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नीतीश कुमार क्या बिहार चुनाव को अति पिछड़ा बनाम यादव बनाएंगे?

बिहार विधानसभा में मंगलवार को राज्यपाल के अभिभाषण पर कम, जातियों पर चर्चा अधिक हुई. जाहिर है कि विधानसभा चुनावों को ध्यान में रखकर सभी नेता और दल अपनी समर्थक जातियों को गोलबंद करने में जुटी हुई हैं.

बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार. (फाइल फोटो) बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार. (फाइल फोटो)
संयम श्रीवास्तव
  • नई दिल्ली,
  • 05 मार्च 2025,
  • अपडेटेड 2:14 PM IST

बिहार विधानसभा चुनाव ज्यों ज्यों नजदीक आ रहा है प्रदेश में राजनीतिक सरगर्मियां परवान चढ़ रही हैं. बिहार विधानसभा में मंगलवार को हुईं बहसें भी इससे अछूती नहीं रहीं. सत्ता पक्ष और विपक्ष दोनों ही ओर से मुद्दे तलाशे जा रहे हैं. पर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने पूर्व उप मुख्यमंत्री तेजस्वी यादव को घेरते हुए जो अतिपिछड़े समुदाय का जो तीर दागा है वह निश्चित रूप से आने वाले दिनों में और महत्वपूर्ण होने वाला है. नीतीश कुमार ने कहा कि 1994 में जब तत्कालीन मुख्यमंत्री लालू प्रसाद अति पिछड़ों को अलग से देय आरक्षण की सुविधा खत्म कर अति पिछड़ा और पिछड़ा वर्ग को एक करना चाह रहे थे तो हमने विरोध किया. यही कारण रहा कि उसी समय हम उनसे अलग हो गये. राज्यपाल के अभिभाषण पर सरकार की ओर से जवाब दे रहे मुख्यमंत्री ने इस मौके पर वैसे तो अपनी सरकार की नीतियों की चर्चा की पर अति पिछड़ों को ध्यान में रखते हुए लालू पर लगाया गया उनका आरोप आरजेडी के लिए परेशान करने वाला हो सकता है. नीतीश कुमार ने तेजस्वी की तरफ इशारा करते हुए यह भी कहा कि तुम्हारे पिता को मुख्यमंत्री बनाने वाला भी मैं ही था जबकि तुम्हारी ही जाति के यादव लोग लालू यादव का विरोध कर रहे थे.

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1-लालू नहीं चाहते थे अति पिछड़ों के लिए आरक्षण

बिहार में ही नहीं शायद पूरे देश में मंडल आयोग की रिपोर्ट के लागू होने के पहले सबसे पहले कर्पूरी ठाकुर ने पिछड़ों और अति पिछड़ों को अलग से आरक्षण देने की कोशिश की. नीतीश कुमार बताते हैं कि लालू प्रसाद सीएम बनने के बाद आरक्षण के कर्पूरी फॉर्मूले को खत्म करना चाह रहे थे. लालू यादव अति पिछड़ों को मिलने वाले आरक्षण को खत्म करके सिर्फ पिछड़ा वर्ग करना चाह रहे थे. नीतीश कहते हैं कि हमने उसी समय विरोध किया.उसके बाद 1994 में हम अलग हो गए. मुख्यमंत्री के जवाब के दौरान राजद के सदस्य सदन से वॉकआउट कर गये. इस पर मुख्यमंत्री ने चुटकी लेते हु कहा- भाग गये, अगला चुनाव होगा तो कुछ नहीं मिलेगा, हमलोग (जदयू-भाजपा) साथ थे, आगे भी रहेंगे.

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राज्यपाल के अभिभाषण पर सरकार की ओर से जवाब दे रहे मुख्यमंत्री ने अपनी सरकार की नीतियों की चर्चा की. नौकरी और स्वरोजगार के वायदों को पूरा करने की बात कही. विधानसभा में विरोधी दल के नेता तेजस्वी प्रसाद यादव की टोकाटोकी को खारिज करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा-तुम्हारे पिता को मुख्यमंत्री हम ही बनाये थे.तुम्हारे जाति के लोग भी मुझसे पूछ रहे थे कि मैं ऐसा क्यों कर रहा हूं,

