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'बटेंगे तो कटेंगे'... योगी का ये नारा महाराष्ट्र-झारखंड और यूपी उपचुनावों में कितना बड़ा मुद्दा रहेगा?

महाराष्ट्र विधानसभा चुनावों से लेकर यूपी के उपचुनावों तक में इस बार 'बटेंगे तो कटेंगे' का मुद्दा सबसे अधिक हावी रहने वाला है. मुंबई में लगे पोस्टर तो एनडीए सरकार ने हटवा लिया पर मुद्दा कितना बड़ा बन रहा है इसकी झलक तो मिल ही गई है. अखिलेश यादव ने भी इस नारे के खिलाफ मोर्चा खोलकर यह जता दिया है कि यह मामला अभी तूल पकड़ने वाला है.

बंटोगे तो कटोगे का मुद्दा बड़ा बन रहा है. बंटोगे तो कटोगे का मुद्दा बड़ा बन रहा है.
संयम श्रीवास्तव
  • नई दिल्ली,
  • 24 अक्टूबर 2024,
  • अपडेटेड 12:06 PM IST

उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने अभी कुछ दिनों पहले आगरा के एक कार्यक्रम में लोगों को राष्ट्र की एकता का संदेश देते हुए कहा था- 'बटेंगे तो कटेंगे, एक रहेंगे तो नेक रहेंगे, सुरक्षित रहेंगे. योगी आदित्यनाथ के बयान पर बहुत हो हल्ला मचा. पर उनके बोलने के कुछ दिनों बाद पीएम नरेंद्र मोदी और संघ प्रमुख मोहन भागवत ने भी यही बात अपने स्पीच में कह दी. हालांकि इस स्पीच में कोई अनोखी बात नहीं थी. क्योंकि यहां तो जोड़ने की बात हो रही थी. आम तौर पर राजनीतिज्ञ तो सिर्फ बांटने की बात करते रहे हैं. अंग्रेजों ने भारत में शासन करते हुए यहां के लोगों को एक बात तो बहुत पक्ते तरह से समझा दी थी कि अगर राज करना है तो डिवाइड एंड रूल करना होगा. आजादी के बाद अंग्रेजों की इस रणनीति पर देश की सभी पार्टियों ने चलने की कोशिश की पर सफलता कांग्रेस को ही मिली. 

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 अब दस साल से सत्ता से बाहर कांग्रेस एक बार फिर नए सिरे से लोगों को बांटने का इंतजाम कर रही है.जाहिर है कि क्रिया के बाद प्रतिक्रिया तो होगी ही. लोकसभा चुनावों के दौरान कांग्रेस ने डिवाइड करने की खूब कोशिश की और काफी हद तक सफल भी रही. यही कारण रहा कि लोकसभा चुनावों में बीजेपी के डिवाइड एंड रूल पर कांग्रेस का डिवाइड एंड रूल भारी पड़ा . बीजेपी को अपेक्षित सफलता नहीं मिल सकी और उसे केंद्र में बैसाखियों वाली सरकार बनाने के लिए उसे मजबूर होना पड़ा. अब फिर दो राज्यों में विधानसभा चुनाव होने को हैं और कई राज्यों में उपचुनाव भी हैं. जिसमें सबसे खास यूपी के 9 सीटों पर होने वाले उपचुनाव हैं. मंगलवार को मुंबई की कई सड़कों पर यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के पोस्टर जिन पर बंटोगे नहीं तो -कटोगे नहीं लिखा हुआ था के नजर आने से यह मुद्दा एक बार फिर जोर पकड़ लिया है. 

