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गोधरा जैसा हादसा होने को लेकर उद्धव ठाकरे की आशंका के पीछे ये कारण हैं...

राम मंदिर आंदोलन को लेकर शिवसेना का हमेशा से अलग ही दावा रहा है. लेकिन, ज्यादा फायदा बीजेपी को ही मिला. 2024 के लोकसभा चुनाव से ठीक पहले राम मंदिर कार्यक्रम से जुड़ा उद्धव ठाकरे को गोधरा जैसी आशंका क्या संकेत दे रही है? उद्धव के इस बयान में आशंका से ज्यादा आरोप की बू आ रही है.

उद्धव ठाकरे को गोधरा की याद दिलाने की कोई सलाह मिली है या खुफिया जानकारी? उद्धव ठाकरे को गोधरा की याद दिलाने की कोई सलाह मिली है या खुफिया जानकारी?
मृगांक शेखर
  • नई दिल्ली,
  • 12 सितंबर 2023,
  • अपडेटेड 4:53 PM IST

उद्धव ठाकरे की राजनीति जिस मोड़ पर पहुंच चुकी है, ऐसा लगता है संजीवनी बूटी उनको अयोध्या में ही नजर आती है. 2019 में बीजेपी को छोड़ कर कांग्रेस और एनसीपी से हाथ मिलाने के बाद से ही उद्धव ठाकरे पॉलिटिकल लाइन पर सवाल उठाये जाने लगे थे - और काउंटर करने के लिए वो अयोध्या का ही सहारा लेते रहे हैं.

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हिंदुत्व से मुंह मोड़ लेने के आरोपों से मुकाबला करते हुए उद्धव ठाकरे लगातार संघर्ष कर रहे हैं. सत्ता के साथ साथ संगठन भी हाथ से फिसल जाने के बाद उद्धव ठाकरे फिलहाल अस्तित्व की लड़ाई लड़ रहे हैं. हिंदुत्व की अपनी लाइन को बड़ा बताने के लिए वो हरदम ही बीजेपी को कठघरे में खड़ा करने की कोशिश करते रहे हैं - और उसी क्रम में इस बार वो 'अयोध्या' से 'गोधरा' को जोड़ दिये हैं. 

राम मंदिर आंदोलन को लेकर शिवसेना का हमेशा से एक अलग दावा रहा है. लेकिन, इस आंदोलन का फायदा हमेशा ही सबसे ज्‍यादा बीजेपी को ही मिला. 2024 के लोकसभा चुनाव से ठीक पहले राम मंदिर को जनता के लिए खोले जाने को लेकर राजनीतिक विश्‍लेषक मान रहे हैं कि ये कार्यक्रम भी बीजेपी को ही फायदा पहुंचाएगा. ऐसे में इस कार्यक्रम से जुड़ा उद्धव ठाकरे का एक बयान अलग से सुर्खी बन गया है.

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अयोध्या से 'गोधरा' तक!

महाराष्ट्र मुख्यमंत्री बनने के 100 दिन पूरे होने पर जश्न मनाने उद्धव ठाकरे अयोध्या ही पहुंचे थे. और बाद में अपने नेताओं के साथ आदित्य ठाकरे को भी अयोध्या भेजा था, लेकिन तब किसी को भी भनक तक नहीं लगी कि हर सीक्रेट जानने वाले एकनाथ शिंदे अलग ही खेल खेल रहे हैं. आदित्य ठाकरे की अयोध्या यात्रा के बाद शिवसेना में बगावत हो गयी थी, और उद्धव ठाकरे को इस्तीफा देना पड़ा था. 

अव्वल तो अयोध्या की लड़ाई में बीजेपी और शिवसेना दोनों ही साथ थे, लेकिन उद्धव ठाकरे को लगता है कि बाजी बीजेपी ही मार ले गयी. उद्धव ठाकरे बीजेपी से लड़ कर अपना हक वापस लेने की कोशिश कर रहे हैं, लेकिन बीच बीच में ऐसी बातें भी कर देते हैं जो उनके खिलाफ चला जाता है.

मसलन, राम मंदिर निर्माण के लिए जब अयोध्या में भूमि पूजन का कार्यक्रम बन रहा था तब उद्धव ठाकरे ने सुझाव दिया था कि वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिये ई-भूमि पूजन कर लिया जाये. उद्धव ठाकरे तब महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री हुआ करते थे, और अपनी समझ से ये बात उन्होंने कोविट संकट के मद्देनजर कही थी. उद्धव ठाकरे को तब एक बात अजीब जरूर लगी होगी कि उनकी तत्कालीन सरकार में गठबंधन पार्टनर कांग्रेस की नेता प्रियंका गांधी भी विरोध की हिम्मत नहीं जुटा पायीं - और मंदिर निर्माण को लेकर सोशल मीडिया पर खुल कर खुशी का इजहार किया था. 

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हालांकि, उद्धव ठाकरे ने अपने तरीके से खुद को अयोध्या से कनेक्ट करने की कोशिश भी की थी. उनका कहना था, 'संयोग से मैं पिछले साल नवंबर में अयोध्या गया था और अगले नवंबर में विवाद सुलझ गया और मैं सीएम बन गया.'

