चाल चक्र में आज आपको बताएंगे मूल नक्षत्र और ज्योतिष में इसका क्या महत्व है इस पर चर्चा करेंगे. ज्योतिष की सटीक व्याख्या और फल के लिए हमेशा नक्षत्रों पर विचार किया जाता है. नक्षत्रों के अलग अलग स्वभाव होते हैं और उनके अलग अलग फल भी होते हैं. कुछ नक्षत्र कोमल होते हैं कुछ कठोर और कुछ उग्र होते हैं. उग्र और तीक्ष्ण स्वभाव वाले नक्षत्रों को ही मूल नक्षत्र, सतैसा या गण्डात कहा जाता है. जब बालक इन नक्षत्रों में जन्म लेता है तो विशेष तरह के प्रभाव देखने में आते हैं. इन नक्षत्रों में जन्म लेने का असर सीधा बच्चे के स्वभाव और स्वास्थ्य पर पड़ता है.