
शराब घोटाले में ईडी दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरवाल को गिरफ्तार कर चुकी है. सोमवार को ईडी कोर्ट ने केजरीवाल को 15 दिन के लिए न्यायिक हिरासत में जेल भेज दिया. सोमवार को कोर्ट में हुई जिरह के दौरान ईडी की ओर से से पेश एएसजी एस राजू ने बताया था कि अरविंद केजरीवाल का कहना है कि गिरफ्तार आरोपी विजय नायर आतिशी और सौरभ भारद्वाज को रिपोर्ट करते रहे हैं.इस बयान के बाद से राजनीतिक गलियारों में यह बात तैरने लगी है कि अब सौरभ भारद्वाज और आतिशी का नंबर जेल जाने के लिए आ गया है. शायद यही कारण है कि आतिशी और सौरभ ने मंगलवार को पीसी करके अपनी गिरफ्तारी की आशंका दुहराई है. इन सबके बीच एक आश्चर्यजनक बात और हुई है.
अरविंद केजरीवाल ने जेल में मिलने वाले मुलाकातियों की जो सूची दी है उससे संदेह के बादल और गहरे हो गए हैं. केजरीवाल की सूची के अनुसार जिन लोगों के नाम हैं उनमें आतिशी और सौरभ के नाम नहीं हैं. सामान्यतः मुलाकातियों की सूची में केजरीवाल मंत्रीमंडल के इन दोनों महत्वपूर्ण नामों को जरूर होना चाहिए था पर ऐसा नहीं हुआ. केजरीवाल 10 लोगों का नाम दे सकते थे पर उन्होंने 6 लोगों का ही नाम दिया है. अभी भी उनके पास 4 नाम और देने का स्पेस बचा हुआ है . सवाल यह है कि अगर और नाम दे सकते थे केजरीवाल, तो अपने सहयोगियों के नाम को अवॉयड क्यों कर रहे हैं? निश्चित है कि कुछ और बात तो जरूर है. आइए देखते हैं कि वे कौन से कारण हो सकते हैं कि अरविंद केजरीवाल अपने सबसे खास इन दोनों नाम से दूर भाग रहे हैं.
1-जिनसे जेल में भी मिलना चाहते हैं केजरीवाल पहले उन्हें जान लीजिए
जेल के मैनुअल के अनुसार अरविंद केजरीवाल के लेवल के कैदी अपने मुलाकातियों की सूची में 10 लोगों के नाम दे सकते हैं.नियम यह भी कहता है कि कैदी द्वारा जो भी नाम दिए जाते हैं, वह उन्हें अपने हिसाब से बाद में बदलवा भी सकता है. फिलहाल अभी अरविंद केजरीवाल ने जिन 6 लोगों के नाम दिए हैं वो निम्न हैं.
1-पत्नी सुनीता
2-बेटा पुलकित
3-बेटी हर्षिता
4-दोस्त संदीप पाठक
5-पीए विभव कुमार
6-एक और दोस्त
केजरीवाल जेल में अपनी पत्नी और दोनों बच्चों के अलावा जिन लोगों से मिलना चाहते हैं उनमें सिर्फ संदीप पाठक का नाम ही सामने आया है. कहा जा रहा है कि एक नाम किसी और दोस्त का है. हो सकता है कि छठां नाम किसी सीए या वकील का हो. क्योंकि इस समय अरविंद केजरीवाल को सबसे अधिक जरूरत इन दोनों प्रफेशन के लोगों की हो सकती है. मित्र के नाम पर या पार्टी के नाम पर सिर्फ संदीप पाठक का नाम ही देना कई तरह के संदेह के बादल खड़ा कर रहा है. ये सही है कि संदीप पाठक अरविंद केजरीवाल के बहुत खास रहे हैं. सरकार और पार्टी की नीतियां बनाने , सरकार में किसकों कौन सा विभाग मिलेगा आदि में पाठक की बड़ी भूमिका रही है. पंजाब से राज्यभा सदस्य संदीप पाठक आईआईटियन हैं .