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अखिलेश क्यों हुए हमलावर

उत्तर प्रदेश में 9 विधानसभा सीटों पर होने वाले उपचुनाव के लिए समाजवादी पार्टी और बीजेपी ताल ठोंककर मैदान में हैं.दोनों ही पार्टियों के लिए ये उपचुनाव प्रतिष्ठा का प्रश्न है.बल्कि यूं कहा जाए तो कोई अतिशयोक्ति नहीं होगा कि बीजेपी के लिए झारखंड जीतना उतना जरूरी नहीं है जितना यूपी के उपचुनाव जीतना. यही कारण है कि  योगी आदित्यनाथ के 'बटोंगे तो कटोगे' वाले बयान पर सियासत तेज हैं.
 लोकसभा चुनावों में बीजेपी के कोर वोटर्स ने पार्टी से मुख मोड़ लिया था .नतीजा ये रहा कि पार्टी को अपेक्षित सफलता नहीं मिल सकी. पार्टी को दलितों का वोट तो नहीं ही मिला. ओबीसी और सवर्णों ने भी कई जगह ठेंगा दिखा दिया.यहां तक कि कई इलाकों में राजपूतों का भी वोट नहीं मिला. लोकसभा चुनावों में सीएम योगी के समर्थकों ने इस बात बात को खूब फैलाया कि योगी की टिकट बांटने में नहीं चली. और भी कई तरीके से चुनाव अभियान में वो शामिल नहीं थे.पर विधानसभा उपचुनावों के लिए उन्हें पार्टी ने फुल पावर दे दी है. यही कारण है कि योगी अपने खास मंत्रियों की ड्यूटी उपचुनावों के लिए लगा रखी है. उम्मीद की जा रही है कि टिकट भी उन्हें ही मिलेगा जिसे योगी चाहेंगे.योगी इन उपचुनावों को तभी जीत सकेंगे जबकि लोकसभा चुनावों में बीजेपी के जो हार्डकोर समर्थक पार्टी से दूर हो गए थे वो फिर से एक बार वापस आ जाएं. यह इसी शर्त पर हो सकता है जब उन्हे यह भय दिखाया जाए कि अगर हिंदू बटेंगे तो कटेंगे.अखिलेश भी इस बात को समझ रहे हैं कि अगर योगी हिंदुओं को भय दिखाकर एकजुट कर लिए तो फिर बीजेपी को जीतने से कोई रोक नहीं सकेगा.

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शायद यही कारण है कि सीएम योगी के इस बयान पर अखिलेश यादव ही नहीं उनकी सांसद पत्नी डिंपल यादव भी प्रतिक्रिया दे रही हैं.उन्होंने मैनपुरी में कहा कि उत्तर प्रदेश की जनता यह अच्छी तरह से जानती है कि इस तरह के बयान लोगों का ध्यान भटकाने के लिए दिये जाते हैं ..
इसके पहले उनके पति सपा मुखिया अखिलेश यादव ने अपने पार्टी कार्यकर्ताओं से कहा कि आपको कंफ्यूज नहीं होना है, क्योंकि यह नारा एक लैब में तैयार किया गया है और उन्हें किसी से बुलवाना था. इसलिए उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री से बेहतर इस नारे को कौन बोलता, क्योंकि उनकी छवि भी वैसी ही है. अगर वह कह रहे हैं कि 'बंटेंगे तो कटेंगे'. इसल‍िए पीडीए परिवार भी नहीं बंटेगा. वह नारा आपके लिए लगा रहे हैं कि पीडीए परिवार के लोग बंटना मत.

क्या राहुल गांधी के जाति जनगणना का जवाब है बंटेंगे तो कटेंगे

राहुल गांधी लोकसभा चुनावों के कई महीने पहले से लगातार जाति जनगणना की बात कर रहे हैं. जाति जनगणना की बात ही इसलिए हो रही है कि बीजेपी के हार्डकोर वोटर्स के बीच डिवाइड एंड रूल फॉर्मूले को अप्लाई किया जा सके.हरियाणा में हार के बाद भी राहुल गांधी की जाति जनगणना की राग कम नहीं हुई है.इसके साथ ही राहुल गांधी इन चुनावों में एक नई दिशा में बढ़ते दिख रहे हैं. अब राहुल मनुस्मृति की भी आलोचना कर रहे हैं. हरियाणा में दलित वोटरों से नाराजगी के बाद कांग्रेस ने अब नई रणनीति बनाई है. पार्टी इस बार किसी भी कीमत पर दलितों, पिछड़ों और आदिवासियों के वोटों को खोना नहीं चाहती है. झारखंड में संविधान सम्मान सम्मेलन में राहुल गांधी ने इसकी शुरूआत कर दी है. राहुल गांधी ने यहां खुलकर कहा कि मनुस्मृति संविधान विरोधी पुस्तक है. उन्होंने कहा कि संविधान और मनुस्मृति के बीच की लड़ाई वर्षों से चली आ रही है.

