
आज सोशल मीडिया पर सबसे बड़ी हलचल पंजाबी सिंगर और बॉलीवुड एक्टर दिलजीत दोसांझ के पीएम नरेंद्र मोदी के आवास पर पहुंचने को लेकर है. एक्स पर देश के लोग दो भागों में बंटे हुए हैं. एक तरफ मोदी समर्थक तो दूसरे हैं मोदी विरोधी. जो खुद को लिबरल समझते हैं उन्हें मोदी की तारीफ करने वाले लोग मोदी भक्त नजर आते हैं. पर बुधवार को 2025 के पहले दिन दिलजीत और पीएम मोदी का गले लगना दोनों ही पक्षों को निराश कर गया.
किसान आंदोलन के समय दिलजीत मोदी सरकार के मुखर विरोधी बन गए थे. बॉलीवुड अभिनेत्री और अब बीजेपी सांसद बन चुकीं कंगना रनौत से हुई उनकी बहस को आज भी याद किया जाता है. बीच में एक ऐसा वक्त भी आया जब कुछ दक्षिणपंथी ट्वीटर हैंडल्स ने उन्हें खालिस्तानी और डीप स्टेट का एजेंट तक कहा. छह महीने पहले वे अपने कनाडा टूर के दौरान जस्टिन ट्रूडो के भी गले लगे. पर अचानक आज उनके पीएम के घर पहुंचने से उनके समर्थको को भी धक्का लगा है. कि दिलजीत का हृदय परिवर्तन कैसे हो गया? इधर मोदी समर्थकों में भी बेचैनी थी यह जानने की कि उन्हें दिलजीत को मुलाकात के लिए वक्त देने की क्या जरूरत थी?
1-दिलजीत के लिए फायदे ही फायदे हैं
फिलहाल दिलजीत के लिए तो हर तरह से फायदे ही फायदे हैं. ट्वीटर पर खुद को राष्ट्रभक्त कहने वाले हैंडल्स के ग्रुप किसी भी फिल्म को हिट करवाने और फ्लॉप तक करवाने की हैसियत रखते हैं. जाहिर है कि अब दिलजीत को भी इनका सपोर्ट मिलेगा. इसमें कोई दो राय नहीं हो सकती कि दिलजीत का शो तमाम विरोधों के बावजूद पूरे देश में हिट रहा है. पर अगर थोड़ा और समर्थन बढ़ता है तो इसमें बुराई क्या है. इसके साथ ही कौन नहीं चाहता सरकार उनके साथ हो. सरकार के साथ होने के तमाम और भी फायदे होते हैं.जिसमें इनकम टैक्स से लेकर स्थानीय प्रशासन तक का सहयोग मिलना होता है.
स्वतंत्र पत्रकार मनदीप पुनिया लिखते हैं कि दिलजीत दोसांझ और सोनाली सिंह (दिलजीत की पीआर हेड) पंजाब और पंजाबियत को पर्चेजिंग पावर वाली मिडल क्लास में बेचकर पैसे कमाने निकले हैं और उसके लिए सोनाली सिंह ने दिलजीत को समझा दिया है कि सलमान ख़ान हो या अमिताभ बच्चन - कोई मोदी जी के साथ पतंग उड़ाता है तो कोई लोगों को गुजरात लेकर जाता है. दिलजीत को राजू हिरानी वाला किस्सा भी सुनाया गया होगा. बस फिर आगे के किस्से का आप हिसाब लगा लो.
