
उद्धव ठाकरे हिंदुत्व के मुद्दे पर फिर से निशाने पर आ गये हैं - और नया मुद्दा है महाकुंभ से ठाकरे परिवार के दूरी बना लेने का.
कट्टर हिंदुत्व वाली विरासत की राजनीति से शुरुआत के बाद उद्धव ठाकरे ने 2019 में बीजेपी विरोधी खेमे के साथ हो लिया, और तभी से उनकी मुश्किलें शुरू हो गईं. ये सही है कि उद्धव ठाकरे राजनीतिक लाइन बदलने के बाद ही महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री भी बने, लेकिन बर्बादी की वजह भी तो वही एक फैसला बना.
महाकुंभ में तो विपक्ष से अखिलेश यादव को छोड़ कर कोई भी बड़ा नेता नहीं गया है, लेकिन निशाने पर उद्धव ठाकरे महाराष्ट्र की राजनीति की वजह से आये हैं. महाराष्ट्र के डिप्टी सीएम एकनाथ शिंदे से लेकर केंद्रीय मंत्री रामदास अठावले तक. रामदास अठावले ने तो उद्धव ठाकरे के साथ साथ राहुल गांधी को भी निशाना बनाया है - लेकिन, राहुल गांधी को निशाना बनाये जाने और उद्धव ठाकरे को टारगेट किये जाने में बड़ा फर्क भी तो है.
उद्धव ठाकरे अपनी सरकार के 100 दिन पूरे होने पर पूरे लाव लश्कर के साथ अयोध्या गये हुए थे, लेकिन ये कैसे भूल जाते हैं कि उनके महाकुंभ न जाने पर सवाल नहीं उठेंगे. क्योंकि, मुख्यमंत्री तो वो महाविकास आघाड़ी सरकार के ही थे, जिसमें राहुल गांधी की कांग्रेस और शरद पवार की एनसीपी भी शामिल थी.
चूंकि सवाल एकनाथ शिंदे ने उठाया है, इसलिए उद्धव ठाकरे ने जवाब भी उनको ही दिया है, ये बात अलग है कि दोनो में से किसी ने भी सीधे सीधे एक दूसरे का नाम नहीं लिया है.
विरोधियों को मौका तो उद्धव ठाकरे ने ही दिया है
अपने हिंदुत्व पर सवाल उठाये जाने पर उद्धव ठाकरे ने भी जवाब दे दिया है, ‘गंगा में नहाने से कोई पाप नहीं धुलता है.’
एकनाथ शिंदे ने महाकुंभ में शामिल नहीं होने पर शिवसेना (यूबीटी) के नेता उद्धव ठाकरे को लेकर कहा था कि वो खुद को हिंदू कहलाने से डरते हैं.
मीडिया के पूछने पर एकनाथ शिंदे ने कहा, जो लोग महाकुंभ में शामिल नहीं हुए, उनसे पूछा जाना चाहिये कि वे हिस्सा क्यों नहीं लिये… कहते रहते हैं कि वे हिंदू हैं… बाल ठाकरे ने नारा दिया था कि गर्व से कहो हम हिंदू हैं, लेकिन अब वे खुद को हिंदू कहलाने से डरते हैं.
एकनाथ शिंदे को जवाब देने के लिए उद्धव ठाकरे ने कार्यकर्ताओं के बीच कहा कि गंगा में नहाने से कोई पाप नहीं धुलता है. एकनाथ शिंदे को टार्गेट करते हुए बोले, महाराष्ट्र को धोखा देकर जो पाप किया है, गंगा में कई बार स्नान करने पर भी वो नहीं धुलने वाला… मैं तो गंगा का सम्मान करता हूं… डुबकी लगाने का क्या फायदा है… डुबकी लगाने के बाद भी विश्वासघाती का ठप्पा नहीं जाने वाला.
एकनाथ शिंदे को अपने खिलाफ बगावत के लिए उद्धव ठाकरे कभी गद्दार, तो कभी धोखेबाज कहते रहे हैं, और अब भी विश्वासघाती बोलकर उसी बात की याद दिला रहे हैं - समझने वाली बात है कि क्या एकनाथ शिंदे पर पलटवार से उद्धव ठाकरे महाराष्ट्र के लोगों को भी संतुष्ट कर पाएंगे? क्योंकि, सवाल तो उनके मन में भी होगा?
क्या उद्धव ठाकरे को महाकुंभ जाना चाहिये था?
1. उद्धव ठाकरे खुद बीजेपी नेताओं से बड़ा हिंदुत्व का समर्थक बताते आये हैं, लेकिन एकनाथ शिंदे तो इसी मुद्दे पर बाजी मार ले गये - महाकुंभ न जाकर उद्धव ठाकरे ने एकनाथ शिंदे और बीजेपी को एक और कमजोर कड़ी थमा दी है.
2. हो सकता है, कुंभ नहाने में उद्धव ठाकरे की सेहत आड़े आ रही हो, लेकिन वो आदित्य ठाकरे को तो भेज ही सकते थे. साथ में संजय राउत और प्रियंका चतुर्वेदी भी जा सकती थीं, बशर्ते कोई राजनीतिक स्टैंड न हो.
3. लोकसभा चुनाव में मिला आत्मविश्वास महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में गवां चुके उद्धव ठाकरे को अब ले देकर बीएमसी चुनाव से ही उम्मीद बची है - तो क्या उद्धव ठाकरे ने महाकुंभ न जाने का फैसला बीएमसी चुनाव के हिसाब से लिया है?
4. ममता बनर्जी या राहुल गांधी की बात और है, लेकिन जब अखिलेश यादव संगम में डुबकी लगा सकते हैं, तो उद्धव ठाकरे क्यों नहीं? ये सवाल तो महाराष्ट्र के लोगों के मन में भी उठ सकता है.
5. महाकुंभ नहाकर कोई नेता खुद को हिंदुत्व का समर्थक साबित नहीं कर सकता, समाजवादी पार्टी के नेता अखिलेश यादव सबसे बड़े उदाहरण हैं, लेकिन राजनीतिक विरोधियों को मिल रहे हमले के मौके से तो वंचित कर ही सकता है.
अखिलेश यादव ने महाकुंभ में डुबकी लगाकर ये तो बता ही दिया है कि वो सनातन विरोधी नहीं हैं - और उद्धव ठाकरे ये मौका पूरी तरह चूक गये हैं.