
बागेश्वर धाम पीठाधीश्वर पंडित धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री इन दिनों बिहार के पांच दिवसीय दौरे पर हैं. बागेश्वर सरकार ने पहले गोपालगंज में और फिर बांका पहुंचकर हिंदू राष्ट्र की बात कुछ इस तरह की है कि बिहार में ही नहीं पूरे उत्तर भारत की राजनीति गर्म हो गई है. दरअसल इसी साल अक्तूबर या नवंबर में बिहार विधानसभा के चुनाव होने हैं. जाहिर है कि बाबा के इन बयानों के चलते बिहार विपक्ष के नेताओं को लग रहा है कि वे बीजेपी के इशारे पर काम कर रहे हैं. बागेश्वर सरकार अपनी हर सभा में हिंदुओं से कहते हैं कि वो जात-पात के भेदभाव वाली दीवार को मिटा डालें. वो अपने भक्तों को हिंदू राष्ट्र हासिल करने का प्रण भी दिलाते हैं.जाहिर है विपक्ष को बाबा की ये बातें नागवार लग रही हैं. पर बाबा के इस बात में कितना दम है कि हिंदू राष्ट्र की मांग सबसे पहले बिहार से उठेगी? आइए देखते हैं.
क्या बाबा बीजेपी के एजेंडे पर काम कर रहे हैं
बिहार में इस साल चुनावी साल है जाहिर है कि हर बात पर राजनीति केंद्र में होगी.बाबा के बिहार दौरे पर राजनीति अपने चरम पर पहुंच गई है. उनके बयानों को लेकर आरजेडी ने तो उनकी गिरफ्तारी तक की मांग की है. बाबा बागेश्वर कहतें हैं कि मैं पहली बार बिहार नहीं आया हूं. पहले भी आता रहा हूं. मेरे आने से कुछ लोगों को मिर्ची लग रही है, तो अब चुनाव के बाद आउंगा. उन्होंने कहा कि मैं किसी पार्टी से नहीं हूं कि राजनीति की बात करूंगा में हिंदू और हिंदुओं की बात करता हूं.
दरअसल बाबा अपने को राजनीति से अलग रखने की बात तो करते हैं पर जिस तरह की अपील अपने भक्तों से करते हैं उनसे साफ तौर पर बीजेपी को फायदा मिलता दिख रहा है . बाबा अपने भक्तों से कहते हैं कि जाति पाति की दीवार और भेद भाव को मिटा डालो. मंदिरों के बाहर लिखा रहता है कि जूते चप्पल बाहर उतारकर आओ, लेकिन में चाहता हूं कि मंदिरों के बाहर लिखा रहे कि जाति पाति को भुला कर अंदर आओ. आप सभी कहो हम सब हिंदू एक हैं. मैं हिंदू हूं, सिर्फ हिंदुओं की बात करूंगा. जाहिर है बीजेपी के लिए सबसे बड़ी मुश्किल यही है कि बिहार में जाति की दीवार इतनी बड़ी हो जाती है कि वो हिंदू शब्द से ऊपर उठ जाती है. इसीलिए ऐसा लगता है कि बाबा यहां सबको सचेत कर रहे हैं कि अगर हिंदू एक नहीं हुए तो बीजेपी जैसी पार्टियों की दुर्गति के जिम्मेदार आप होंगे. बाबा खुलकर कहते हैं कि भारत पर पहला अधिकार हिंदुओं का है. इसलिए बीजेपी विरोधियों को लगता है कि धीरेंद्र शास्त्री बीजेपी के लिए हिंदुओं के बीच अलख जगाने बिहार आए हुए हैं.
बिहार की डेमोग्रेफी इसका है सबसे बड़ा कारण
बिहार की डेमोग्रेफी अन्य राज्यों की तुलना में ऐसी है कि यहां बीजेपी के लिए अभी तक सबसे बड़ी पार्टी बनने का स्कोप नहीं बन सका. ऐसा समझा जाता है कि हिंदी हर्टलैंड के लोगों पर बीजेपी का सिक्का चलता है. पर इसी हर्टलैंड का एक हिस्सा बिहार भी है. पर यहां बीजेपी नेताओं की दाल अभी तक पूर्णतया गल नहीं सकी है. बिहार में भारतीय जनता पार्टी जिस तरह काम कर रही है उसके चलते इसमें कोई दो राय नहीं हो सकती है कि हिंदू राष्ट्र के नाम पर कोई एक्सपेरिमेंट हो रहा हो. बिहार की डेमोग्रेफी में मुसलमानों की संख्या न इतनी ज्यादा है कि हिंदू राष्ट्र के नाम पर बीजेपी के खिलाफ माहौल बन जाए और न इतनी कम है कि ध्रुवीकरण वाली राजनीति अप्रभावी हो जाए. इसका मतलब है कि बिहार में मुस्लिम आबादी का अनुपात न हरियाणा जैसा बेहद कम है और न बंगाल जैसा बहुत ज्यादा है.