2-तेलंगाना और पंजाब में सहयोग न मिलने का भी हो सकता है कारण
तेलंगाना में कांग्रेस की सरकार है और इसी तरह पंजाब में आम आदमी पार्टी की सरकार है. इन दोनों ही प्रदेशों में पिछले दिनों दिलजीत दोसांझ के शो हुए हैं. हैरानी की बात ये भी रही है कि तेलंगाना और पंजाब में दिलजीत के शो के साथ स्थानीय सरकारों ने सहयोग तो नहीं ही दिया उल्टे टंगड़ी भी भिड़ाई गई है. जबकि ठीक इसके उलट लखनऊ, इंदौर, मुंबई और गोहाटी आदि प्रदेशों में जहां बीजेपी की सरकार है वहां कोई विवाद भी नहीं हुआ और न ही उनके खिलाफ कोई मामला ही दर्ज हुआ है. जबकि सभी जानते हैं कि दिलजीत का दिल बीजेपी विरोधी पार्टियों के लिए धड़कता रहा है. दिलजीत समझ गए हैं कि सबसे बढ़िया तो बीजेपी ही है, तो क्यों न अब खुलकर खेलें.
3-हर बड़ा पेड़ फल लगने के बाद झुकने लगता है
जैसे पेड़ बड़ा होते ही झुकने लगता है उसी तरह कलाकारों के लिए बड़ा होते ही झुकना उनकी मजबूरी हो जाती है. जितने फल लगते हैं उनकी रखवाली, अपनी बुलंदी को बचाए रखने के लिए सत्ता से नजदीकी जरूरी हो जाती है.
आम तौर पर जब तक कोई कलाकार छोटा होता है वो जो मन में आता है बोलने के लिए स्वतंत्र होता है. पर बड़ा कलाकार बनते ही उसके हित बड़े हो जाते हैं. यही कारण रहा है कि शाहरुख खान और करण जौहर जैसे लोग मोदी की तारीफ करने लगे. मोदी के कार्यक्रमों में शिरकत करते हैं और मौके बेमौके उनकी हां में हां मिलाने लगे हैं. कभी राजीव शुक्ला के माध्यम से उनकी पहुंच सीधे प्रियंका गांधी तक होती थी. अमिताभ बच्चन तो पहले ही पीएम मोदी के साथ जुड़े हुए है.
मनदीप पूनिया लिखते हैं कि, 'हालांकि मैं दिलजीत के मैटर में कोई ट्वीट नहीं करना चाहता था क्योंकि उनका पीआर देख रही सोनाली सिंह के बीजेपी से बहुत गहरे रिश्ते हैं. वह नेगेटिव पीआर के ज़रिए दिलजीत को पर्चेजिंग पावर वाली शहरी लिबरल जनता के बीच हिट करने में लगी हुई है. दिलजीत बीजेपी के बड़े नेताओं के सामने नतमस्तक होते हैं और कंगना रनौत टाइप नेताओं से पंगे लेते हैं ताकि उनको स्पेस मिल सके. यह सब सोनाली सिंह के पीआर का हिस्सा है. सोनाली सिंह दिलजीत के घटिया पीआर के चक्कर में राइट विंग से पंजाब और सिक्खों के प्रति नफ़रत परोसवा रही है. यह बड़ा अजीब है वैसे..'
दिलजीत के गाने काम्प्लेक्स भी नहीं हैं. बिल्कुल सपाट हैं, जिनमें वह खुद की ही तारीफ़ करते रहते हैं. आइडेंटिटी क्राइसिस में फंसे हमारे यूथ को ऐसे गाने इसलिए ही अच्छे लगते हैं, जिनमें वह खुद को हीरो की तरह महसूस कर सकें. यह इस बात का प्रूफ भी है कि इस जेनरेशन के नौजवानों की औसत बुद्धि हमारी पिछली पीढ़ी से कम है.
4-दिलजीत को भी समझ में आ गया है कि विरोध करने वाले खुद दिशाहीन हैं
दिलजीत किसान आंदोलन से बहुत गहराई से जुड़े रहे हैं. किसान आंदोलन ने जिस तरह पंजाब में बंद आयोजित किया गया है उससे तमाम लोग नाराज हैं.लगातार एक साल से ऊपर हो गए रास्ते बंद होने के चलते पूरा राज्य की अर्थव्यवस्था चौपट हो रही है. तमाम कारखानों का मॉल देश के दूसरे हिस्से में सप्लाई करने में दिक्कत आ रही है.कांग्रेस हो या विपक्ष की कोई भी पार्टी किसानों की मांग को लेकर गंभीर नहीं है.