चाल चक्र में आज आपको बताएंगे कन्या पूजन का महत्व क्या है. नवरात्र केवल व्रत और उपवास का पर्व नहीं है. ये नारी शाक्ति और कन्याओं के सम्मान का भी पर्व है. नवरात्र में हम जीवंत रूप में देवी की उपासना करते हैं. इसलिए नवरात्र में कुंवारी कन्याओं को पूजने का परंपरा भी है. इससे हमें देवी का जागृत आशीर्वाद मिलता है. जीवन की समस्याएं हल होती हैं. नवराभ में दो से लेकर ग्यारह साल तक की कन्या की पूजा का विधान है. अलग-अलग उम्र की कन्या देवी के अलग-अलग रूप को बताती है. दो साल की कन्या को कुमारी कहा जाता है. तीन साल की कन्या को त्रिमूर्ति कहा जाता है. इनकी पूजा से संपूर्ण परिवार का कल्याण होता है. चाल साल की कन्या को कल्याणी कहा जाता है. इनकी पूजा से घर में सुख आता है. पांच साल की कन्या को रोहिणी कहा जाता है. छह साल की कन्या बालिका होती है. इनकी उपासना से विधा, बुद्धि का वरदान मिलता है. सात साल की कन्या चण्डिका होती है.