जिंदगी जब साथ नहीं देती तब हम दोष मढ़ते हैं, हाथ की लकीरों पर, लकीरें हैं, तो रहने दाे. किसी ने शायद गुस्से में खींच दी थीं,  बनाओ इनको पाला, आओ अब कबड्डी खेलते हैं.