झूला जितना पीछे जाता है उतना ही आगे भी जाता है. ठीक वैसे ही जिंदगी होती है. जितना दुख आपने देखा है. यकीन मानिए उतना ही सुख आपका इंतजार कर रहा है. ऐसे ही हमें जिंदगी को समझना होता है. जिंदगी का यह झूला आगे-पीछे जाता रहता है. इसी के बीच में हमें अपनी जिंदगी को बैलेंस करना होता है.