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नीतीश-लालू, चाचा-भतीजा, बढ़ रही है दूरी या फिर साथ रहने की सियासी मजबूरी?

पिछले एक सप्ताह में बिहार की राजनीति में जो सबसे महत्वपूर्ण घटनाक्रम था, वह था- 15 जनवरी को राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव के द्वारा आयोजित दही-चूड़ा का भोज, जिसमें महागठबंधन के तमाम बड़े नेताओं के साथ-साथ मुख्यमंत्री नीतीश कुमार भी शामिल हुए.

बिहार में यह चर्चा तेज है कि नीतीश कुमार और लालू प्रसाद के बीच सब कुछ सामान्य नहीं है. बिहार में यह चर्चा तेज है कि नीतीश कुमार और लालू प्रसाद के बीच सब कुछ सामान्य नहीं है.
रोहित कुमार सिंह
  • पटना,
  • 19 जनवरी 2024,
  • अपडेटेड 10:03 AM IST

खरमास के बाद एक बार फिर से बिहार के सियासत में ख्याल लगाए जा रहे हैं कि क्या मुख्यमंत्री नीतीश कुमार महागठबंधन से अलग होकर फिर से एनडीए में शामिल हो सकते हैं? साथ ही चाचा पशुपति पारस और भतीजा चिराग पासवान के बीच भी मामला सुलझता हुआ नजर नहीं आ रहा है. क्या बीजेपी चिराग और पारस के बीच समझौता करवा पाएगी? दूसरी तरफ 22 जनवरी को अयोध्या में राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा के कार्यक्रम से लालू प्रसाद ने दूरी बना ली है, मगर सबकी नजरें अब नीतीश कुमार पर हैं कि क्या वे इस कार्यक्रम शामिल होंगे?

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1. नीतीश और लालू की गड़बड़ाती केमिस्ट्री!

पिछले एक सप्ताह में बिहार की राजनीति में जो सबसे महत्वपूर्ण घटनाक्रम था, वह था- 15 जनवरी को राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव के द्वारा आयोजित दही-चूड़ा का भोज, जिसमें महागठबंधन के तमाम बड़े नेताओं के साथ-साथ मुख्यमंत्री नीतीश कुमार भी शामिल हुए.

दिलचस्प बात यह रही कि लालू प्रसाद के दही-चूड़ा भोज में शामिल होने के लिए नीतीश कुमार अपने घर से पैदल ही पूर्व मुख्यमंत्री राबड़ी देवी के आवास 10 सर्कुलर रोड पर पहुंच गए.

हालांकि, इस दौरान जो बात सबसे ज्यादा गौरतलब थी कि नीतीश कुमार ने लालू प्रसाद के आवास पर केवल 7 मिनट का वक्त ही गुजरा. वो दही-चूड़ा का स्वाद चखकर वहां से निकल गए.

लालू प्रसाद के घर से निकलते हुए नीतीश ने मीडिया से भी बातचीत नहीं की, जिसके बाद बिहार के राजनीतिक गलियारे में इस बात को लेकर चर्चा तेज हो गई कि नीतीश कुमार और लालू प्रसाद के बीच सब कुछ सामान्य नहीं है.

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चर्चा इस बात को लेकर भी गरम रही कि लोकसभा चुनाव को लेकर बिहार महागठबंधन में सीटों के तालमेल को लेकर बातचीत में मामला फंसा हुआ है और इसी वजह से नीतीश कुमार और लालू प्रसाद के बीच रिश्ते सामान्य नहीं हैं.

नीतीश कुमार की पार्टी ने भी बीते सप्ताह लोकसभा चुनाव में कम से कम 17 सीटों को लेकर अपनी मांग आगे रख दी थी. जनता दल यूनाइटेड की तरफ से नीतीश कुमार के करीबी मंत्री विजय कुमार चौधरी ने स्पष्ट किया कि उनकी पार्टी 2024 लोकसभा चुनाव में 17 से कम सीटों पर मानने वाली नहीं है. इसी बीच बिहार महागठबंधन में कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ इंडिया ने भी तीन सीटों पर चुनाव लड़ने का ऐलान कर दिया, जिसमें मधुबनी, बेगूसराय और बांका का नाम शामिल है.

कांग्रेस ने पहले ही लोकसभा चुनाव के लिए 10 सीटों की मांग रखी है.

2. चिराग पासवान का हाजीपुर से हल्ला बोल

बीते सप्ताह लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) के राष्ट्रीय अध्यक्ष और सांसद चिराग पासवान ने अपने पिता दिवंगत रामविलास पासवान की परंपरागत हाजीपुर लोकसभा सीट से 2024 लोकसभा चुनाव प्रचार की शुरुआत की है.

चिराग ने हाजीपुर के अक्षय वट राय स्टेडियम में जबरदस्त रैली की, जिसमें हजारों लोग शामिल हुए.

हाजीपुर से फिलहाल राष्ट्रीय लोक जनशक्ति पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष और केंद्रीय मंत्री पशुपति पारस सांसद हैं और चिराग पासवान के चाचा हैं.

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चाचा और भतीजे के लड़ाई में भतीजे चिराग पासवान ने ऐलान कर दिया कि वो 2024 का लोकसभा चुनाव हाजीपुर से लड़ने के लिए पूरी तरह से तैयार हैं.

चिराग पासवान ने कहा कि उनके ऊपर बीजेपी और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का आशीर्वाद है और यह बात उनके चाचा पशुपति पारस को समझनी चाहिए.

चिराग पासवान ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को लेकर भी भविष्यवाणी कर दी कि इस बात की पूरी संभावना है कि नीतीश कुमार जल्द एक बार फिर पलटी मार सकते हैं और एनडीए में शामिल हो सकते हैं.

3. अयोध्या और विपक्ष का विवाद

22 जनवरी को अयोध्या राम मंदिर के प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम को लेकर राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद ने ऐलान कर दिया कि वो प्राण प्रतिष्ठा के कार्यक्रम में शामिल नहीं होंगे.

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