2- कर्पूरी रथ के नाम पर अति पिछड़ा को साधने की तैयारी

ऐसा नहीं है कि एक दम चुनावों के नजदीक आकर नीतीश कुमार अति पिछड़ों को साधने की तैयार कर रहे हैं. नीतीश कुमार बिहार में पहले से ही उन्हें साधने के लिए हर मोर्चे पर तैयारी कर रहे हैं. अतिपिछड़ों के मसीहा कर्पूरी ठाकुर को मरणोपरांत भारत रत्न दिलाने के लिए भी नीतीश कुमार से केंद्र से पैरवी की थी. बिहार में सीएम नीतीश की यात्रा के पहले जेडीयू ने दो रथों को रवाना किया था. इनमें से एक महिला प्रकोष्ठ की ओर से नारी शक्ति और अति पिछड़ा प्रकोष्ठ से कर्पूरी रथ को रवाना किया गया. नारी शक्ति रथ में महिलाओं के जरिए सरकार के किए गए कामों के बारे में लिखा गया था, तो कर्पूरी रथ में अति पिछड़ा के लिए जितने काम हुए हैं, उस योजना के बारे में बताया गया था. ये रथ सभी विधानसभा क्षेत्रों में भ्रमण कर आम लोगों को सीएम नीतीश के जरिए चलाई गई योजनाओं की जानकारी दे रहे हैं. जाहिर है कि जेडीयू का मुख्य फोकस अति पिछड़ी जातियों पर है.

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3-तेजस्वी ने कहा कि लालू पिछड़ी जाति के हैं इसलिए चारा चोर हैं

अति पिछड़ों का नाम लेकर नीतीश कुमार गोल दागने की फिराक में हैं तो तेजस्वी कहां कम रहने वाले हैं. उन्होंने विधानसभा में राज्यपाल के अभिभाषण पर चर्चा के दौरान चारा घोटाला की चर्चा होते ही पिछड़ा राग अलाप दिया. लालू पुत्र तेजस्वी यादव ने कहा कि उनके पिता के नाम के आगे चारा चोर इसलिए जोड़ा जाता है क्योंकि वे पिछड़ा हैं. बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री जगन्नाथ मिस्रा को भी चारा घोटाले में जेल हुई थी पर उन्हें कोई भी चारा चोर नहीं कहता है. हालांकि तेजस्वी की इस बात पर सदन में मौजूद जगन्नाथ मिस्रा के पुत्र नितिन मिश्रा से तेजस्वी की बहस भी हुई. वैसे लालू यादव ने भी अपने चरमोत्कर्ष काल में जगन्नाथ मिश्र को चारा घोटाले में बेल मिलने पर नारा दिया था 'ग्वाले को जेल-बाबा को बेल'. लालू यादव ने इस तरह के तमाम नारों के बल पर पिछड़ी जातियों को गोलबंद करने का काम किया . पर दुर्भाग्य से उनके नेतृत्व में जितना भला उनकी जाति यादवों का हुआ उतना कोई और पिछड़ी जाति नहीं विकसित हो सकी. बाद में नीतीश कुमार अति पिछड़े वर्ग के बीच हीरो बनकर उभरे.

4-नीतीश ने कहा कि यादव नेता नहीं चाहते थे कि लालू बिहार का सीएम बनें

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राज्यपाल के अभिभाषण पर चर्चा के दौरान एक बार और जाति की चर्चा हुई. तेजस्वी यादव को घेरते हुए सीएम नीतीश कुमार कहते हैं कि 1990 में लालू यादव को मुख्यमंत्री बनाने में उनकी महत्वपूर्ण भूमिका थी. नीतीश ने तेजस्वी की ओर मुखातिब होकर कहा, उस समय तुम्हारी जाति के विधायक भी लालू प्रसाद का विरोध कर रहे थे. मुख्यमंत्री ने कहा कि अगले विधानसभा चुनाव में विपक्ष को कुछ नहीं मिलने वाला है. राज्य के लोग इन्हें पहचान रहे हैं. दरअसल बात 1990 की है, बिहार की राजनीतिक परिस्थितियां तेज़ी से बदल रही थीं. उस वक़्त हालात ऐसे हो गए थे की कर्पुरी ठाकुर के निधन के बाद उनकी जगह जो नेता प्रतिपक्ष बनता वही मुख्यमंत्री पद का दावेदार हो जाता. लालू प्रसाद यादव किसी भी तरह से नेता प्रतिपक्ष बनना चाहते थे. लेकिन इतना आसान नहीं था क्योंकि  राम सुंदर दास, गजेंद्र प्रसाद हिमांशु, रघुनाथ झा जैसे कई कद्दावर नेता कतार में थे. नेता प्रतिपक्ष बनने के लिए 42 विधायकों की ज़रूरत थी, लेकिन हालात ऐसे थे की एक भी विधायक लालू के पक्ष में नहीं थे. तब नीतीश कुमार ने एक एक विधायकों से मुलाक़ात कर उन्हें लालू के पक्ष राजी किया था. बाद में लालू यादव को सीएम बनाने नीतीश कुमार ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी.

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