Advertisement

राम मंदिर पर धन्‍यवाद प्रस्‍ताव का विरोध करने वाले 14 सपा विधायकों के नाम सार्वजनिक क्‍यों करना चाहती है भाजपा

राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा पर धन्यवाद प्रस्ताव का समाजवादी पार्टी ने उत्तर प्रदेश विधानसभा में विरोध किया. पर हैरानी वाली बात यह रही कि करीब 90 प्रतिशत सपा विधायकों ने योगी सरकार के प्रस्ताव का समर्थन किया. सवाल उठता है कि क्या अखिलेश अपनी पार्टी का मन नहीं पढ़ पा रहे हैं?

क्य़ा अखिलेश यादव अपनी पार्टी के विधायकों का मन नहीं पढ पा रहे? क्य़ा अखिलेश यादव अपनी पार्टी के विधायकों का मन नहीं पढ पा रहे?
संयम श्रीवास्तव
  • नई दिल्ली,
  • 07 फरवरी 2024,
  • अपडेटेड 2:15 PM IST

गोली चलवाने, प्राण प्रतिष्‍ठा समारोह में न जाने, और अब विधानसभा में मंदिर पर धन्‍यवाद प्रस्‍ताव का विरोध करने... समाजवादी पार्टी को घेरने के लिए अखिलेश यादव के नेता भाजपा को कोई न कोई बहाना दे ही देते हैं. खबर है कि सपा के 108 में से 14 विधायकों ने विधानसभा में राम मंदिर धन्‍यवाद प्रस्‍ताव का विरोध किया. भाजपा की ओर से कहा जा रहा है कि इनके नाम सार्वजनिक किये जाएं. यूपी बजट सत्र के तीसरे दिन 5 फरवरी को  सदन में अपने अभिभाषण के दौरान डॉक्टर शलभमणि त्रिपाठी ने सपा को जमकर लताड़ लगाई. विधानसभा में उन्‍होंने कहा- 'राम मंदिर का आमंत्रण तो आप को भी मिला था पर आप अयोध्‍या नहीं गए. मैं बहुत हैरान हुआ कि जब आप लोग भगवान राम के आमंत्रण पर नहीं गए. आप लोगों ने भगवान राम के वजूद को नकार दिया था. आप लोगों के लिए पश्‍चाताप का आखिरी अवसर था. आज जब सदन में भगवान राम के नाम पर बधाई प्रस्‍ताव जा रहा था तब आप लोग चुप रह सकते थे लेकिन आपने विरोध शुरू कर दिया. मैं विधानसभा अध्‍यक्ष से मांग करता हूं कि उन 14 सपा नेताओं के नाम सार्वजनिक कीजिए जिन्‍होंने भगवान राम के नाम पर आए बधाई प्रस्‍ताव का विरोध किया है.'

Advertisement

दरअसल राम मंदिर निर्माण को लेकर सरकार की ओर से विधानसभा में बधाई प्रस्‍ताव पेश किया गया. इस प्रस्ताव का समाजवादी पार्टी के सदस्‍यों की ओर से आवाज आई कि यह जबरदस्‍ती की बधाई है. हालांकि विधानसभा अध्‍यक्ष सतीश महाना ने कहा कि कोई जबरदस्‍ती नहीं है, जो सहमत हों वही बधाई दें. प्रस्‍ताव पेश होने के बाद समाजवादी पार्टी के 14 सदस्‍यों ने इसके विरोध में हाथ नहीं उठाया.

1- मतदाता को भी पता चले कि उनके प्रतिनिधि उन 14 विधायकों में हैं या नहीं 

दरअसल बीजेपी चाहती है कि ये नाम सामने आएं ताकि उनके मतदाताओं को भी पता चल सके उनके प्रतिनिधि राम मंदिर उद्घाटन में ही नहीं गए बल्कि धन्यवाद प्रस्ताव भी उन्हें मंजूर नहीं है.वैसे भी जनता को यह जानने का अधिकार है कि विधानसभा में पेश होने वाले प्रस्ताव का हमारे जनप्रतिनिधि का क्या रुख है. मतदाता अपने नेता के किए गए कार्यों के आधार पर ही उसे भविष्य में वोट देना है या नहीं देना है का फैसला लेता है.विधायक शलभ मणि ने aajtak.in से कहा कि जिन विधायकों ने सदन में भगवान राम के नाम का विरोध किया, अब वे नहीं चाहते कि उनका नाम सार्वजनिक हो, उन्हें पता है कि भगवान राम के खिलाफ वोट करके वे अपने क्षेत्र में जाएंगे तो लोग ही नहीं उनके परिवार वाले भी उनसे पूछेंगे कि आपने ऐसा क्यूँ किया. यही वजह है कि सपा विधायक ओमवेश जी ने तो प्रभु राम के खिलाफ दिया गया अपना वोट यह कहते हुए वापस ले लिया कि वे पक्के राम भक्त हैं. जो राम और राष्ट्र के साथ नहीं, देश उनके साथ नहीं खड़ा होगा.