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यही नहीं जातीय जनगणना का संकल्प दोहराते हुए राहुल गांधी 90 बनाम 10 की बात करना भी नहीं भूलते हैं.वो कहते हैं कि इस देश के 90 प्रतिशत लोगों का हक छीना जा रहा है. 90 प्रतिशत लोगों का इतिहास मिटाया जा रहा है. वो हर हाल में जातीय जनगणना कराने और 50 फीसदी आरक्षण की सीमा बढाने की बात करते हैं. राहुल कहते हैं कि ओबीसी, किसान, मजदूर, बढ़ई, नाई, मोची- इन तमाम लोगों का इतिहास कहीं लिखा ही नहीं गया है, जबकि हिन्दुस्तान में 90 प्रतिशत लोग यही हैं. राहुल बार-बार दोहराते हैं कि बड़े मंत्रालयों में दलित, आदिवासी और पिछड़े अफसर नहीं के बराबर हैं. पिछड़े वर्ग के अफसर 10 प्रतिशत, दलित अफसर मात्र एक रुपये और आदिवासी अफसर मात्र 10 पैसा खर्च करने का निर्णय ले पाते हैं.

जाहिर है कि राहुल गांधी की इस स्ट्रेटिजी का मुकाबला बीजेपी को किसी न किसी तरह से करना ही है. बीजेपी कहती है कि अगर राहुल हिंदू समाज को बांटने की बात करते हैं तो बीजेपी जोड़ने की बात करती है. 

बीजेपी ने क्यों दिया इस नारे पर जोर

दरअसल जब योगी आदित्यनाथ पहली बार बटेंगे तो कटेंगे का नारा दिया उस समय बांग्लादेश में हिंदुओं पर अत्याचार हो रहा था.योगी का ये बयान बंगाल में तख्तापलट के बाद तब सामने आया था, जब बंगाल में उपद्रवी हिंदुओं को अपना निशाना बना रहे थे. योगी के इस बयान के बाद ईरान के सर्वोच्च नेता ने भी कुछ इससे मिलते जुलते बयान इजरायल के खिलाफ मुस्लिम वर्ल्ड को एकजुट करने के लिए कही थी.पूरी दुनिया में इस तरह की बातें नेता अपने समर्थकों को एकजुट करने के लिए बोलते रहते हैं.भारत में भी भिन्न जातियों और धर्म के नेता अपने समर्थकों को एकजुट रखने के लिए इस तरह की बातें करते रहे हैं. 

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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अपने महाराष्ट्र दौरे पर महाविकास आघाडी पर हमला बोलते हुए कहा था कि 'कांग्रेस जानती है कि उनका वोट बैंक तो एक रहेगा, लेकिन बाकी लोग आसानी से बंट जाएंगे. कांग्रेस और उनके साथियों का एक ही मिशन है, समाज को बांटों और सत्ता पर कब्जा करो. इसलिए हमारी एकता को ही देश की ढाल बनाना है, हमें याद रखना है कि अगर हम बंटेंगे तो बांटने वाले महफिल सजाएंगे. हमें कांग्रेस और अघाड़ी वालों के मंसूबों को कामयाब नहीं होने देना है. 

इसके कुछ दिनों बाद आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने भी हिंदू समाज से एकजुट होकर आपस में मतभेद और विवाद मिटाने का आह्वान किया था.उन्होंने कहा था कि 'हिंदू समाज को भाषा, जाति और प्रांत के मतभेद और विवाद मिटाकर अपनी सुरक्षा के लिए एकजुट होना होगा. समाज ऐसा होना चाहिए, जिसमें एकता, सद्भावना और बंधन का भाव हो' उन्होंने कहा कि समाज में आचरण का अनुशासन, राज्य के प्रति कर्तव्य और लक्ष्य-उन्मुख होने का गुण जरूरी है...समाज सिर्फ मेरे और मेरे परिवार से नहीं बनता, बल्कि हमें समाज के प्रति सर्वांगीण चिंता के जरिए अपने जीवन में ईश्वर को प्राप्त करना है. 

ऐसे समय जब कुछ पार्टियां देश में हिंदुओं को जाातियों में एक बार फिर बांटने का प्रयास कर रही हैं तो बीजेपी अपने वोटर्ट को एकजुट करने के लिए कुछ ऐसा बोलेगी ही. बीजेपी को लगता है कि अगर हिंदुओं को जातियों में बांटने में विपक्ष सफल हो जाता है तो उनकी राजनीति फीकी पड़ जाएगी.

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