
पिछले एक हफ्ते में देश में जो सियासी घटनाक्रम बदला है उसमें बंगाल और बिहार के बाद उत्तर प्रदेश का भी बड़ा रोल है. खासकर इंडिया ब्लॉक को ममता और नीतीश के बाद अब अखिलेश यादव ने भी झटका दे दिया है. अखिलेश यादव ने सीधे तौर पर कांग्रेस के साथ चुनाव नहीं लड़ने जैसी कोई बात नहीं की है, लेकिन उन्होंने कांग्रेस के लिए यूपी में सियासी दायरे की लकीर खींच दी है.
जिस वक्त बिहार से महागठबंधन सरकार के विदाई की इबारत लिखी जा रही थी, ठीक उसी वक्त अखिलेश यादव ने ट्वीट कर कांग्रेस पार्टी के लिए उत्तर प्रदेश में 11 सीटें तय कर दीं. उन्होंने यह भी लिख दिया कि कांग्रेस के साथ मजबूत गठबंधन की दिशा में प्रयास चल रहा है. कांग्रेस पार्टी को तब यह पता भी नहीं था कि समाजवादी पार्टी ने उनके लिए 11 सीटें तय कर दी हैं.
अखिलेश यादव के ट्वीट के आते ही कांग्रेस को ऐसा लगा मानो कोई वज्रपात हो गया हो. क्योंकि समाजवादी पार्टी ने बिना कांग्रेस का इंतजार किए एकतरफा फैसला कर लिया. यह उस कांग्रेस पार्टी के लिए सदमे जैसी स्थिति थी जिसके वरिष्ठ नेताओं की कमिटी सीटों के बंटवारे पर बात कर रही थी. कांग्रेस ने संयम तो रखा लेकिन अपनी तरफ से इस फैसले को न मानते हुए गोल मोल बातें करनी शुरू कर दी. उसने ना तो अखिलेश के फैसले को नकारा और ना ही स्वीकारा.
कांग्रेस ने अखिलेश यादव के ट्वीट पर यह कह कर अपनी सफाई दी की सपा प्रमुख ने उनके लिए सीटें नहीं तय की हैं, बल्कि मिलने वाली सीटों की पहली किस्त का ऐलान किया है. बातचीत चलेगी और आगे कई सीटें पार्टी को मिलेंगी. कांग्रेस ने कहा कि उसने यूपी में अपले लिए सीटों की जितनी संख्या तय की है, पार्टी उतने पर ही समाजादी पार्टी के साथ गठबंधन में जाएगी. बता दें कि सपा ने न सिर्फ 11 सीटें कांग्रेस के लिए तय कर दी हैं, बल्कि कौन.कौन सी सीट होगी इसका भी चयन कर लिया है.
सूत्रों की मानें तो सपा, कांग्रेस के लिए अमेठी और रायबरेली के अलावा पश्चिमी उत्तर प्रदेश में फतेहपुर सिकरी या आगरा, बुलंदशहर, नोएडा, गाजियाबाद, सहारनपुर, कानपुर और महाराजगंज जैसी सीटों की लिस्ट तैयार कर रखी है. अगर कांग्रेस के साथ बात बनती है तो ये सीटें सपा उसे ऑफर करने जा रही है. और हो सकता है समाजवादी पार्टी की तरफ से सीटों की लिस्ट को भी सोशल मीडिया प्लेटफार्म पर सार्वजनिक कर दिया जाए. हालांकि कांग्रेस पार्टी ने जो अपनी 25 मजबूत सीटों की लिस्ट सपा को दी है उसमें इन सीटों का भी जिक्र है.
बड़ा सवाल यह है कि आखिर जब कांग्रेस और समाजवादी पार्टी के बीच सीट बंटवारे को लेकर बातचीत चल रही थी, तो फिर अखिलेश ने यह एक तरफा बंटवारे का फैसला क्यों किया? तो बात बिल्कुल साफ है, अखिलेश यादव ने कांग्रेस की भाषा में ही उसको जवाब दे दिया है.दरअसल कांग्रेस पार्टी सीट बंटवारे पर फैसला करने के लिए पर डेटु डे मीटिंग करने के बजाय उसे टालती जा रही थी. कभी बड़े नेताओं की व्यस्तता का बहाना तो कभी राहुल गांधी की भारत जोड़ो न्याय यात्रा का बहाना.
ऐसे में मीटिंग नहीं हो पा रही थी और अखिलेश यादव सीट शेयरिंग की बात अब लंबे वक्त तक टालने के मूड में नहीं थे. ऐसे में उन्होंने कांग्रेस पार्टी के लिए जो सीटें तय कर रखी थीं, उसका उन्होंने सोशल मीडिया प्लेटफार्म पर ऐलान कर दिया. यही नहीं अखिलेश ने मध्य प्रदेश चुनाव के वक्त सपा के साथ कांग्रेस के रवैया का बदला भी ले लिया, जब उनकी पार्टी को बातचीत की टेबल पर बिठाकर कांग्रेस ने अपनी सीटों का ऐलान कर दिया था.
बहरहाल पिछले एक हफ्ते के सियासी घटनाक्रम ने कांग्रेस पार्टी को एक के बाद एक झटका दिया है और उत्तर प्रदेश में अखिलेश यादव भी इसमें पीछे नहीं रहे. कांग्रेस प्रभारी अविनाश पांडे मंगलवार को लखनऊ आ रहे हैं और कांग्रेस पार्टी को उम्मीद है कि कुछ और सीटों पर अभी बात बनेगी. सपा के अंदरूनी सूत्र बताते हैं की 11 सीटों के अलावा और दो.चार सीटें कांग्रेस को दी जा सकती हैं. लेकिन अगर कांग्रेस 25 सीटों का एक आंकड़ा मान बैठी है तो यह संभव नहीं है.
दरअसल कांग्रेस पार्टी को लगता है कि उत्तर प्रदेश में अगर 20 से कम सीटों पर वह चुनाव लड़ती है, तो यह उसके इमेज और पार्टी कार्यकर्ताओं के मनोबल के लिहाज से अच्छा नहीं होगा. इसलिए कांग्रेस पार्टी हर हाल में 20 से 25 सीटें चाहती है. लेकिन बड़े सियासी खिलाड़ी की तरह अखिलेश यादव ने कांग्रेस से संबंध भी नहीं तोड़ा और उसे कहीं का भी नहीं छोड़ा. अब नजरें इस ओर टिकी हैं कि कांग्रेस अखिलेश के साथ क्या इतनी सीटों पर गठबंधन के लिए तैयार है या फिर किसी और विकल्प के साथ आगे बढ़ती है.