चाल चक्र में आज आपको बताएंगे व्यक्ति के मन में कब ईर्ष्या जन्म लेती है. कुंडली में चंद्रमा और बुध की स्थिति ईर्ष्या के बारे में बताती है. इसके अलावा चतुर्थ और सप्तम भाव से भी ईर्ष्या का सम्बन्ध होता है. चन्द्रमा दूषित हो तो ईर्ष्या का जन्म होता है और यह ईर्ष्या खुद को नुक्सान पंहुचाती है. बुध की गड़बड़ी से ईर्ष्या के साथ खराब विचार का जन्म होता है और इस ईर्ष्या में व्यक्ति दूसरे को नुक्सान पंहुचाता है. शनि इस ईर्ष्या को टिकाये रखता है और बृहस्पति ईर्ष्या को नष्ट कर देता है.