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दिल्ली चुनाव में क्या है जंगपुरा सीट का समीकरण, मनीष सिसोदिया को कितना खतरा?

बीजेपी के उम्मीदवार तरविंदर सिंह मारवाह जनता से मिलते हुए यह कहना नहीं भूलते हैं कि करतारपुर कोरिडोर खुलवाने का श्रेय पीएम नरेंद्र मोदी को जाता है.मारवाह कहते हैं कि मनीष सिसोदिया को जंगपुरा की सड़क तक का नहीं पता.

दिल्ली के पूर्व मुख्यमंत्री और आम आदमी पार्टी में नंबर 2 मनीष सिसोदिया दिल्ली के पूर्व मुख्यमंत्री और आम आदमी पार्टी में नंबर 2 मनीष सिसोदिया
संयम श्रीवास्तव
  • नई दिल्ली,
  • 27 जनवरी 2025,
  • अपडेटेड 5:03 PM IST

आम आदमी पार्टी में नंबर 2 की भूमिका में फिट हो चुके दिल्ली के पूर्व उप मुख्यमंत्री मनीष सिसौदिया दिल्ली विधानसभा में फिर से एंट्री करने के लिए बहुत कठिन जंग लड़ रहे हैं.पटपड़गंज सीट छोड़कर जंगपुरा विधानसभा से चुनाव लड़ने पहुंचे सिसोदिया के बारे में कहा जा रहा है कि अगर उन्होंने दिल्ली में इतने ही अच्छे काम किए थे तो फिर सीट छोड़ने की नौबत क्यों आ गई? गौरतलब है कि पटपड़गंज सीट से पिछली बार सिसोदिया हारते-हारते बचे थे.यही कारण है कि जब सिसोदिया ने जंगपुरा सीट से चुनाव लड़ने का ऐलान किया तो बीजेपी आईटी सेल प्रमुख अमित मालवीय ने एक्स पर  तंज कसा था कि अगली बार मनीष सिसोदिया दिल्ली में शिक्षा और स्वास्थ्य की बात करें या अरविंद केजरीवाल के शीशमहल पर जवाब देने से बचने की कोशिश करें, तो उनसे पूछा जाना चाहिए कि अगर इतना ही अच्छा काम किया है, तो जेल क्यों गए और पटपड़गंज छोड़ कर जंगपुरा जाने की नौबत क्यों आई? दिल्ली की राजनीति को समझने वाले लोगों का कहना है कि मनीष सिसोदिया के लिए जंगपुरा की जंग बहुत कठिन हो गई है. आइये देखते हैं कि सिसोदिया के  लिए मुश्किल खड़ी क्यों हो रही है?

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1- पंजाबी वोटर्स का कितना साथ मनीष को

दिल्ली की जंगपुरा सीट पर सिख और पंजाबी मतदाता निर्णायक भूमिका में हैं. इस बात को ध्यान में रखते हुए में आम आदमी पार्टी ने पहली बार 2013 में मनिंदर सिंह धीर को टिकट दिया और वो जीतने के बाद दिल्ली विधानसभा के स्पीकर बने थे. हालांकि, तब जीत का अंतर सिर्फ़ 1744 वोट थे.शायद यही कारण रहा कि साल 2015 में धीर आप छोड़कर बीजेपी में शामिल हो गए और फिर प्रवीण कुमार को जंगपुरा सीट से मौक़ा मिला. धीर को 2013 में 37% वोट शेयर मिला था, वहीं प्रवीण 2015 में 48% और 2020 में 50% तक वोट शेयर ले गए. यानि कि आम आदमी पार्टी चुनाव दर चुनाव यहां मजबूत ही हो रही है.

पर भारतीय जनता पार्टी ने यहां सिसोदिया को घेरने के लिए इस बार यहां से तरविंदर सिंह मारवाह को मैदान में उतारा हैं. वो तीन बार के पूर्व कांग्रेस विधायक रहे हैं और पंजाबी होना उनका बीजेपी के लिए प्लस पॉइंट है. हरियाणा में मनोहर लाल खट्टर और अनिल विज को जो महत्व मिला उससे दिल्ली एनसीआर की पंजाबी कम्युनिटी बीजेपी को अपनी पार्टी मानने लगी है. 

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बीजेपी के उम्मीदवार तरविंदर सिंह मारवाह जनता से मिलते हुए यह कहना नहीं भूलते हैं कि करतारपुर कोरिडोर खुलवाने का श्रेय पीएम नरेंद्र मोदी को जाता है.मारवाह कहते हैं कि मनीष सिसोदिया को जंगपुरा की सड़क तक का नहीं पता. वो पटपड़गंज से यहां क्यों आए? वहां सेवा नहीं कि तो यहां क्यों आए. दूसरी बात यह भी है कि पंजाबी और सिख समुदाय मध्यवर्ग से बिलॉन्ग करता है. इस बार दिल्ली में मध्यवर्ग को लगता है कि उनकी कीमत पर झुग्गियों और गरीबों के लिए मुफ्त योजनाएं मिल रही हैं. जैसे बिजली गरीबों के लिए तो मुफ्त है पर मध्यवर्ग के लिए उतना ही महंगा हो जाता है. दूसरे सड़कें और साफ सफाई की व्यवस्था की हालत बहुत खराब हुई है. इसलिए आम आदमी पार्टी को मध्यवर्ग का वोट इस बार कुछ टूटने की कगार पर है. जिसका नुकसान यहां सिसोदिया को उठाना पड़ेगा.