एक बात और है बिहार की जनसंख्या में ओबीसी और ईबीसी के वोटों पर विपक्ष विशेषकर आरजेडी की पकड़ बहुत अच्छी है. मंडल से कमंडल ने पहले भी मोर्चा लिया है और सफल रहा है. बिहार में अगर हिंदुओं को एक नहीं किया गया तो बीजेपी की स्थिति पहले जैसी ही रह जाएगी. भारतीय जनता पार्टी को बिहार में सबसे बड़ी पार्टी का दर्जा लेना है तो कुछ ऐसा करना होगा जो अब तक न हुआ है. हिंदू राष्ट्र की बात को अभी तक खुलकर किसी भी राज्य के चुनाव में बीजेपी ने आगे नहीं रखा है. बिहार की डेमोग्रेफी ऐसी है कि यह मुद्दा यहां कारगर हो सकता है. हो सकता है कि बिहार में हिंदू राष्ट्र के मुद्दे का एसिट टेस्ट कर रही हो बीजेपी. बिहार में अगर यह मुद्दा काम कर जाता है तो बीजेपी दूसरे राज्यों और फिर देश भर के लिए मुद्दा बनाए.
बिहार में सीता माता का मंदिर
गुजरात में मिथिला महोत्सव में पहुंचे गृहमंत्री अमित शाह ने सोमवार को कहा कि जल्द ही मिथिला में माता सीता का मंदिर बनाया जाएगा. जाहिर है कि बीजेपी हिंदुत्व का कोई भी कार्ड ऐसा नहीं है जिसका इस्तेमाल बिहार में नहीं करना चाहती है. हालांकि अमित शाह के ऐलान से पहले ही नीतीश कुमार और तेजस्वी यादव की सरकार ने सीता माता का मंदिर बनवाने का न केवल ऐलान किया था बल्कि दिसंबर 2023 में इस मंदिर का नीतीश कुमार ने शिलान्यास भी कर दिया था. पर हैरानी है कि तेजस्वी यादव की तरफ ये बयान अब तक नहीं आया है कि उनके सरकार में रहते हुए सीता माता का मंदिर बनवाने का फैसला लिया गया था. जाहिर है कि अब तेजस्वी को सीता माता का मंदिर राजनीतिक रूप से नुकसान पहुंचा सकता है. इसलिए वो कभी भी इस मंदिर का श्रेय लेना शायद न चाहें.
होली के बहाने ध्रुवीकरण की कोशिश
बिहार में इस साल होली और रमजान एक ही समय होने के चलते कानून-व्यवस्था एक बड़ी चुनौती हो गया है. इसी बीच बीजेपी विधायक हरिभूषण ठाकुर बचौल के बयान ने विवाद खड़ा कर दिया है.उन्होंने मुस्लिम समुदाय को होली के दिन घर में रहने की सलाह दी है. जाहिर है कि राजनीतिक बवाल तो होना ही था. जन सुराज पार्टी के नेता प्रशांत किशोर ने विधायक के बयान पर कड़ी प्रतिक्रिया दी है. उन्होंने बिहार की कानून-व्यवस्था की तुलना 'जंगलराज' से भी बदतर स्थिति से कर डाली. बचौल कहते हैं कि मुसलमानों को होली के दिन घर से बाहर नहीं निकलना चाहिएृ. अगर बाहर निकलना जरूरी हो, तो उन्हें 'कलेजा बड़ा' रखना होगा, क्योंकि होली के दौरान कोई रंग लग सकता है जिसे उन्हें सहन करना चाहिए. उन्होंने आगे कहा, 'जुमा साल में 52 बार आता है, लेकिन होली सिर्फ एक बार. मुसलमान रंग-गुलाल को बुरा मानते हैं, तो उन्हें घर में ही रहना चाहिए. अगर बाहर निकलें, तो रंग सहन करें. जाहिर है कि इस तरह के बयान के बाद अगर थोड़ी भी बवाल होता है तो बीजेपी के पक्ष में माहौल बनेगा.
बिहार से सटे उत्तर प्रदेश के बलिया के एक बीजेपी विधायक ने भी कुछ इस तरह की ही बातें की हैं. इस विधायक ने तो अस्पतालों में मुस्लिम लोगों के लिए अलग वॉर्ड खोलने की ही मांग कर दी है. इनका तर्क है मुस्लिम समुदाय को हिंदू त्योहारों से दिक्कत होती है इसलिए जरूरी है कि इनके लिए अस्पताल भी अलग बनाए जाएं. जाहिर है अचानक इस तरह के बयानों की बाढ़ आ गई है.