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रमेश बिधूड़ी के बयानों को लेकर बीजेपी में क्यों कोई खास चिंता नहीं दिख रही? । Opinion

भारतीय जनता पार्टी नेता रमेश बिधूड़ी के बिगड़े बयानों को दिल्ली विधानसभा चुनावों में मुद्दा बनाने की कोशिश हो रही है. पर बीजेपी इससे निश्चिंत दिख रही है. आखिर भारतीय जनता पार्टी क्यों इसे गंभीरता से नहीं ले रही है?

रमेश बिधूड़ी का बयान का दिल्ली चुनाव में मुद्दा बन गया रमेश बिधूड़ी का बयान का दिल्ली चुनाव में मुद्दा बन गया
संयम श्रीवास्तव
  • नई दिल्ली,
  • 07 जनवरी 2025,
  • अपडेटेड 4:51 PM IST

दिल्ली विधानसभा चुनाव से पहले विवादित बयानबाजी को लेकर बढ़त बनाने की लगातार कोशिश जारी है. कालकाजी विधानसभा सीट से बीजेपी के उम्मीदवार रमेश बिधूड़ी ने बीते दिन एक के बाद एक विवादित बातें की हैं. जाहिर है कि विपक्ष को बढ़त बनाने का उन्होंने मौका दे दिया है. उनके बयानों से दिल्ली की महिला वोटर्स के नाराज होने का खतरा है. पर भारतीय जनता पार्टी इसके बाद भी रमेश बिधुड़ी को लेकर कुछ ऐसा एक्शन करते नहीं दिखी जिसे सामान्य से अधिक कहा जा सके. रमेश बिधूड़ी ने जरूर इन बयानों पर खेद जताया पर माफी मांगने से इनकार कर दिया. इसी तरह बीजेपी ने भी उनके बयानों को गलत बताया पर उल्टे आतिशी से सवाल दाग दिया. प्रियंका गांधी के मामले में भी पार्टी और रमेश बिधूड़ी का रवैया कुछ ऐसा ही रहा. हालांकि, बाद में बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा और अन्य पार्टी नेताओं को टैग करके बिधूड़ी ने एक्स पर माफी मांगी थी. कुल मिलाकर ऐसा लगता है कि बीजेपी को रमेश बिधूड़ी की बयानबाजी से कोई फर्क नहीं पड़ रहा है. आइये देखते हैं कि वास्तव में भारतीय जनता पार्टी क्यों ऐसा कर रही है?  

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रमेश बिधूड़ी के बयान की बीजेपी ने निंदा की, साथ में बचाव भी

कालकाजी विधानसभा सीट से बीजेपी के उम्मीदवार रमेश बिधूड़ी ने इस सप्ताह एक के बाद एक विवादित बातें कही हैं, पर वो उसे विवादित नहीं मानते हैं. उनके ऊपर आरोप है कि कांग्रेस महासचिव और सांसद प्रियंका गांधी को लेकर भी उन्होंने अपमानजनक बातें कहीं.  दिल्ली की मुख्यमंत्री आतिशी को लेकर भी अपमानजनक बयान दिए और कहा, आतिशी ने तो अपना बाप ही बदल लिया. वह इतने पर नहीं रुके और आगे उनके पिता को अफजल गुरु का समर्थक बताया था. आम आदमी पार्टी को बढ़िया मौका मिल गया बीजेपी पर बढ़त बनाने का. सीएम आतिशी ने पीसी करके भावुक हो गईं. हालांकि बिधूड़ी के बयान पर बीजेपी ने भी सफाई पेश की है. आतिशी पर कई गई टिप्पणी पर आम आदमी पार्टी इस तरह बीजेपी पर आक्रामक हुई कि बिधूड़ी का प्रियंका गांधी पर की गई टिप्पणी की बात ही दब गई. 

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बिधूड़ी के बयान पर बीजेपी ने भी सफाई पेश की है. दिल्ली बीजेपी प्रवक्ता प्रवीण शंकर कपूर ने कहा कि सभी राजनीतिक नेताओं को व्यक्तिगत, लिंग संबंधित या परिवार संबंधित टिप्पणियों से बचना चाहिए, खासकर दिल्ली की मुख्यमंत्री के परिवार के खिलाफ. उन्होंने कहा कि पूर्व सांसद रमेश बिधूड़ी से माफी मांगने की बात करते समय, आतिशी मार्लेना को खुद इस मुद्दे पर विचार करना चाहिए.एक व्यक्ति या बुजुर्ग के रूप में हम सभी आतिशी मार्लेना के पिता का सम्मान करते हैं. लेकिन मार्लेना एक मुख्यमंत्री हैं इसलिए दिल्ली के लोग चाहते हैं कि वह एक बार सबके सामने आकर अपने पिता द्वारा अफजल गुरु के समर्थन की निंदा करें या उनके इस कृत्य को सही ठहराएं. जाहिर है कि पार्टी ने रमेश बिधूड़ी के कृत्य के लिए उनकी तरफ से माफी नहीं मांग रही और न ही बिधूड़ी से माफी मांगने के लिए कह रही है. उल्टे भारतीय जनता पार्टी आतिशी से सवाल ही दाग रही है. 

