एक तरफ शाहीन बाग में नागरिकता संशोधन कानून के खिलाफ 50 दिनों से जारी धरना दूसरी तरफ दिल्ली का विधानसभा चुनाव. दिल्ली का सियासी पारा चढ़ाने के लिए क्या ये कम था कि जुबान के साथ तमंचे से भी फायरिंग होने लगी? पहले अनुराग ठाकुर ने देश के गद्दारों को गोली मारने की बात कही. फिर जामिया के प्रदर्शनकारियों पर फायरिंग हुई. कल यानि शनिवार को शाहीन बाग में भी गोली चली. फिर दिल्ली की चुनावी सभा में योगी का बयान आया, बोली से नहीं मानेगा तो गोली से मान ही जाएगा. दंगल में आज इसी मुद्दे पर बात करेंगे. क्या ये बयानबाजी एक खास रणनीति के तहत हो रही है? क्या इन बयान बाजियों के पीछे सोची समझी चुनावी चाल है? जानिए क्या है इस मुद्दे पर पैनेलिस्ट्स की राय.