2- आतिशी और सौरभ की क्यों जरूरत थी पर उन्हें नजरअंदाज किया गया
दिल्ली सरकार में अरविंद केजरीवाल ने अपने पास कोई विभाग नहीं रखा है. पहले सबसे महत्वपूर्ण विभाग अरविंद केजरीवाल ने मनीष सिसोदिया और सत्येंद्र जैन को दे रखे थे. इन दोनों के जेल जाने के बाद अरविंद ने सबसे अधिक भरोसा आतिशी और सौरभ भारद्वाज पर जताया. यही कारण रहा है कि सबसे अधिक विभग (करीब 14) आतिशी के जिम्मे आ गए. दूसरे नंबर पर सौरभ भारद्वाज रहे. आतिशी के बाद सबसे अधिक विभाग सौरभ के पास ही है. जाहिर है कि जेल से अगर सरकार चलाना है तो सबसे अधिक जरूरत इन्हीं दोनों की थी. कायदे से तो अरविंद केजरीवाल को इन दोनों का नाम मुलाकातियों की सूची में जरूर डालना चाहिए था. पर ऐसा उन्होंने नहीं किया. जेल से सरकार भी चलाएंगे और अपने खास मंत्रियों से जेल में मिलेंगे भी नहीं. तो आखिर केजरीवाल चाहते हैं क्या हैं?
3-क्या इन दोनों से पीछा छुड़ा रहे हैं सीएम
दिल्ली के राजनीतिक गलियारों में ऐसी चर्चा आम है कि आतिशी और सौरभ का अब जेल जाना तय है. मंगलवार सुबह पहले आतिशी ने और उसके बाद सौरभ भारद्वाज ने बारी बारी पीसी करके यह जानकारी दी कि केंद्र सरकार उन दोनों को गिरफ्तार करने जा रही है. आतिशी ने दावा किया कि उनपर बीजेपी जॉइन करने का दबाव बनाया गया. इनकार करने पर उन्हें जेल भेजने की धमकी दी गई. क्या यही कारण है कि अरविंद केजरीवाल इन दोनों से पीछा छुड़ा रहे हैं. क्या वास्तव में केजरीवाल को पता है कि ये दोनों भ्रष्टाचार में शामिल हैं. केजरीवाल के सबसे करीबी इस समय संदीप पाठक हैं. यही कारण है कि उन्हें जेल में मिलने का अधिकार दिया है. संदीप पाठक का एक्स हैंडल पर पिछले कुछ दिनों की गतिविधियां भी संदेह के बादल खड़ी कर रही हैं. संदीप पाठक ने राम लीला मैदान पर रैली के दिन ढेर सारे ट्वीट किए हैं. 31 मार्च के बाद सीधे वो आज टीएमसी सांसद डेरेक ओ ब्रायन और आप एमएलए राजेश गुप्ता की पोस्ट को रिपोस्ट किए हैं. हालांकि आज ही आतिशी और सौरभ ने भी पीसी की है पर उनकी पीसी को न उन्होंने रिपोस्ट किया है और न ही लाइक किया है.
4- क्या सुनीता का रास्ता क्लियर कर रहे हैं?
तो क्या यह मान लिया जाए कि अब सीएम अरविंद केजरीवाल सुनीता केजरीवाल के सीएम बनाने का रास्ता क्वीयर कर रहे हैं. पर दिल्ली विधानसभा में अरविंद केजरीवाल और आम आदमी पार्टी के पास इतना बड़ा बहुमत है कि वो चाहे किसी को सीएम बनाएं कोई अड़चन नहीं आनी चाहिए. पार्टी में अभी तक किसी भी प्रकार की ऐसी गुटबंदी भी नहीं है जो अरविंद केजरीवाल के लिए मुश्किल खड़ी कर सके. सौरभ या आतिशी चाहकर भी सुनीता केजरीवाल के रास्ते का रोड़ा नहीं बन सकते हैं. अरविंद केजरीवाल इस मामले में शुरू से ही सावधान रहे हैं. जिस किसी से भी उन्हें इस बात की आशंका थी कि वो भविष्य में उनके लिए खतरा बन सकता है उसका रास्ता उन्होंने बहुत पहले ही क्लोज कर दिया था. इंडिया गठबंधन ने भी सुनीता केजरीवाल को उनका उत्तराधिकारी माना है. आम आदमी पार्टी के नेता और विधायक मंगलवार दोपहर जिस तरह अरविंद केजरीवाल के आवास पर सुनीता केजरीवाल से मिलने पहुंचे हैं उसे देखकर कहीं से भी नहीं लगता है कि पार्टी में किसी तरह का असंतोष हो सकता है. हालांकि अभी अरविंद केजरीवाल से रिजाइन न करने की ही डिमाड हो रही है. किसी भी तरफ से सुनीता केजरीवाल के नाम की चर्चा नहीं है.