आतिशी के पिता के बहाने बीजेपी अफजल गुरु वाला किस्सा बता रही 

दरअसल आतिशी जितना अपने किस्से को लेकर मीडिया में आएंगी उतना ही गड़े मुर्दे उखड़ेंगे. रमेश बिधूड़ी ने जो कहा उसे संसदीय गरिमा के खिलाफ माना जाना चाहिए. पर इसी गरिमा के चलते जनता के सामने बहुत सी सच्चाई नहीं आ पाती है. बीजेपी के मजे इसलिए हैं कि इसी बहाने आम लोगों के सामने बहुत सी सचाई आ रही है. दरअसल आतिशी को आतिशी मर्लेना के नाम से ही लोग जानते रहे हैं. राजनीति में आने के बाद अचानक वो आतिशी लिखने लगीं. हद तो तब हो गई जब सीएम बनने के बाद अचानक उन्होंने कई जगह अपना नाम आतिशी सिंह लिखा. यह बिल्कुल वैसे ही था जैसे पत्रकार आशुतोष जब आम आदमी पार्टी के टिकट पर चुनाव लड़ रहे थे उन्होंने कुछ दिन आशुतोष गुप्ता लिखा. हो सकता है कि चुनाव जीत जाते तो या राजनीति में बने रहते तो अपने नाम के आगे गुप्ता ही लिख रहे होते. पर अब वह केवल आशुतोष ही लिखते हैं. 

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दरअसल कोई भी अपने नाम के आगे कुछ भी लिखे ये उसका पर्सनल मामला होता है. पर राजनीतिज्ञ जब अपने नाम के आगे कुछ लिखना शुरू करता है तो जाहिर है कि जनता ये समझती है कि जातिगत लाभ लेने की कोशिश की जा रही है. 
इसी तरह आतिशी अपने नाम पर हुई बयानबाजी और उसमें पिता का नाम घसीटे जाने का मुद्दा जितना उठाएंगी उतना ही बीजेपी को मौका मिल रहा है कि वो अपने माता पिता के बारे में बताएं. अब आतिशी भले ही अपने पिता और माता के बारे में न बताएं पर मीडिया में बार-बार अफजल गुरु प्रकरण की चर्चा होगी. बीजेपी तो चाहती ही है कि पूरे देश की जनता के सामने ये बात आए कि अफजल गुरु को बचाने के लिए किस तरह दिल्ली के मुख्यमंत्री के पैरंट्स सक्रिय थे.

गुर्जर वोटर्स पर शिकंजा कसने का मौका

 राजधानी में 364 गांवों में से 225 गांवों में जाट समुदाय का दबदबा है जबकि 70 गांवों में गुर्जरों का बोलबाला है. अनुमान के मुताबिक राजधानी में कुल वोटरों में जाटों की आबादी 8 से 10 फीसदी और गुर्जरों की आबादी 4 से सात प्रतिशत तक है. बदरपुर, तुगलकाबाद, संगम विहार, घोंडा, गोकुलपुरी, करावल नगर व ओखला में गुर्जर समुदाय के वोटर काफी मायने रखते हैं. दूसरी बात यह भी है कि गुर्जर वोट राजनीतिक रूप से काफी जागरूक हैं और दूसरी जाति के वोटरों को भी प्रभावित करते हैं. रमेश बिधूड़ी गुर्जर जाति से आते हैं. जाहिर है कि रमेश बिधूड़ी के खिलाफ जितना आम आदमी पार्टी और कांग्रेस पीछे पड़ेगी, गुर्जर वोट उतना ही बीजेपी से चिपकती जाएगी. सीधे-सीधे यह बीजेपी के ध्रुवीकरण का फॉर्मूला है.

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कालका जी विधानसभा क्षेत्र से रमेश बिधूड़ी दिल्ली की मुख्यमंत्री आतिशी के खिलाफ चुनाव लड़ रहे हैं. इस बयानबाजी का असर यहां सबसे ज्यादा पड़ने की संभावना है. अगर यहां से बिधूड़ी चुनाव जीत जाते हैं तो यह मान लिया जाएगा कि बीजेपी की रणनीति सही थी. शायद यही कारण है कि बीजेपी इस मुद्दे पर सेफ गेम खेल रही है . अभी तक रमेश बिधूड़ी के खिलाफ एक्शन नहीं लिया गया है. पिछली बार जब संसद में रमेश बिधूड़ी ने दानिश अली के खिलाफ बोला था तो उनका टिकट कट गया था. पर दानिश अली के बारे में इतनी चर्चा हुई कि वो कांग्रेस के टिकट पर तब लोकसभा चुनाव हार गए जब उत्तर प्रदेश में बीजेपी विरोधी हवा चल रही थी. दरअसल चर्चा में आने के बाद दानिश के देश विरोधी कामों पर इतनी चर्चा हुई कि जनता की नजर से वो उतर गए. बीजेपी को उम्मीद है कि आतिशी के बारे में भी कुछ ऐसा ही होगा.

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