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महाराष्‍ट्र-झारखंड में केजरीवाल महज चुनाव प्रचार ही करेंगे या गैर-कांग्रेसी गोलबंदी भी? | Opinion

अरविंद केजरीवाल महाराष्ट्र और झारखंड विधानसभा चुनावों में INDIA ब्लॉक के उम्मीदवारों के लिए कैंपेन करेंगे. लेकिन, ये कैंपेन झारखंड में हेमंत सोरेन और महाराष्ट्र में उद्धव ठाकरे और शरद पवार के उम्मीदवारों तक ही सीमित है - मतलब, केजरीवाल का कैंपेन कांग्रेस उम्मीदवारों के लिए तय नहीं है.

क्या अरविंद केजरीवाल INDIA ब्लॉक में कांग्रेस के खिलाफ नई गुटबाजी कर रहे हैं? क्या अरविंद केजरीवाल INDIA ब्लॉक में कांग्रेस के खिलाफ नई गुटबाजी कर रहे हैं?
मृगांक शेखर
  • नई दिल्ली,
  • 25 अक्टूबर 2024,
  • अपडेटेड 1:25 PM IST

आम आदमी पार्टी न तो महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में हिस्सा ले रही है, न ही झारखंड विधानसभा चुनाव में, लेकिन अरविंद केजरीवाल दोनो ही राज्यों में INDIA ब्लॉक के लिए कैंपेन जरूर करेंगे. अरविंद केजरीवाल का ये कैंपेन भी लोकसभा चुनाव जैसा ही होगा, लेकिन दोनो में एक फर्क होगा, और ये बड़ा फर्क होगा.

लोकसभा चुनाव में अरविंद केजरीवाल ने इंडिया ब्लॉक के लिए कैंपेन किया था, लेकिन इस बार ऐसे लक्षण नजर आ रहे हैं जिससे मालूम होता है कि वो कांग्रेस उम्मीदवारों के लिए चुनाव प्रचार नहीं करने जा रहे हैं. लोकसभा चुनाव में अरविंद केजरीवाल ने दिल्ली में कांग्रेस उम्मीदवारों के लिए रोड शो किया था. 

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अरविंद केजरीवाल ने लोकसभा चुनाव में हेमंत सोरेन की पत्नी कल्पना सोरेन के साथ जमशेदपुर में संयुक्त रैली की थी, और झारखंड के लोगों से मुख्यमंत्री की गिरफ्तारी का बदला लेने की भी अपील की थी. दिल्ली ऐसी ही बातें वो अपने लिए कह रहे थे, अगर दिल्ली के लोगों ने इंडिया ब्लॉक को जीत का सेहरा पहना दिया तो उनको जेल नहीं जाना पड़ेगा. लेकिन अंतरिम जमानत की अवधि पूरी होते ही उनको जेल जाना पड़ा था. फिलहाल अरविंद केजरीवाल दिल्ली शराब नीति केस में जमानत पर छूटे हुए हैं. 

AAP नेता संजय सिंह के मुताबिक, अरविंद केजरीवाल पहले ही साफ कर चुके हैं कि इंडिया गठबंधन के उम्मीदवार झारखंड और महाराष्ट्र में जहां भी बुलाएंगे, वो प्रचार करने जरूर जाएंगे - सवाल ये है कि क्या ये बात कांग्रेस उम्मीदवारों पर भी लागू होता है?

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INDIA ब्लॉक के लिए केजरीवाल का कैंपेन

अंग्रेजी अखबार इंडियन एक्सप्रेस की AAP सूत्रों के हवाले से आई एक रिपोर्ट के मुताबिक, महाराष्ट्र के दो राजनीतिक दलों ने चुनाव प्रचार के लिए अरविंद केजरीवाल से संपर्क किया था, और वो इस बात के लिए तैयार हैं कि कुछ रैलियां जरूर करेंगे. ये रैलियां कब और कहां होंगी, अभी ये तय नहीं हो सका है.

अभी तक बस इतना ही बताया गया है कि अरविंद केजरीवाल इंडिया ब्लॉक के राजनैतिक दलों के लिए नवंबर में महाराष्ट्र और झारखंड विधानसभा चुनाव में प्रचार करेंगे. महाराष्ट्र में दिल्ली के पूर्व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के शिवसेना (उद्धव बालासाहेब ठाकरे) और एनसीपी (शरद चंद्र पवार) के उम्मीदवारों के लिए चुनाव प्रचार करने की बात कही जा रही है. वैसे ही झारखंड में अरविंद केजरीवाल झारखंड मुक्ति मोर्चा के उम्मीदवारों के लिए वोट मांगने जाएंगे. 

