्रदर्शन करते हुए 87 में से 25 विधानसभा सीटों पर जीत हासिल की थी.चूंकि राज्य में किसी भी पार्टी को बहुमत नहीं मिला था इसलिए भाजपा ने पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (PDP) के साथ मिलकर गठबंधन सरकार बनाया था.तीन साल तक गठबंधन सरकार चलने के बाद बीजेपी ने महबूबा मुफ़्ती की सरकार को समर्थन वापस ले लिया था.19 जून 2018 को गठबंधन टूट गया और साझा सरकार गिर गई थी.इसके बाद अगस्त 2019 में राज्य के पुनर्गठन के बाद से भाजपा ने जम्मू कश्मीर में अपने दम पर सरकार बनाने का लक्ष्य रखा हुआ है.

जम्मू कश्मीर में ओबीसी वोटर्स का मिलेगा साथ

भारतीय संविधान लागू होने के बाद जम्मू कश्मीर में जिस तरह एसी और एसटी की सीटें रिजर्व हुईं हैं. उसी तरह सरकार बनने के बाद ओबीसी तबके को मिलने वाले लाभ मिलने भी शुरू हो जाएंगे. जम्मू कश्मीर में कभी जातिगत जनगणना नहीं हुई है पर यह उम्मीद की जाती है कि अन्य पिछड़ा वर्ग की जनसंख्या करीब 30 से 40 प्रतिशत के बीच है. बीबीसी के अनुसार पिछड़ा वर्ग बोर्ड के पूर्व उपाध्यक्ष रशपाल वर्मा का कहना है कि "अन्य पिछड़ा वर्ग को केंद्र सरकार की नौकरियों और शैक्षणिक संस्थानों में 27 प्रतिशत आरक्षण प्राप्त है. ज्यादातर राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में भी ओबीसी को 27 प्रतिशत आरक्षण है." "हालाँकि, जम्मू-कश्मीर में ओबीसी को कोई आरक्षण नहीं था. पिछली सरकारों ने अन्य सामाजिक जातियों (ओएससी) को सिर्फ़ चार प्रतिशत आरक्षण दिया. जम्मू-कश्मीर में यह अधिनियम पहले भी था, लेकिन वह कमजोर वर्गों के लिए था जबकि इस बार संवैधानिक नाम अन्य पिछड़ा वर्ग देकर प्रधानमंत्री मोदी जी ने उन्हें सम्मान दिया है."
जम्मू कश्मीर की जनता को उम्मीद है कि राज्य पुनर्गठन विधेयक को राष्ट्रपति की मंजूरी मिलने के तुरंत बाद ओबीसी वर्ग को सरकारी नौकरियों और शैक्षणिक संस्थानों में आरक्षण लागू हो जाएगा.जाहिर है कि अनुच्छेद 370 को समाप्त करने का श्रेय बीजेपी को जाता है तो जिन तबकों को फायदा होगा वो लोग पार्टी का समर्थन ही करेंगे. 

Advertisement

महिलाओं की जिंदगी में भी नया सवेरा

जम्मू और कश्मीर में महिलाएं अब अचल संपत्ति खरीद सकती हैं और बच्चों को संपत्ति हस्तांतरित कर सकती हैं, भले ही उनकी शादी किसी अनिवासी से हुई हो क्योंकि अनुच्छेद 370 के हटने के साथ अनुच्छेद 35A स्वतः ही शून्य हो गया है. अनुच्छेद 35ए जम्मू-कश्मीर सरकार को यह तय करने का अधिकार देता था कि कौन 'स्थायी निवासी' के रूप में योग्य है.सुप्रीम कोर्ट में मामले के चलते अभी भी कश्मीर के लोगों को लगता था कि हो सकता है अनुच्छेद 370 फिर से बहाल न हो जाए. सुप्रीम कोर्ट की मुहर लगने के बाद महिलाएं और आश्वस्त होंगी. हो सकता है कि आगामी लोकसभा चुनावों और प्रदेश में होने वाले विधानसभा चुनावों में वे बड़ी संख्या में बीजेपी को सपोर्ट भी करें.

Read more!
Advertisement

RECOMMENDED

Advertisement