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इंजीनियर राशिद की रिहाई से अब्दुल्ला और मुफ्ती परिवार इतने आक्रामक क्यों हो गये हैं? | Opinion

जम्मू-कश्मीर विधानसभा चुनाव के बीच इंजीनियर राशिद की रिहाई से सूबे के प्रमुख क्षेत्रीय दलों में खलबली मची हुई है. नेशनल कांफ्रेंस और पीडीपी दोनो ही इंजीनियर राशिद की रिहाई की तोहमत बीजेपी पर मढ़ने की कोशिश कर रहे हैं - पहली बार चुनाव लड़ रहीं इल्तिजा मुफ्ती तो कुछ ज्यादा ही आक्रामक लग रही हैं.

इंजीनियर राशिद को लेकर इल्तिजा मुफ्ती का सवाल उनकी रिहाई की टाइमिंग को लेकर है. इंजीनियर राशिद को लेकर इल्तिजा मुफ्ती का सवाल उनकी रिहाई की टाइमिंग को लेकर है.
मृगांक शेखर
  • नई दिल्ली,
  • 12 सितंबर 2024,
  • अपडेटेड 4:44 PM IST

टेरर फंडिंग के आरोपी इंजीनियर राशिद की रिहाई को जम्मू-कश्मीर के प्रमुख नेता बेहद खफा हैं. घाटी के लोगों का हवाला देते हुए नेताओं के मुंह से एक ही सवाल निकलता है - जब इंजीनियर राशिद बारामूला से लोकसभा का चुनाव लड़ रहे थे तब उनको क्यों नहीं रिहा किया गया? और अभी क्यों रिहा किया गया है?

ये सवाल पूरी तरह राजनीतिक है, और बीजेपी के प्रति कश्मीरी नेताओं के मन में भरी भड़ास के जबान पर आ जाने जैसा ही है. इंजीनियर राशिद को जम्मू-कश्मीर चुनाव कैंपेन के लिए ही दिल्ली की अदालत से अंतरिम जमानत मिली है. ठीक वैसे ही जैसे लोकसभा चुनावों के दौरान दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को मिली थी. 2 अक्टूबर के बाद, इंजीनियर राशिद को भी वैसे ही सरेंडर करना पड़ेगा, जैसे अरविंद केजरीवाल को करना पड़ा था. अरविंद केजरीवाल ने तो जमानत बढ़ाने की भी अर्जी डाली थी, लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दिया था. 

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नेशनल कांफ्रेंस और पीडीपी दोनो ही राजनीतिक दलों के नेता केंद्र में सत्ताधारी बीजेपी नेतृत्व पर हमलावर हैं. उमर अब्दुल्ला, फारूक अब्दुल्ला और महबूबा मुफ्ती तो जमानत मंजूर होने के साथ सवाल उठाने लगे थे, पीडीपी के टिकट पर पहली बार चुनाव लड़ने जा रहीं इल्तिजा मुफ्ती तो और भी ज्यादा आक्रामक नजर आ रही हैं. 

इंजीनियर राशिद की रिहाई पर इल्तिजा मुफ्ती का सवाल

पीडीपी नेता और जम्मू-कश्मीर की पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती की बेटी इल्तिजा मुफ्ती विधानसभा चुनाव में अपनी राजनीतिक पारी का आगाज कर रही हैं. वो पीडीपी के टिकट पर जम्मू-कश्मीर की बिजबेहरा सीट से चुनाव लड़ने जा रही हैं. 

इल्तिजा, मुफ्ती परिवार की तीसरी पीढ़ी की नेता हैं, जो इस सीट से चुनाव लड़ रही हैं. इल्तिजा को उस वक्त ज्यादा एक्टिव देखा गया था जब जम्मू-कश्मीर से धारा 370 को खत्म कर दिये जाने के दौरान महबूबा मुफ्ती को नजरबंद किया गया था - उन दिनों इल्तिजा मुफ्ती, अपनी मां महबूबा मुफ्ती के सोशल मीडिया हैंडल के जरिये उनकी आवाज बनी हुई थीं.

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आज तक के खास कार्यक्रम 'पंचायत आजतक' के दूसरे सत्र 'PDP को मिलेगी पावर?' में  इल्तिजा मुफ्ती से जब इंजीनियर राशिद की रिहाई से जुड़े सवाल पूछे जाते हैं तो वो चिढ़ सी जाती हैं, और जरूरी मुद्दों से न भटकने की बात कहती हैं. कहने को तो इल्तिजा मुफ्ती इंजीनियर राशिद पर बात करना वक्त की बर्बादी मानती हैं, लेकिन जिक्र आने पर आक्रामक हो जाती हैं.

पीडीपी के चुनाव कैंपेन की इंचार्ज इल्तिजा मुफ्ती पूछती हैं, 'अब उनको बेल मिली... अपना कैंपेन करने के लिए उनको बेल क्यों नहीं मिली?'