अभी 10 सितंबर, 2023 को जलगांव में छत्रपति शिवाजी महाराज की मूर्ति का उद्घाटन करते हुए उद्धव ठाकरे ने अयोध्या में राम मंदिर निर्माण का खास तौर पर जिक्र किया. और फिर बातों बातों में ही उसे गोधरा से जोड़ दिया. 27 फरवरी, 2002 को कारसेवक अयोध्या से साबरमती एक्सप्रेस से लौट रहे थे, जिसमें आग लगने से 59 लोगों की मौत हो गयी थी. उद्धव ठाकरे उसी गोधरा कांड की याद दिला रहे थे. गोधरा कांड के बाद गुजरात में सांप्रदायिक दंगे हुए थे, जिसे लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के राजनीतिक विरोधी उन पर लगातार हमलावर रहे हैं.

उद्धव ठाकरे का कहना है, 'मुझे एक बात का डर है... मुझे लगता है कि राम मंदिर के लिए देश भर से लाखों हिंदुओं को बुलाया जाएगा... और जब वो लौट रहेंगे तो गोधरा जैसा कांड करा दिया जाएगा.'

उद्धव ठाकरे के बयान पर केंद्रीय मंत्री और बीजेपी नेता अनुराग ठाकुर कहते हैं, 'मुझे नहीं पता कि आज क्या सोच रहे होंगे... सत्ता के लालच में उद्धव जी आज क्या कर रहे हैं...' बीजेपी नेता रविशंकर प्रसाद तो उद्धव ठाकरे के लिए सद्बुद्धि की कामना कर रहे हैं, 'राम मंदिर आंदोलन के पीछे बाला साहब ठाकरे सक्रिय थे... उन्होंने हमें इतना आशीर्वाद दिया, और उनके बेटे ये सब कह रहे है... मैं भगवान राम से प्रार्थना कर सकता हूं कि वो उन्हें सद्बुद्धि दें.'

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उद्धव ठाकरे का सूत्र कौन है?

उद्धव ठाकरे ने ये नहीं बताया है कि ये सब उनके मन की उपज है या किसी सूत्र से उनको ऐसी कोई जानकारी मिली है. अगर मुख्यमंत्री रहते उद्धव ठाकरे ये बात कहे होते तो और बात होती. ऐसा माना जाता कि उनके पास कोई इंटेलिजेंस इनपुट हो सकता है. सूत्रों के हवाले से दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और कांग्रेस नेता राहुल गांधी भी ऐसे कई दावे कर चुके हैं, लेकिन उद्धव ठाकरे ने ऐसा कोई इशारा नहीं किया है. 

उद्धव ठाकरे के सपोर्ट में आम आदमी पार्टी के नेता सौरभ भारद्वाज का कहना है कि वो एक सीनियर नेता है, और अगर वो कुछ कह रहे हैं तो उसे गंभीरता से लेना चाहिये. न्यूज एजेंसी ANI से बातचीत में सौरभ भारद्वाज कहते हैं, 'उद्धव ठाकरे जी ने ये क्यों कहा, उनके पास किस सोर्स से जानकारी आई, ये कह पाना मेरे लिए मुश्किल है... लेकिन वो एक वरिष्ठ नेता हैं और राज्य के मुख्यमंत्री रह चुके हैं. ऐसे में अगर वो कुछ कह रहे हैं तो उनके बयान को गंभीरता से लिया जाना चाहिये.'

उद्धव ठाकरे ने गोधरा का नाम क्यों लिया?

एकबारगी तो उद्धव ठाकरे की बातें सुन कर ऐसा लगता है, जैसे वो आशंका जाहिर कर रहे हों कि कहीं ऐसी आपराधिक या कोई आतंकवादी हमला न हो जाये. हो सकता है, उद्धव ठाकरे लोगों खासकर अयोध्या से राम मंदिर में दर्शन कर लौट रहे लोगों की सुरक्षा को लेकर चिंता जता रहे हों - लेकिन क्या ऐसा ही है? 

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जिस तरीके से उद्धव ठाकरे टारगेट करके संबोधित कर रहे हैं, साफ है कि वो केंद्र में सत्ताधारी बीजेपी, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अमित शाह की बात कर रहे होंगे. वो सीधे सीधे नाम तो नहीं ले रहे हैं, लेकिन भाव तो वैसा ही प्रकट करने की कोशिश है.

तो क्या उद्धव ठाकरे गोधरा की घटना को पुलवामा जैसी आतंकी घटना से जोड़ने की कोशिश कर रहे हैं? 
2019 में, और बाद में भी विपक्ष बीजेपी नेतृत्व के खिलाफ पुलवामा को राजनीतिक मुद्दा बनाने की कोशिश करता रहा है. वैसे भी पुलवामा को लेकर विपक्ष बीजेपी पर फायदा उठाने का आरोप लगा चुका है.

क्या उद्धव ठाकरे के बयान को भी उसी नजरिये से देखा जाना चाहिये?

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