2- मुस्लिम और दलित बस्तियों का वोट कहां जा रहा है

आम आदमी पार्टी का सबसे सॉलिड वोट झुग्गी बस्तियों का रहा है.इसके साथ ही दलित और मुस्लिम वोट भी पिछले चुनावों में कांग्रेस से ट्रांसफर होकर आम आदमी पार्टी को मिले हैं. जंगपुरा विधानसभा क्षेत्र में  नेहरू नगर, सनलाइट कॉलोनी, निज़ामुद्दीन बस्ती और दरियागंज में बड़ी संख्या में मुस्लिम और दलित आबादी रहती है.पर कांग्रेस ने यहां से फरहाद सूरी को खड़ाकर सिसोदिया के लिए एक और मुश्किल टास्क दे दिया है. फरहाद सूरी पूर्व कांग्रेस नेत्री ताजदार बाबर के बेटे हैं. वह 4 बार पार्षद और दिल्ली नगर निगम के पूर्व मेयर रहे हैं. बीजेपी और कांग्रेस उम्मीदवार जहां मनीष सिसोदिया पर पटपड़गंज से भागने के आरोप लगाकर घेर रहे हैं तो वहीं सिसोदिया अपनी सरकार के कामों के दम पर वोट मांग रहे हैं. 

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वैसे भी पूरे देश में यह प्रवृत्ति देखने को मिल रही है कि मुसलमान और दलित कांग्रेस के साथ जा रहा है. आम आदमी पार्टी की सॉफ्ट हिंदुत्व वाली राजनीति बहुत से मुसलमानों को पसंद नहीं आती है. अरविंद केजरीवाल राम मंदिर का दर्शन भी करने गए और हिंदू मंदिरों में जाकर खुद को धर्मभीरू हिंदू बताने में परहेज नहीं करते हैं. इसके उलट कांग्रेस पिछले कुछ सालों से हिंदुत्व से अपनी दूरी बनाई है. गांधी फैमिली इसी के चलते राम मंदिर नहीं गई. कुंभ से भी अभी तक दूरी बना कर चल रही है. जाहिर है इन सबका फायदा कांग्रेस को जरूर मिल रहा है.

3-मनीष सिसोदिया को फिर डिप्टी सीएम बनाने का केजरावाल का वादा

अरविंद केजरीवाल जंगपुरा की एक चुनावी रैली में कहते हैं कि मैंने मनीष सिसोदिया को आप लोगों को सौंप दिया है. जंगपुरा की जनता को संबोधित करते हुए कहा कि जंगपुरा का विकास 10 गुना ज्यादा करना है, जितने काम रुके हैं, उन्हें टॉप स्पीड से पूरा करना है… जो काम नहीं हो पाये वे सभी करने हैं. विकास की नई योजनाएं चालू करनी हैं.और लगे हाथ वो जंगपुरा के लोगों को आगाह भी करते हैं, गलती से भी गलती मत करना. मनीष सिसोदिया की तारीफ में अरविंद कहते हैं कि मनीष सिसोदिया मेरे सेनापति हैं, छोटे भाई हैं… और सबसे प्यारे हैं… दिल्ली में आम आदमी पार्टी की सरकार बन रही है… सब कह रहे हैं कि भले आम आदमी पार्टी की 2-4 सीटें कम आयें, लेकिन सरकार आम आदमी पार्टी की ही बन रही है… मनीष सिसोदिया आम आदमी पार्टी की सरकार में फिर से उपमुख्यमंत्री बनेंगे.

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इतना ही नहीं  सिसोदिया के डिप्टी सीएम बनने से जंगपुरा के लोगों को होने वाले फायदे के बारे में अरविंद केजरीवाल समझाते हैं. सिसोदिया के डिप्टी सीएम बनने का मतलब, आप सब भी डिप्टी सीएम रहोगे… कोई अफसर अनदेखी नहीं कर सकेगा… एक फोन पर दौड़कर काम करेंगे अफसर… आप लोगों का विधायक अगर उपमुख्यमंत्री होगा, तो सारे अधिकारी फोन पर ही आपके काम कर देंगे. किसी अफसर की हिम्मत नहीं होगी, जो डिप्टी सीएम की विधानसभा के आदमी का फोन न उठाये. दरअसल कहा जा रहा है कि सिसोदिया की इस सीट पर हर हाल में जीताने की कोशिश हो रही है. इसी कारण अरविंद केजरीवाल अपने भावी मंत्रिमंडल के बारे में बता रहे हैं.

4-आंकड़े आम आदमी पार्टी के पक्ष में क्यों हैं

वरिष्ठ पत्रकार आशुतोष कहते हैं, जंगपुरा सीट पर बीजेपी कभी चुनाव नहीं जीती है. 2013 से पहले कांग्रेस चुनाव जीतती थी और 2013 के बाद आम आदमी पार्टी. वर्तमान में कांग्रेस के पास दिल्ली में एक भी सीट नहीं है और आप का बीजेपी से सीधा मुक़ाबला है. ऐसे में मनीष सिसोदिया के लिए जंगपुरा से ज़्यादा सुरक्षित कौन सी सीट हो सकती है. आशुतोष की बात में दम है. दरअसल पिछले तीन चुनावों से जंगपुरा में जिस तरह का वोटिंग ट्रेंड दिख रहा है उससे ऐसा नहीं लगता है कि सिसोदिया यहां से चुनाव हार  जाएंगे. पिछले तीनों चुनावों में जंगपुरा सीट से 50 प्रतिशत से अधिक वोट आम आदमी पार्टी को ही मिलते रहे हैं.

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