कहने को तो इल्तिजा मुफ्ती ये भी कहती हैं कि उनको इंजीनियर राशिद से किसी तरह की शिकायत नहीं है, लेकिन बारामूला लोकसभा सीट से उनकी जीत उन्हें बिलकुल भी हजम नहीं हो पा रही है. वैसे इंजीनियर राशिद ने नेशनल कांफ्रेंस नेता उमर अब्दुल्ला को शिकस्त दी है, जिनसे पीडीपी का अलग ही राजनीतिक विरोध है. नेशनल कांफ्रेंस और कांग्रेस गठबंधन करके चुनाव लड़ रहे हैं, लेकिन पीडीपी उसमें शामिल नहीं है.

इंजीनियर राशिद नाम से मशहूर शेख अब्दुल राशिद की रिहाई के मुद्दे पर इल्तिजा मुफ्ती का अगला सवाल होता है, सिर्फ उनकी ही रिहाई क्यों? कश्मीर के बाकी कैदियों, युवाओं की रिहाई क्यों नहीं हो रही है? 

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पंचायत आज तक के मंच पर कहती हैं, 'लोगों का भी यही सवाल है... इतनी सारी औरतों से मैं मिलती हूं... हजारों की तादाद में उनके बेटे हैं... नौजवान जेल में हैं, उनकी भी रिहाई करो.'

नये कश्मीर के सवाल का इल्तिजा मुफ्ती का जवाब होता है, 'आप यकीन नहीं करेंगे कि बहुत सारी औरतें होंगी जो कैमरा पर रोती हैं, और कहती हैं... उन्हें पुलिस ले गई है... और उन पर यूएपीए लगा दिया गया है... जेल में कितने साल से हैं... 

जेएनयू की छात्र राजनीति के बाद कुछ दिन जम्मू-कश्मीर की सियासत में भी सक्रिय रहीं शेहला राशिद कुछ दिनों पहले राज्य के हालात में बदलाव की बात कर रही थीं, लेकिन इल्तिजा मुफ्ती ऐसा बिलकुल नहीं मानतीं. 

इल्तिजा मुफ्ती का कहना है, दुकाने यहां खुली हैं... बच्चे स्कूल कंप्लीट कर रहे हैं, लेकिन ये नॉर्मल्सी नहीं है... क्योंकि अगर लोगों के अंदर अगर दर्द नहीं होता तो इंजीनियर रशीद जीतते नहीं, जो 2 लाख वोटों से जीते... वो क्या सेंटीमेंट के बारे में बात करते हैं... आजादी सेटीमेंट, रेफरेंडम सेंटीमेंट... तो ये तो उनकी जीत हुई...  दिल्ली की सरकार की सबसे बड़ी हार हुई है.'

लेकिन ये बताये जाने पर कि इंजीनियर राशिद तो इसीलिए जीते हैं क्योंकि पीडीपी जैसी पार्टियां लोगों से कट गई हैं. फिर तो पीडीपी जैसी पार्टियों की ही हार मानी जाएगी. क्योंकि इंजीनियर राशिद ने किसी ऐरे गैरे को नहीं बल्कि नेशनल कांफ्रेस के नेता और पहले मुख्यमंत्री रह चुके उमर अब्दुल्ला को हराया है. वो भी जेल में रह कर और दो लाख वोटों के फासले से.

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इंजीनियर राशिद की रिहाई से कश्मीरी नेता परेशान क्यों हैं

नेशनल कांफ्रेंस नेता फारूक अब्दुल्ला का तो सीधा आरोप है कि इंजीनियर राशिद को बीजेपी ने छोड़ा है. उनकी दलील है, क्योंकि वो चाहते हैं कि यहां मुसलमानों के टुकड़े हों... बीजेपी इसमें राशिद के साथ है. 

साथ ही वो जोड़ते हैं, इंडियन एयरलाइंस C814 की हाइजैकिंग के दौरान जिन आतंकियों को छोड़ा गया, वे ही आज आतंकवाद फैला रहे हैं. कहते हैं, मैंने उस वक्त भी कहा था... आतंकियों को मत छोड़ो, लेकिन वे नहीं माने... हम आज उसका नतीजा देख रहे हैं... अभी आगे देखिए क्या-क्या होगा?

फारूक अब्दुल्ला के बेटे और पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने इंजीनियर राशिद को अंतरिम जमानत मिलने पर कहा था, 'मुझे पता था... ऐसा ही होगा.' और ये भी बताया, महबूबा मुफ्ती ने तो खुलकर कहा है कि इंजीनियर राशिद बीजेपी के कहने पर काम कर रहे हैं.

2016 में इंजीनियर राशिद को जम्मू-कश्मीर में टेरर फंडिंग के आरोप में UAPA के तहत गिरफ्तार किया गया था, जिनका नाम उस वक्त सामने आया जब NIA ने कश्मीरी कारोबारी जहूर वताली से जुड़े केस की जांच शुरू की थी. जहूर वताली को जम्मू-कश्मीर में आतंकवादी समूहों और अलगाववादियों के लिए फंडिंग करने के आरोप में गिरफ्तार किया था. दिल्ली के पटियाला हाउस कोर्ट से टेरर फंडिंग मामले में अंतरिम जमानत मिलने से पहले इंजीनियर राशिद को सांसद के तौर पर शपथ लेने के लिए भी छोड़ा गया था.

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