Advertisement

2- राम के नाम पर सपा में हुई फूट को उजागर करना 

बीजेपी चाहती है कि जिन लोगों ने राम मंदिर धन्यवाद प्रस्ताव का विरोध किया उनका नाम उजागर करने के बहाने जनता के बीच यह संदेश जाए कि समाजवादी पार्टी में अखिलेश यादव किस तरह अपनी मनमानी कर रहे हैं. जाहिर है कि राम मंदिर के नाम पर पार्टी 2 फाड़ हो चुकी है. धन्यवाद प्रस्ताव के दौरान सपा के 111 विधायक और रालोद के 8 विधायक सदन में मौजूद थे. प्रस्ताव आने के बाद सपा के 97 विधायकों ने योगी सरकार का समर्थन किया. महज 14 विधायकों ने विरोध करते हुए हाथ ऊपर नहीं किया. रालोद के विधायकों का भी समर्थन योगी सरकार को मिला. 14 विधायकों में से एक स्वामी ओमवेश ने अपना विरोध वापस ले लिया है, मतलब अब केवल 13 विधायक ही प्रस्ताव का विरोध करने वाले रह गए हैं. साफ है कि राम मंदिर के नाम पर पार्टी में कभी विधायक दल की बैठक नहीं हुई . या राममंदिर मुद्दे पर पार्टी को क्या स्टैंड लेना है इस पर भी पार्टी से सलाह नहीं ली गई. पार्टी पिछले 4 चुनावों से उत्तर प्रदेश में मुंह की इसी लिए खा रही है क्योंकि पार्टी को प्राइवेट लिमिटेड कंपनी की तरह चलाया जा रहा है. 

Advertisement

2-नाहक ही बदनाम हैं मुसलमान, दो तिहाई मुस्लिम विधायक मंदिर के पक्ष में

2022 में समाजवादी पार्टी के 108 विधायक चुनकर सदन में पहुंचे. जिसमें से करीब 32 विधायक मुस्लिम हैं. आरएलडी के 9 विधायकों में भी करीब 2 विधायक मुस्लिम हैं. समाजवादी पार्टी के कुल 13 लोगों ने राम मंदिर धन्यवाद प्रस्ताव का विरोध किया है. यह विरोध लालजी वर्मा के नेतृत्व में किया गया . दूसरा नाम अखिलेश यादव का भी होगा जाहिर है. अब बचे 11 लोग .

 यह संभव नहीं हो सकता कि ये सभी मुस्लिम विधायक रहे हों. अगर मान लिया जाए कि ये सभी मुस्लिम रहे हों तो भी करीब 2 तिहाई मुस्लिम विधायक मंदिर के पक्ष में दिख रहे हैं.  यह वोटिंग एक बात और स्पष्ट कर रही है कि नाहक ही मुसलमानों को बदनाम किया जाता है. असली खेल इनके नाम पर कांग्रेस और समाजवादी पार्टी जैसे दल ही कर रहे हैं.  

4-कार सेवकों पर गोली चलवाने की बात अब भी कर रहे हैं नेता

विधानसभा में समाजवादी पार्टी के एक विधायक अब भी पुराने दौर के सपा से बाहर नहीं निकल पाए हैं. यह जानते हुए भी कि 90 प्रतिशत विधायक राम मंदिर के साथ हैं सपा विधायक तूफानी सरोज सदन में कहते हैं कि अगर वो भी होते कारसेवकों पर गोली चलवाते. दरअसल समाजवादी पार्टी पितृ पुरुष मुलायमसिंह यादव ने 1990 में कारसेवकों पर गोली चलवाकर अल्पसंख्यक वोटों के सरदार बन गए थे. समाजवादी पार्टी में अब भी कुछ नेताओं को ऐसा लगता है कि अखिलेश यादव को भी ऐसा करना चाहिए. यही कारण है कि अखिलेश यादव आम जनता का नब्ज नहीं समझ पा रहे हैं. बीजेपी चाहती है कि राम मंदिर पर धन्यवाद प्रस्ताव का विरोध करने वाले विधायकों का नाम उजागर करने के बहाने समाजवादी पार्टी की पोल खोली जा सके.
 

Read more!
Advertisement

RECOMMENDED

Advertisement