बड़ा सवाल ये है कि अरविंद केजरीवाल क्या कांग्रेस उम्मीदवारों के लिए चुनाव प्रचार नहीं करना चाहते? और इसीलिए एक कंडीशन रख दी है कि जो उम्मीदवार बुलाएंगे, उनके लिए वो चुनाव प्रचार करने जाएंगे. 

ये तस्वीर तो तभी साफ हो पाएगी, जब कोई कांग्रेस उम्मीदावर बुलाये, और अरविंद केजरीवाल उसके लिए वोट मांगने से इनकार कर दें - लेकिन ये सवाल यहीं खत्म नहीं हो जाता. 

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अगर अरविंद केजरीवाल महाराष्ट्र में तीन पार्टियों के लिए चुनाव कैंपेन की हामी भर चुके हैं, तो निश्चित तौर उन राजनीतिक दलों के नेताओं यानी हेमंत सोरेन, शरद पवार और उद्धव ठाकरे से ही बात हुई होगी. ऐसा तो हुआ नहीं होगा कि तीनों दलों के सभी उम्मीदवारों ने बारी बारी या अलग से अरविंद केजरीवाल को कैंपेन के लिए न्योता भेजा होगा.

क्या दिल्ली विधानसभा चुनाव के दौरान भी ऐसा ही नजारा देखने को मिलेगा?

केजरीवाल को कांग्रेस से परहेज क्यों है?

INDIA ब्लॉक के गठन में कांग्रेस और आम आदमी पार्टी दोनो की ही अपनी अपनी भूमिका है. विपक्षी गठबंधन की पहल बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की तरफ से हुई थी, लेकिन आगे बढ़ने से पहले उनको कांग्रेस की मंजूरी का इंतजार था. कांग्रेस की मंजूरी के बाद गठबंधन खड़ा तो हुआ ही, इंडिया नाम भी मिला. लेकिन, कांग्रेस के साथ आ जाने के बाद भी आम आदमी पार्टी की कमी महसूस की जा रही थी - और ये कमी भी तभी पूरी हो पाई जब दिल्ली सेवा बिल पर आम आदमी पार्टी को साथ देने की सार्वजनिक घोषणा कांग्रेस ने की. 

लेकिन, सब कुछ के बावजूद कांग्रेस और केजरीवाल के रिश्ते कभी पूरी तरह ठीक नहीं हो पाये. लोकसभा चुनाव के दौरान भी ऐसे कई वाकये हुए जब दोनो दलों के नेता मंच शेयर करने से बचते रहे. 

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लखनऊ में अखिलेश यादव के साथ प्रेस कांफ्रेंस में अरविंद केजरीवाल और मल्लिकार्जुन खड़गे बारी बारी ही शामिल हुए, एक साथ नहीं - और दिल्ली में भी भले ही अरविंद केजरीवाल ने कांग्रेस उम्मीदवारों के लिए रोड शो किये, लेकिन राहुल गांधी, प्रियंका गांधी या मल्लिकार्जुन खड़गे के साथ तो एक भी रोड शो नहीं किया. 

क्या अरविंद केजरीवाल अब कांग्रेस को किनारे कर इंडिया ब्लॉक में नई गुटबाजी कर रहे हैं? 2021 के बंगाल विधानसभा चुनाव के बाद ममता बनर्जी भी तो ऐसे ही प्रयास कर रही थीं. तब ममता बनर्जी भी शरद पवार और उद्धव ठाकरे के साथ थीं, अब अरविंद केजरीवाल भी हैं, लेकिन कांग्रेस दरकिनार होती लग रही है. 

लोकसभा चुनाव में पहले के मुकाबले ज्यादा सीटें जीतने के बाद राहुल गांधी का कद काफी बढ़ गया है, और अब तो वो लोकसभा में विपक्ष के नेता भी बन चुके हैं - और इसके कारण प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को चुनौती देने के मामले में राहुल गांधी से अरविंद केजरीवाल पिछड़े हुए नजर आ रहे हैं. 

तो क्या अरविंद केजरीवाल अब नई तरकीब से खुद को राहुल गांधी की बराबरी में खड़ा करना चाहते हैं?
 

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